B'day Special: टूटी स्टिक से शुरू किया खेल, धनराज पिल्लै ने बदल दिया भारतीय हॉकी का चेहरा

punjabkesari.in Thursday, Jul 16, 2020 - 04:02 PM (IST)

स्पोर्ट्स डेस्क: टीम इंडिया के पूर्व हाॅकी कप्तान धनराज पिल्लै आज अपना 52वां जन्मदिन मना रहे है। हाॅकी में भारत की रीड की हड्डी कहे जाने वाले पिल्लै एक शानदार फॉरवर्ड थे। फुर्ती और विपक्षी टीम को छकाने की कला धनराज को खूब आती थी। तो चलिए आज हम आपको उनके बारें में कुछ खास बातों से रूबरू करवाने जा रहे है।

इस तरह सीखी हॉकी

धनराज ने हॉकी का शुरु से काफी शौक था और उन्होंने कॉलोनी के मित्रों के साथ ओएफके मैदान की नरम और धूल-भरी सतह पर टूटी हुई लकड़ियों तथा हॉकी की फेंकी हुई गेंदों के साथ खेलते हुए सीखा और अपनी सफलता का सारा  श्रेय अपनी माँ को दिया। जिन्होंने बेहद गरीब होने के बावजूद अपने पांचों बेटों को हॉकी खेलने के लिए प्रोत्साहित किया।

यूं रहा पिल्लै का हाॅकी करियर

दरअसल, धनराज पिल्लै का करियर दिसंबर 1989 से अगस्त 2004 तक रहा और इस दौरान उन्होंने 339 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले। वे एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिसने चार ओलंपिक खेलों (1992, 1996, 2000 और 2004) चार विश्व कप ,चार चैंपियंस ट्राफी ,चार एशियाई खेल  में भाग लिया है। भारत ने उनकी कप्तानी के तहत एशियाई खेल (1998) और एशिया कप (2003) में जीत हासिल की। सिडनी में 1994 के विश्व कप के दौरान वर्ल्ड इलेवन में शामिल होने वाले एकमात्र भारतीय खिलाड़ी थे।

धनराज पिल्लै की खाख उपलब्धियां

  1. वर्ष 1999-2000 में उन्हें भारत के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया गया।
  2. वर्ष 2000 में उन्हें नागरिक सम्मान पद्म श्री प्रदान किया गया।
  3. 2002 एशियाई खेलों की विजेता हॉकी टीम के सफल कप्तान थे।
  4. कोलोन, जर्मनी में आयोजित 2002 चैंपियंस ट्रॉफी में उन्हें टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी पुरस्कार प्रदान किया गया।



     

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