कोचों को लगता था कि मैं अपना समय बर्बाद कर रहा हूं, सत्यपाल ने पीएम मोदी से बातचीत में किया खुलासा

punjabkesari.in Friday, Sep 13, 2024 - 02:27 PM (IST)

स्पोर्ट्स डेस्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनके आवास पर मिलने के दौरान भारतीय पैरा-एथलीट कोच सत्यपाल सिंह ने खुलासा किया कि नेहरू स्टेडियम के कोच सोच रहे थे कि मैं पैरा एथलीस्ट पर अपना समय बर्बाद कर रहा हूं। भारत ने पेरिस में पैरालंपिक खेलों इतिहास रचते हुए कुल 29 मैडल अपने नाम किए जिसमें 7 गोल्ड, 9 सिल्वर और 13 ब्रांन्ज मैडल शामिल थे। इस उपलब्धि ने टोक्टो 2020 के पैराअंलिपक खेलों का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया जिसमें भारत ने 5 गोल्ड सहित कुल 19 मैडल अपने नाम किए थे। 

सत्यपाल ने पीएम मोदी से बातचीत में कहा, साल 2005-06 में मैंने पैरा-एथलीस्ट को ट्रेनिंग देनी शुरू की। जब मैं नेहरू स्टेडियम में ट्रेनिंग देते जाता था तो अंग की कमियां वाले एक-दो एथलीस्ट्स थे। मैंने देवेंद्र के बारे में सुना और देखा, जिसने पैरालंपिक्स 2004 में गोल्ड जीता था। वहीं से मैंने पैरा स्पोर्ट्स के बारे में पढ़ा और धीरे-धीरे ट्रेनिंग शुरू की। 

उन्होंने कहा, नेहरू स्टेडियम में सभी कोच मुझे अजीब तरह से देखते थे, आश्चर्य करते थे कि मैं दीपा मलिक जी की व्हीलचेयर क्यों धकेल रहा हूं या अंकुर धामा का हाथ पकड़कर उन्हें स्टेडियम में क्यों ला रहा हूं, और मैं पैरा-एथलीटों को क्यों प्रशिक्षित कर रहा हूं। उन्हें लगता था कि मैं अपना समय बर्बाद कर रहा हूं। आज वही कोच जो मेरी आलोचना करते थे, अब पैरा-एथलीटों को प्रशिक्षित करना चाहते हैं। 

हाल ही में संपन्न पेरिस पैरालिंपिक में भारतीय पैरा-ट्रैक और फील्ड एथलीटों ने चार गोल पदक सहित 17 पदक जीते हैं। द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता ने कहा, 'मैंने इस क्षेत्र में कड़ी मेहनत की है और मैं बहुत खुश हूं। आने वाले समय में मैं आपसे वादा करता हूं कि हम 29 पदकों पर नहीं रुकेंगे, बल्कि हम इतनी मेहनत करेंगे कि हम 50 पदक जीतेंगे।' 

भारत के सबसे सफल अंतरराष्ट्रीय कोचों में से एक के रूप में सिंह ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल निकायों के साथ काम किया है। संगठनों के सदस्य के रूप में उनकी भूमिकाएं भारतीय एथलेटिक्स महासंघ के प्रतियोगिता प्रबंधक से लेकर 2007 से कई पैरालिंपिक सहित अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारतीय पैरा-एथलेटिक्स टीम के कोच तक रही हैं। उनकी उपलब्धियों में सबसे कम उम्र के द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता होना और भारत के सबसे सफल अंतरराष्ट्रीय कोचों में से एक होना शामिल है। 
 


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Content Writer

Sanjeev

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