यूं ही नहीं पाया सौरभ चौधरी ने ''गोल्ड'', इसके पीछे है उनकी कड़ी मेहनत

punjabkesari.in Tuesday, Aug 21, 2018 - 01:56 PM (IST)

नई दिल्लीः मेहनत का रंग एक दिन जरूर बिखरकर सामने आता है, पर जरूरत होती है धैर्य रखने की। उत्तरप्रदेश के मेरठ जिले के रहने वाले 16 वर्षीय निशानेबाज सौरभ चौधरी ने मंगलवार को एशियाड में गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया है। सौरभ ने 10 मीटर एयर राइफल पिस्टल स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता। सौरव एशियन गेम्स की शूटिंग गेम्स में गोल्ड जीतने वाले पांचवें शूटर हैं। उन्होंने गोल्ड यूं ही नहीं पाया, इसके पीछे उनकी खेल के प्रति लग्न आैर कड़ी मेहनत है।

8 घंटे तक करते थे प्रैक्टिस
साैरभ बहुत ही साधारण परिवार से हैं। उनके पिता जगमोहन सिंह किसान हैं, जबकि माता ब्रजेश गृहिणी देवी घर का कामकाज संभालती हैं। सौरभ ने कक्षा चार में रहते हुए शूटिंग में दिलचस्पी दिखाई, जिसके बाद पिजा ने बागपत के बिनौली में स्थित वीर सहामल राइफल क्लब में शूटिंग की ट्रेनिंग के लिए भेजा। वहां कोच अमित श्योरन ने ट्रेनिंग दी। सौरभ प्रतिदन गांव से ऑटो द्वारा सुबह सात बजे शूटिंग क्लब पुहुंच जाते और आठ नौ घंटे से भी ज्यादा अभ्यास करते। 

सौरभ ने जैदाबाद बागपत के आदर्श विद्यापीठ  इंटर कॉलेज से हाई स्कूल किया है। वर्तमान में तोलाहन इंटर कॉलेज के छात्र हैं। उनके घर में उनके बड़े भाई आैर बहन हैं। बहन साक्षी की शादी हो चुकी है। इस समय सौरभ कक्षा दस के छात्र हैं। सौरभ के बड़े भाई नितिन ने बताया कि सौरभ को बचपन से ही निशाने लगाने का शौक था। वह गांव और आसपास लगने वाले मेलों में जाकर गुब्बारों पर निशाना लगाता था और वहां से इनाम जीतकर लाता था। वर्ष 2015 में जब सौरभ 13 साल का था तब उसने पहली बार शूटिंग की प्रैक्टिस शुरू की थी। बड़ौत के पास बिनौली में वीरशाहमल राइफल क्लब में प्रैक्टिस शुरू की।

कोच के गन से की प्रैक्टिस
परिजन बताते है कि कभी उनके पास गन खरीदने के लिए पैसे नहीं होते थे, तो तब साैरव अपने कोच अमित की गन से प्रैक्टिस करता था। परिवार को जब बाद में साैरव की काबिलियत का एहसास हुआ तो उन्होंने 1 लाख 75 हजार की गन खरीदकर दी। वहीं कोच का कहना है, ''साैरभ कभी हार नहीं मानता था, अगर वो निशाना लगाने से चूक जाता था तो कई घंटों तक उसको टारगेट करने की प्रैक्टिस में जुटा रहता था। मुझे विश्वास था कि वो कभी गोल्ड जीतकर लाएगा आैर अब मैं खुश हूं कि उसने एशियन में पहले खेल चुके खिलाड़ी को पराजित किया। '' सौरभ ने स्टेट और नेशनल लेबल की कई प्रतियोगिता अपने कोच की गन से प्रैक्टिस करने के बाद ही जीती।

ऐसे दिलाया गोल्ड
भारत ने मौजूदा एशियाई खेलों में शूटिंग स्पर्धा से पहला गोल्ड मेडल जीता। सौरभ का अंतिम-2 में मुकाबला जापान के मत्सुदा से था। जापानी निशानेबाज का दो में से पहला शॉट 8.9 पर जाकर लगा, जिससे भारतीय निशानेबाज को लाभ मिला। सौरभ ने इस मौके को जाने नहीं दिया और दोनों हाथों से लपकते हुए देश को खुशियां दी। सौरभ ने फाइनल में 240.7 का स्कोर किया और शीर्ष पर रहते हुए गोल्ड मेडल जीता।

यह भी जानें-
तीन साल पहले सौरभ ने शूटिंग चुनी थी।
आईएसएसएफ डैब्यू : एशियन चैम्प्यिनशिप, तेहरान 2016
रिकॉर्ड : सौरव एशियन गेम्स की शूटिंग गेम्स में गोल्ड जीतने वाले पांचवें शूटर हैं।
ट्रेनिंग : मेरठ से 53 किमी. दूर बागपत के बिनोली गांव की अमित श्योरेन अकादमी से।
जूनियर रिकॉर्ड : 243.7 प्वाइंट जर्मनी में हुए आईएसएसएफ जूनियर वर्ल्ड कप में।
यूथ ओलिम्पिक : सौरव ने यूथ ओलिम्पिक गोल्ड में भी क्वालिफाई कर दिया है।

Rahul