‘समाज विरोधी तत्वों द्वारा’ ‘अब सरकारी कर्मियों पर हमलों में तेजी’

punjabkesari.in Sunday, Apr 10, 2022 - 04:43 AM (IST)

आज जहां देश में भ्रष्टाचार तथा महंगाई ने लोगों का जीना दूभर कर रखा है, वहीं समाज विरोधी तत्वों द्वारा ऐसी घड़ी में भी अपनी ड्यूटी निभा रहे सरकारी विभागों के कर्मचारियों पर हमलों का सिलसिला लगातार जारी है। इनके हौसले इतने बढ़ चुके हैं कि वे अपने मार्ग में बाधा बनने वाले किसी भी व्यक्ति की हत्या तक करने से संकोच नहीं करते। इनके मात्र तीन सप्ताह की अवधि के दुष्कृत्यों के चंद उदाहरण निम्र में दर्ज हैं : 

* 17 मार्च को हुगली (पश्चिम बंगाल) में खनन माफिया के सदस्यों ने मिट्टी का अवैध खनन रोकने पहुंची पुलिस की टीम पर घात लगा कर हमला करके 6 पुलिस कर्मचारियों को गंभीर रूप से घायल कर दिया।
* 24 मार्च को पलवल (हरियाणा) में प्रतिबंधित पशु का वध करके घर में उसका मांस रखने पर छापा मारने गई पुलिस टीम पर हमला करने के आरोप में एक महिला सहित 7 आरोपियों के विरुद्ध केस दर्ज किया गया। 

* 24 मार्च को ही मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) के गांव में बिजली चोरी पकडऩे गए जूनियर इंजीनियर तथा अन्य कर्मियों पर एक ईंट भट्ठा मालिक ने अपना कुत्ता छोड़ दिया जिसने जूनियर इंजीनियर को काट कर लहू-लुहान कर दिया।
* 29 मार्च को वैशाली (बिहार) जिले के ‘तैयबपुर करजामा’ गांव में अवैध शराब कारोबारी के ठिकाने पर छापेमारी करने गए एक्साइज विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर शराब तस्कर के चार बेटों ने ग्रामीणों के साथ मिल कर हमला करके उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया और पत्थरबाजी तथा फायरिंग करके अधिकारियों द्वारा पकड़े गए आरोपियों को छुड़ा कर ले गए। 

* 7 अप्रैल को सरूपगंज (राजस्थान) में खनन विभाग के अधिकारी तथा पटवारी को अवैध खनन दिखाने पहुंचे तहसील प्रमुख तथा उसके साथी पर खनन माफिया ने जानलेवा हमला करके उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया।
* 8 अप्रैल को अजमेर (राजस्थान) के ‘सावर’ में खनन माफिया पर छापा मारने गए पुलिस दल पर आरोपियों तथा उनके समर्थकों ने लाठियों से हमला कर दिया जिससे 2 पुलिसकर्मी घायल हो गए।

* 8 अप्रैल को ही गिद्दड़बाहा (पंजाब) में नशा तस्करों को पकडऩे गई पुलिस पार्टी पर आरोपी द्वारा अपनी मां, भाई तथा अन्य लोगों के साथ मिल कर हमला करके ए.एस.आई. की वर्दी फाडऩे, पुलिस कर्मियों को अपने घर में बंदी बना  कर उन पर कुत्ता छोडऩे और सरकारी काम में बाधा डालने आदि के आरोप में उनके विरुद्ध केस दर्ज किया गया। 

* 9 अप्रैल को पटना (बिहार) के बरियापुर में गंगा नदी से रेत का अवैध खनन रोकने गई खनन विभाग की टीम द्वारा एक जे.सी.बी. व 4 ट्रैक्टर ट्रालियां जब्त कर लेने से आक्रोशित माफिया के सदस्य उन पर हमला करके ट्रैक्टर ट्रालियां छुड़ा कर ले गए जबकि अधिकारियों ने भाग कर अपनी जान बचाई। 

उक्त घटनाओं से स्पष्ट है कि आज समाज विरोधी तत्वों की ऐसी गतिविधियां किसी एक क्षेत्र तक सीमित न रह कर पूरे देश में हो रही हैं और आम आदमी ही नहीं बल्कि प्रशासन भी इनके सामने पंगु सिद्ध हो रहा है। अत: ऐसे समाज विरोधी तत्वों और उनको शह देने वालों का पता लगा कर उनके विरुद्घ कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है। इस स्थिति से बचने के लिए पुलिस ढांचे में काफी समय से लम्बित सुधार तथा इसे और मजबूत करना समय की मांग है। पुलिस एवं अधिकारियों को पूरी तैयारी और रणनीति तय करके छापा मारने जाना चाहिए। 

जरूरत इस बात की भी है कि पुलिस तथा प्रशासन सब प्रकार के राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त हों। इंगलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के नाबालिग बेटे का उदाहरण हमारे सामने है जिसे रात के समय शराब पी कर बुरी हालत में पकड़े जाने पर पुलिस से माफी मांगनी पड़ी थी। 

भारत में भी कानून लागू करने वाली एजैंसियों को सशक्त बनाने की जरूरत है ताकि वे भी ऐसी ही निर्भीकता से काम कर सकें परंतु इसके साथ ही उन्हें संतुलित रखने की भी जरूरत है ताकि वे निरंकुश न हो जाएं जैसा कि हाल ही में मध्य प्रदेश की पुलिस ने पत्रकारों के एक समूह को थाने में बंद करके तथा ओडिशा की पुलिस ने एक पत्रकार को बेडिय़ों से जकड़ कर किया है।—विजय कुमार 


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