धोनी ने दी थी गांगुली को आखिरी टेस्ट में कप्तानी, दादा कर्ज उतारने से चूके

punjabkesari.in Thursday, Jan 16, 2020 - 05:03 PM (IST)

नई दिल्ली : धोनी को उनका बनता सम्मान मिलेगा। यह शब्द बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने तब कहे थे जब यह प्रतिष्ठित पद संभालने के बाद पत्रकारों ने उनसे धोनी के भविष्य बाबत पूछा था। लेकिन अब मौजूदा घटनाक्रम में गांगुली का यह दावा बीसीसीआई केंद्रीय अनुबंध सूची में चकनाचूर होता नजर आ रहा है। महेंद्र सिंह धोनी को अनुबंध सूची से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। बताया गया कि धोनी ने 6 महीने से कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेला है। ऐसे में उनका अनुबंध बन नहीं सकता था। 

बीसीसीआई के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि केंद्रीय अनुबंध सूची से महेंद्र सिंह धोनी को बाहर करना तय था और उन्हें राष्ट्रीय चयन समिति ने सूची को अंतिम रूप देने से पहले इसकी जानकारी दे दी थी। पूर्व कप्तान अगर इस साल टी-20 टीम में शामिल होते हैं तो उन्हें सूची में फिर जगह मिल सकती है हालांकि इसकी संभावना कम है। दो बार के विश्व कप विजेता 38 वर्षीय पूर्व कप्तान का सूची से बाहर होना चौकाने वाला नहीं है क्योंकि वह लंबे समय से क्रिकेट नहीं खेल रहे हैं।

अधिकारी ने कहा कि मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि बीसीसीआई के शीर्ष पदाधिकारियों में से एक ने धोनी से बात करके उन्हें केंद्रीय अनुबंधों के बारे में बताया था। उन्हें साफ तौर पर बताया गया कि चूंकि उन्होंने सितंबर 2019 से अब तक कोई मैच नहीं खेला है तो उन्हें सूची में नहीं रखा जा सकता। यह पूछने पर कि बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली, सचिव जय शाह और सीईओ राहुल जोहरी में से किसने धोनी से बात की, अधिकारी ने बताने से इनकार कर दिया।

अधिकारी ने कहा कि धोनी आस्ट्रेलिया में होने वाले टी-20 विश्व कप की टीम में जगह बनाते हैं तो उन्हें ‘प्रो राटा’ आधार पर अनुबंध दिया जा सकता है। मौजूदा नियम के तहत उसी खिलाड़ी को केंद्रीय अनुबंध दिया जा सकता है जिसने कम से कम 3 टेस्ट या 8 वनडे खेले हों। वह इतने टी-20 मैच खेलते हैं तो भी सूची में शामिल हो सकते हैं। 

जब धोनी ने दी थी गांगुली को कप्तान


भारत को दो बार विश्वकप जिताने वाले धोनी को इस तरह केंद्रीय अनुबंध से बाहर किए जाने के बाद बरबस वह घटना याद आ जाती है जब धोनी ने गांगुली को उनके आखिरी टेस्ट के अंतिम दिन भारत की कप्तानी संभालने का मौका दिया था। बात 2008 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ नागपुर टेस्ट की है। गांगुली का यह अंतिम टेस्ट था, उन्होंने चार टेस्टों की इस सीरीज से पहले ही कह दिया था कि यह उनकी आखिरी सीरीज होगी। गांगुली सीरीज़ के चारों टेस्टों में खेले और उन्होंने कुल 324 रन बनाए। गांगुली ने नागुपर में अपने अंतिम टेस्ट में 85 और शून्य स्कोर किया। आखिरी टेस्ट में भारत को जीत के लिए एक विकेट की जरूरत थी और जब भारतीय टीम इस मैच में अंतिम बार मैदान पर कदम रख रही थी तो धोनी ने अभूतपूर्व पहल करते हुये गांगुली से आग्रह किया कि वह अपने नेतृत्व में टीम को मैदान पर ले जाएं और अपने हिसाब से फील्ड को सजाएं। भारत ने यह मैच जीतकर 2-0 से बार्डर-गावस्कर ट्रॉफी को बरकरार रखा।

गांगुली को मिली सम्मानजनक विदाई 


भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक गांगुली को धोनी ने उनके अंतिम टेस्ट में सम्मानजनक विदाई का जो मौका दिया उसे भारतीय क्रिकेट का एक स्वर्णिम अध्याय माना जाता है। लेकिन मौजूदा समय में बीसीसीआई के अध्यक्ष धोनी के साथ वैसा व्यवहार नहीं कर पाए जैसा धोनी ने उनके साथ नागपुर टेस्ट में किया था। 

विराट भी कर्ज उतारने से चूके


गांगुली की तरह भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान कोहली भी धोनी का कर्ज उतारने से चूक गए। वर्ष 2014 के इंग्लैंड दौरे में धोनी कप्तान थे और इस पूरेे दौरे में विराट का बल्ला फ्लॉप रहा था। दौरे में टेस्ट और वनडे की कुल 14 पारियों में विराट के बल्ले से एक भी अर्धशतक नहीं निकला था। विराट ने टेस्ट सीरीज में 1, 8, 25, 0, 39, 28, 0, 7, 6, 20 और वनडे में 0, 40, नाबाद 1, 13 रन बनाए थे। इस फ्लॉप प्रदर्शन के बावजूद धोनी ने लगातार विराट का बचाव करते हुये कहा था कि उन्हें सिर्फ एक अच्छी पारी की जरूरत है। विराट ने उसके बाद घर लौटकर धर्मशाला में विंडीज के खिलाफ शतक बनाया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। लेकिन आज स्थिति यह है कि न तो गांगुली और न ही विराट धोनी के साथ खड़े हैं।

धोनी की उपलब्धियां


धोनी भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक, दो बार के विश्वकप विजेता, चैंपियंस ट्रॉफी विजेता, भारत को टेस्ट रैंकिंग में नंबर एक पर ले जाने वाले कप्तान और सबसे सफल विकेटकीपर बल्लेबाज रहे हैं। धोनी की कप्तानी में भारत ने 2007 में पहला टी-20 विश्वकप जीता और फिर 28 साल बाद 2011 में एकदिवसीय विश्वकप जीता। उनकी कप्तानी में भारत ने 2013 में चैंपिंयस ट्रॉफी पर कब्जा किया।

Jasmeet