Chhath Puja 2021: जानिए छठ पूजा के दूसरे दिन खरना से जुड़ी खास बातें

punjabkesari.in Tuesday, Nov 09, 2021 - 03:21 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
छठ पूजा का त्योहार भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है प्रत्येक वर्ष यह पर्व कार्तिक मास मैं पढ़ने वाले दिवाली के त्यौहार से 6 दिनों के बाद पड़ता है। अर्थात कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि जिसे छोटी सी भी कहा जाता है को हर वर्ष देश के विभिन्न हिस्सों में छठ मनाया जाता है। धार्मिक शास्त्र के अनुसार यह नहाए खाए की परंपरा से प्रारंभ होता है और इस दौरान लगभग 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखा जाता है तथा उसके उपरांत छठी मैया की आराधना व सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत को पूरा किया जाता है।

बता दे मुख्य तौर पर यह महापर्व पूर्वी उत्तर प्रदेश बिहार और झारखंड में मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दौरान छठी मैया की आराधना करने से व्रत को विधिवत रूप से पूरा करने वाले जातक के जीवन में संतान की प्राप्ति जीवन में समृद्धि तथा दीर्घायु प्राप्त होती है। इसके दूसरे दिन घर में खरना का आयोजन किया जाता है जिससे कुछ मान्यताओं के अनुसार लोहंडा भी कहते हैं। तो आइए जानते हैं कि करना क्या होता है तथा इस दिन का धार्मिक शास्त्रों में क्या महत्व है।

छठ पूजा के दौरान नहाए खाए के उपरांत सूर्य देव और छठी मैया को घर में स्थापित कर उनका विधिवत पूजन किया जाता है जिसके ठीक दूसरे दिन खरना होता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार करना एक प्रकार से शुद्धिकरण की प्रक्रिया मानी जाती है। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के उपरांत अगले दिन 36 घंटे का कठिन व्रत प्रारंभ होता है जिसको सप्तमी की सुबह सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद खोला जाता है।

खरना में महिलाएं नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करती हैं और नाक से माथे तक सिंदूर लगाती हैं।

इस दिन व्रत रखने के बाद संध्या के निशान के समय लकड़ी के चूल्हे पर साठी के चावल और गुड़ की खीर बनाने की परंपरा है।

इस दिन विधिवत पूजा आदि करने के बाद बनाए गए भोजन को महिलाएं ग्रहण करती है तथा प्रसाद के रूप में घर के अन्य सदस्यों में वितरित करती हैं। बता दे इस दिन होने वाली पूजा की सामग्री में मौसमी फलों और सब्जियों का खास तौर पर प्रयोग किया जाता है।

इसके अलावा इस दिन परसाद के रूप में गन्ने का रस गुड़ में बनी मिठाई चढ़ाई जाती है तथा पूड़िया ठेकुआ और खजूर भी बनाया जाता है।

तो वहीं कुछ घरों में इस दिन कई चावल का पिट्ठा भी बनाया जाता है। 

इस दिन दिन भर व्रत करने व रात को पूजा आदि करने के बाद यह का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ होता है।

इस दिन से छठ पूजा समाप्त होने तक व्रत रखने वाली महिलाएं जमीन पर चादर बिछा कर सोती हैं और सप्तमी को पारण रर व्रत खोलती हैं।


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Content Writer

Jyoti

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