FIFA 2022 Special : खरे सोने से बनी थी ग्रीक देवी की मूर्ति, 1966 में चोरी हुई तो कुत्ते ने ढूंढी

punjabkesari.in Wednesday, Nov 09, 2022 - 03:12 PM (IST)

खेल डैस्क : कतर के 10 स्टेडियम में 20 नवंबर से 18 दिसंबर तक फुटबॉल का सबसे बड़ा टूर्नामैंट फीफा विश्व कप शुरू हो जाएगा। 2018 फीफा विश्व कप के मुकाबले इस बार टूर्नामैंट का बजट करीब 10 गुणा ज्यादा है। कम लोगों को पता है कि फीफा विश्व कप की ट्रॉफी 1966 में चोरी हो गई थी। इंगलैंड में होने वाले इस विश्व कप से पहले एक लाइनमैन और उसके कुत्ते ने इसे ढंूढा। बता दें कि फीफा विश्व कप जब शुरू हुआ था तो ट्रॉफी के डिजाइन में ग्रीक देवी नाइके की मूर्ति थी जोकि खरे सोने से बनी थी। 1974 में इसका डिजाइन बदला गया। आइए इस ट्रॉफी का इतिहास जानते हैं... 

 

 

जूते के डिब्बे में छिपाकर रखी ट्रॉफी
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जूल्स रिमेट ट्रॉफी चोरी होने का डर था। ऐसे में सुरक्षा के लिए उस समय फीफा के वाइस प्रैसिडैंट ओटोरिनो बारासी ने रोम में एक बैंक की तिजोरी से ट्रॉफी निकालकर अपने बिस्तर के नीचे एक जूते के डिब्बे में छिपा दी। इसे 1950 में बाहर निकाला गया। तब बारासी ने 1950 संस्करण की मेजबानी के लिए संचालन का नेतृत्व किया था। 

इंगलैंड में चोरी हो गई ट्रॉफी 
20 मार्च, 1966 को ट्रॉफी अपने डिसप्ले कैबिनेट से गायब हो गई। ट्रॉफी की कीमत तब 30,000 पाऊंड थी। फिर लंदन क्लब चेल्सी एफसी के चेयरमैन जोई मियर्स को फिरौती का खत मिला। इसमें जैक्सन नामक शख्स ने 15 हजार पाऊंड मांगे और सबूत के तौर पर ट्रॉफी का ऊपर से हटाने योग्य हिस्से भेज दिया। पुलिस ने फिल्मी सीन की तरह ट्रैप लगाकर एडवर्ड बेचले नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। बेचले ने बताया कि असली चोर वो नहीं है, वह तो बिचौलिए का काम कर रहा था। असली चोर ‘द पोल’ नामक एक शख्स है। लेकिन ट्रॉफी फिर भी बरामद नहीं हुई।

कार के नीचे मिली ट्रॉफी
जूल्स रिमेट ट्रॉफी की तलाश हर ओर थी। इसी बीच थेम्स लाइटरमैन डेविड कॉर्बेट लंदन के बेउला हिल शहर में अपने कुत्ते पिकल्स के साथ सैर पर निकले थे। कॉर्बेट जब टैलीफोन बूथ पर बिजी हुआ तो उसके 4 साल के कुत्ते ने एक कार के नीचे अखबार और तारों से लिपटा एक पैकेज सूंघा। कॉर्बेट ने इसे खोला तो इसमें विश्व कप की ट्रॉफी मिल गई। 

कॉर्बेट को कर लिया गया गिरफ्तार
कॉर्बोट ट्रॉफी को उठाकर पत्नी के साथ पहुंचा जोकि खेलों से नफरत करती थी। उन्होंने पत्नी से कहा- मुझे विश्व कप मिल गया है! हमने फैसला लिया कि इसे स्थानीय पुलिस स्टेशन में दिया जाए। लेकिन पुलिस ने उन्हें चोरी के शक में गिरफ्तार कर लिया। हालांकि घटना के वक्त मेरे साथ एक और शख्स मौजूद था जिसकी गवाही के बाद मुझे केस से बाहर निकाल दिया गया। 

इंगलैंड ने जीता विश्व कप 
विश्व कप ट्रॉफी ढूंढकर कॉर्बेट और पिकल्स दोनों ही नैशनल हीरो बन गए। इस विश्व कप में इंग्लैंड ने फाइनल मुकाबले में जर्मनी को हराकर घरेलू धरती पर विश्व कप जीता था। यह थ्री लायंस की एकमात्र विश्व कप जीत थी। इंगलैंड टीम के जश्न में कॉर्बेट के साथ पिकल्स को भी बुलाया गया था।


जूल्स रिमेट ट्रॉफी बनाम कूप डू मोंडे 
1930 से 1970 तक फीफा कप विजेता को जूल्स रिमेट ट्रॉफी दी जाती थी। ब्राजील इसे 3 बार (1958, 1962 और 1970) जीता। 1974 में इसका डिजाइन बदला गया जो अब तक बदला नहीं गया है। 

जूल्स रिमेट ट्रॉफी 1930-1970 
फीफा विश्व कप ट्रॉफी की शुरुआत विश्व फुटबॉल शासी निकाय फीफा के तीसरे अध्यक्ष जूल्स रिमेट के साथ हुई। उन्होंने 1928 में फुटबॉल विश्व कप की योजना बनाई। प्रतियोगिता के लिए ट्रॉफी को डिजाइन करने का कार्य फ्रांसीसी मूर्तिकार एबेल लाफलेउर को सौंपा गया। लाफलेउर के डिजाइन में जीत की ग्रीक देवी नाइके की एक सोने की मूर्ति थी, जिसके सिर पर एक अष्टकोणीय कप था। उसके गले में माला थी। यह नाइके ऑफ सैमोथ्रेस से प्रेरित था, जो हेलेनिस्टिक युग की प्रतिष्ठित ग्रीक मूर्ति है। इसे पेरिस में लौवर संग्रहालय में रखा गया है।
 


कूप डू मोंडे 1974 से...
वर्तमान में मिलने वाली ट्रॉफी को मूल रूप से विक्ट्री कहा जाता है। इसे फ्रैंच भाषा में कूप डू मोंडे भी कहा जाता था। 
35 सैमी. ऊंचाई 
3.8 किलो. वजन 
निर्माण : गोल्ड प्लेटेड स्टर्लिंग सिल्वर से बनती है। इसमें लैपिस लजुली नामक कीमती पत्थर भी लगा है। इसके आधार के चारों तरफ सोने की प्लेटें हैं जिसपर प्रत्येक संस्करण के बाद विजेता देशों के नाम होते हैं।

Content Writer

Jasmeet