क्रिकेट हिस्ट्री : वो बदनसीब क्रिकेटर जो एक मैच ही खेल पाया

punjabkesari.in Wednesday, Jan 10, 2018 - 02:28 PM (IST)

जालन्धर : गली-मोहल्ला क्रिकेट खेलते वक्त अक्सर हमारे साथ ऐसा खिलाड़ी होता है जो फील्डिंग करते वक्त ख्यालि पुलाव बनाने में ज्यादातर डूबा रहता है। अपनी इसी खूबी के कराण यह खिलाड़ी ढीली फील्डिंग, बैटिंग या बॉलिंग को लेकर अपने सीनियर खिलाडिय़ों के निशाने पर बना रहता है। इनका महत्वपूर्ण मौकों पर कैच छोडऩा, आऊट हो जाना किसी को रास नहीं आता। लेकिन सब विरोधों को पीछे पछाड़ यह खिलाड़ी अपना स्वाभाविक खेल जारी रखता है। कुछ ऐसे ही स्वभाव का मालिक था- ऑस्ट्रेलिया का ह्यूग मोट्ले थुरलो। थुरलो ने सिर्फ एक टैस्ट ही खेला लेकिन इस टैस्ट से वह इतने बदनाम हो गए कि वापसी ही नहीं कर पाए। मैच में जो हुआ उसे हालांकि थुरलो की बदनसीबी ही कहेंगे लेकिन थुरलो वाला घटनाक्रम आज भी हमें गली-मोहल्ला क्रिकेट में उस बेचारे बच्चे की याद दिला देता है जो अकारण ही बड़े बच्चों से झिड़के खाता है। 

थुरलो ने क्या किया था करनामा, जानें-

अब हम थुरलो के कारनामे के बारे में बताते हैं। बात 1903 की है। ऑस्ट्र्रेलिया टीम एडिलेड के मैदान में साऊथ अफ्रीका के खिलाफ खेल रही थी। इस मैच में भी ऑस्ट्रेलिया के महान बल्लेबाज सर डॉन ब्रैडमैन अपने पूरे रुआब में दिख रहे थे। स्टेडियम के चारों तरफ उन्होंने अपने चित-परिचित  अंदाज में शॉट लगाए। रोचक घटनाक्रम तब घटित हुआ जब ऑस्ट्रेलिया के 9 विकेट गिर गए और 10वें नंबर पर थुरलो बैटिंग करने आए। 

बड़ी बात यह थी कि उस वक्त डॉन ब्रैडमैन टैस्ट क्रिकेट में अपना तीसरा तिहरा शतक  बनाने की कागार पर खड़े थे। वह 299 पर नॉट आऊट थे। तभी थुरलो एक रन बनाने के चक्कर में रन आऊट हो गए। क्योंकि थुरलो 10वें नंबर पर बल्लेबाजी करने आए थे इसलिए टीम ऑल आउट होने के कारण ब्र्रैडमैन तीसरा तिहरा शतक नहीं बना पाए। थुरलो को काफी कोसा गया। हालांकि थुरलो के पक्ष में कुछ लोग भी आए लेकिन महत्वपूर्ण मौके पर आऊट होना एक तरह से थुरलो की बदनसीबी ही मानी गई। शायद यही एक कारण था कि थुरलो इस टैस्ट के बाद कभी भी ऑस्ट्रेलियाई टीम में वापसी नहीं कर पाए। 

मॉडर्न जमाने का थुरलो कौन? 
 

वैधानिक चेतावनी : इसका सईद अजमल के वो फेम्स ड्रॉप कैच से कोई ताल्लुक नहीं है।

रवि शास्त्री ने आज लगाया था तेज दोहरा शतक

भारतीय टीम के नए कोच रवि शास्त्री ने आज ही के दिन 1985 में रणजी जोनल ट्रॉफी के दौरान बंबई की तरफ से बड़ौदा के खिलाफ खेलते हुए महज 113 मिनट में दोहरा शतक जड़ दिया था। यह वो ही पारी है जिसमें रवि शास्त्री ने तिलक राज की 6 गेंदों पर 6 छक्के मारकर गैरी सोबर्स (1968) की बराबरी की थी। बता दें कि इस पारी से एक सप्ताह पहले ही कोलकाता में इंगलैंड के खिलाफ खेलते हुए उन्होंने 7 घंटे बैटिंग कर शतक लगाया था। धीमी बैटिंग के लिए उनकी आलोचना भी हुई थी। लेकिन रणजी  में अपने शानदार दोहरे शतक की वजह से उन्होंने आलोचना करने वालों को मुंह बंद कर दिया।

बांगलादेश को 35वें टैस्ट में मिली थी जीत

टैस्ट क्रिकेट में पर्दापण के बाद बांगलादेश को उसकी पहली जीत 2005 में आज ही के दिन नसीब हुई थी। चिटगांव में जिम्बाब्वे के खिलाफ खेले गए मैच के दौरान बांगलादेश ने 226 रनों से जीत दर्ज की थी। हबीबूल बशर ने 94 रन तो मोहम्मद रफीक ने 69 रन बनाकर अपनी टीम को मजबूत शुरुआत दी थी। बाद में बांगलादेश के स्पिनरों ने दोनों पारियों में जिम्बाब्वे के ज्यादातर विकेट चटकाकर पहली जीत की नींव रखी। हालांकि इस जीत के बाद अगली जीत के लिए बांगलादेश को 4 साल तक इंतजार करना पड़ा। 2009 में बांगलादेश ने वेस्टइंडीज को हराया था लेकिन तब वेस्टइंडीज अपने तमाम सितारा खिलाडिय़ों के बिना खेल रही थी। क्योंकि वेस्टइंडीज के टॉप प्लेयर अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चल रहे थे।

पहली गेंद पर ली थी विकेट, एक मैच ही खेल पाए

वेस्ट इंडीज के टाइरेल जॉनसन का जन्म आज ही के दिन 1917 में हुआ था जॉनसन को लोग अपने पहले टैस्ट मैच की पहली गेंद पर विकेट लेने वाले गेंदबाज के तौर पर जानते हैं। 1939 में ओवल के मैदान पर खेले गए टैस्ट मैच के दौरान उन्होंने इंगलैंड के ओपन वॉल्टर कीटोन को आऊट किया था। बता दें कि जॉनसन का यह एकमात्र टैस्ट था। इसके बाद उन्होंने टैस्ट क्रिकेट में हिस्सा नहीं लिया।