Dharmik Katha: ‘नाम’ में क्या रखा है

punjabkesari.in Tuesday, Jan 11, 2022 - 05:34 PM (IST)

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एक साधु का शिष्य था जिसका नाम ‘बांकेलाल’ था। एक दिन उसने साधु को कहा, ‘‘महाराज मुझे अपने नाम से नफरत है इसलिए मैं इसे बदल कर कोई दूसरा नाम रखना चाहता हूं।’’

इस पर साधु ने कहा, ‘‘जाओ विश्व का भ्रमण करो और पता लगाओ कौन-कौन से नाम चल रहे हैं। उसके बाद ही अपने लिए नाम का चयन करो।’’

जैसे साधु ने कहा वैसा ही शिष्य ने किया। उसे एक भिखारी मिला। उसे यह जानकार आश्चर्य हुआ कि उस भिखारी का नाम ‘धन्नालाल’ था।

दूसरे दिन उसे रास्ते में जोरों से रोता हुआ एक आदमी मिला। उसने पूछा कि आखिर वह क्यों दुखी है? उसे जवाब मिला, ‘‘मुझे कारोबार में बहुत घाटा हुआ है।’’ उसने उसका नाम पूछा तो उसने कहा कि उसका नाम ‘भाग्यशाली’ है।

उसे एक अपराधी मिला जिसको राजा के आदेश के अनुसार फांसी की सजा हुई धी। अपराधी का नाम ‘कल्याण’ था। वह अपने आश्रम में लौट आया और साधु से बोला, ‘‘मैंने अपना मन बदल लिया है। नाम में क्या है इसलिए मेरा नाम ‘बांकेलाल’ ही ठीक है।’’


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Content Writer

Jyoti

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