मोहम्मद अजहरूद्दीन और मनिंदर सिंह ने सुनाए World Cup Semi Final के किस्से, कीवियों को किया सतर्क

punjabkesari.in Tuesday, Nov 14, 2023 - 09:35 PM (IST)

नई दिल्ली : 1987 विश्व कप के सेमीफाइनल में हार से संन्यास ले चुका एक दिग्गज निराश था, एक स्पिनर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पाया। एक कप्तान को अपना पद छोड़ना पड़ा। यह सब वानखेड़े स्टेडियम में हुआ जहां क्रिकेट विश्व कप 2023 के तहत भारत और न्यूजीलैंड की टीमें आमने-सामने होंगी। सेमीफाइनल मुकाबलों के माहौल पर एक शो के दौरान पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन (Mohammad Azharuddin) और मनिंदर सिंह (Maninder Singh) ने बात  की। इंगलैंड के खिलाफ 1987 में खेला गया सेमीफाइनल मुकाबला भारतीय टीम (Team india) ने गंवा दिया था। इंगलैंड के ग्राहम गूच ने स्वीप शॉट का शानदार नमूना पेश कर 115 रन बनाए और इसके बाद इंग्लैंड ने पीछे मुड़कर नहीं देखा था। टीम इंडिया की हार से भारतीय दर्शक काफी निराश थे।

 

लेकिन बुधवार को जब रोहित शर्मा की अगुवाई वाली भारतीय टीम विश्व कप सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड का सामना करेगी तो घरेलू प्रशंसक यही प्रार्थना कर रहे होंगे कि उन्हें निराश होकर घर नहीं लौटना पड़े। भारत ने इसके बाद हालांकि 2 अप्रैल 2011 को वानखेड़े स्टेडियम में ही फाइनल में श्रीलंका को हराकर खिताब जीता था लेकिन 1987 के सेमीफाइनल में शामिल रहे कुछ खिलाड़ियों को उस दिन की हार आज भी कचोटती है।

 

3 विश्व कप में भारत की कप्तानी करने वाले एकमात्र खिलाड़ी मोहम्मद अजहरूद्दीन ने कहा कि मैं अपने करियर में दो बार बेहद आहत हुआ। पहली बार 1987 में वानखेड़े में सेमीफाइनल में हारने पर और दूसरी बार 1996 में ईडन गार्डंस में श्रीलंका से पराजय झेलने पर। उन्होंने कहा कि दोनों अवसर पर हमारी टीम काफी मजबूत थी और हम परिस्थितियों से अच्छी तरह वाकिफ थे। किसी को विश्वास नहीं था कि हम हार जाएंगे। हमने 1987 में 15 रन के अंदर 5 विकेट गंवाए। पाजी (कपिल देव) के आउट होने के बाद मैच का पासा पलट गया।

 

मनिंदर को भी 1987 की हार का मलाल है, लेकिन उनका मानना है क्या अगर उस जमाने में निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) होती तो कहानी भिन्न हो सकती थी। मनिंदर ने कहा कि लोग आज तक कहते हैं कि गूच ने पूरे मैच में हमारी गेंदों को स्वीप किया लेकिन अगर कोई वह मैच देखेगा तो आपको पता चल जाएगा कि वह कई बार टर्न लेती गेंदों से परेशानी में रहा। कुछ गेंद विकेट के करीब से होकर निकल गई। कुछ सीधी गेंद को स्वीप करने के प्रयास में वह चूक गया था लेकिन तब डीआरएस नहीं था। उस समय आपको फ्रंट फुट के लिए एलबीडब्ल्यू (LBW) नहीं मिलता था। उन्होंने कहा कि उस दिन 4-5 खिलाड़ियों की आंखों में आंसू थे। वह टीम बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही थी जैसे कि मौजूदा टीम कर रही है। हम एक दूसरे की सफलता का भरपूर आनंद लेते थे। तो क्या वर्तमान टीम को न्यूजीलैंड से सतर्क रहना चाहिए, मनिंदर ने कहा कि नहीं इस बार न्यूजीलैंड को भारत से सावधान रहना होगा।

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Jasmeet