VIDEO- धोनी बल्ला नहीं बदलते तो पहले वनडे में नहीं होनी थी टीम इंडिया की बल्ले-बल्ले
punjabkesari.in Sunday, Mar 03, 2019 - 04:46 PM (IST)
स्पोटर्स डेस्क (अतुल वर्मा): भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच हैदराबाद में खेले गए पहले वनडे मैच में ‘मैन ऑफ द मैच’ बेशक केदार जाधव रहे, लेकिन सीरीज में टीम इंडिया की पहली जीत के हीरो जाहिर तौर पर द वन एंड ओनली एमएस धोनी भी रहे। 100 रन पर टीम इंडिया के 4 विकेट गिरने पर जब क्रिकेट फैन्स की सांसें थमीं तो ऐसी स्थिति में बल्लेबाजी करने आए एमएस धोनी ने अपनी अहम पारी से मैच में जान फूंकी और नाबाद रहकर टीम को 6 विकेट से जीत दिलाई। वहीं अपनी पारी की शुरुआत और आखिर में धोनी अगर अपना बल्ला नहीं बदलते तो टीम इंडिया की बल्ले-बल्ले नहीं होनी थी और मैच मझधार में फंस सकता था। सोच में पड़ गए ना, चलिए आपको विस्तार से बताते हैं।
धोनी ने 2 बार बदला अपना बल्ला, फिर करवाई टीम इंडिया की बल्ले-बल्ले
रोहित शर्मा के आउट होने के बाद महेंद्र सिंह धोनी स्पार्टन की जगह पहली बार एसएस के बल्ले के साथ मैदान में उतरे, शुरुआत में कुछ शॉर्ट्स खेलने के बाद धोनी ने एसएस के बल्ले के साथ थोड़ा असहज महसूस किया। उस समय धोनी 8 रन के स्कोर पर खेल रहे थे।
— DRV (@OyePKMKB) March 2, 2019
ब्रेक के दौरान धोनी ने तुरंत इशारा कर बल्ला मंगवाया और इस बार उन्होंने अपना स्पार्टन का ही बल्ला थामा। बता दें कि इस कंपनी के बल्ले से ही माही पिछले कई साल से खेल रहे हैं। कुछ गेंदे और खेलने के बाद धोनी ने फिर अपना फैसला बदला और फिर एसएस के बल्ले पर आते हुए इसी से खेलने का फैसला किया। इसके बाद धोनी ने कूल्टर-नाइल को 38वें ओवर में अपना जलवा दिखाया और कूल्टर नाइल की दूसरी गेंद पर गगनचुंबी छक्का जड़कर कोहली-रोहित को पीछे छोड़ते हुए सिक्सर किंग बने।
MS Dhoni finishes it off in style.
— BCCI (@BCCI) March 2, 2019
Kedar Jadhav (81*) and MS Dhoni (59*) hit half-centuries as #TeamIndia win by 6 wickets and take a 1-0 lead in the 5 match ODI series #INDvAUS pic.twitter.com/HHA7FfEDjZ
धोनी इसके बाद रुके नहीं और अपने पूरे रंग में आते हुए धोनी ने अपनी 71वीं हॉफ सेंचुरी भी पूरी की, केदार जाधव के साथ मिलकर पहली बार 5वीं विकेट के लिए 141 रनों की नाबाद अहम पारी खेली और टीम इंडिया को 6 विकेट से जीत दिलाकर सीरीज में 1-0 से बढ़त दिलाई।
इसमें कोई दोराय नहीं कि अगर धोनी आखिर में बल्ला बदलने का फैसला नहीं लेते और उसी बल्ले से ही असहज होकर खेलते तो वो टीम इंडिया के लिए बड़ी चूक साबित हो सकती थी, लेकिन धोनी ने कोई चूक नहीं होने दी और मैच जिताकर फिर जता दिया कि अगर वो क्रिज पर मौजूद हैं तो सब मुमकिन है, फिर चाहे परिस्थितियां जैसी भी हों।