ग्लोकोज पीकर प्रैक्टिस करती थी दिव्या काकरण, 68 किलोग्राम कुश्ती में जीता ब्रॉन्ज
punjabkesari.in Friday, Apr 13, 2018 - 02:48 PM (IST)
जालन्धर : कॉमनवैल्थ गेम्स में कुश्ती के 68 किलोग्राम वर्ग में भारत की दिव्या काकरण ने इतिहास रचते हुए ब्रॉन्ज मैडल पर कब्जा जमा लिया है। दिव्या का मुकाबला बांगलादेश की शैरीन सुलताना के साथ था। जिसे उन्होंने 4-0 से जीत लिया। बेहद साधारण परिवार से निकली दिव्या पहली बार तब चर्चा में आई थी जब यूपी में एक नामी दंगल दौरान उन्होंने पुरुष पहलवान को चित कर दिया था। दिव्या के इलाके में उनकी पहचान ही ऐसे पहलवान के रूप में हैं जो नामी दंगलों में लड़कों से टक्कर लेती है।
दिव्या का भाई भी कुश्ती का खिलाड़ी रहा है, ऐसे में बचपन में भाई को दंगल में जाता देख दिव्या ने भी घर में ही प्रैक्टिस शुरू कर दी। दिव्या के पिता सूरज पहलवान घर में आर्थिक तंगी के कारण अब पहलवानों के लंगोट सिलकर घर का खर्चा चलाते हैं। यूपी के जिला मुज्जफर नगर के गांव पुरबालियान की रहने वाली दिव्या ने महज आठ साल की उम्र से ही अखाडा गुरु राजकुमार गोस्वामी व बाद में अखाड़ा गुरु प्रेमनाथ में कुश्ती कला में निपुणता हासिल की।
And here comes another medal in our kitty!
— SAIMedia (@Media_SAI) April 13, 2018
Divya Kakran just grabbed a ?? medal in women's 68kg category wrestling.
The women of our nation have made us walk with our heads held high in pride!
Many congratulations! ???????? #IndiaAtCWG #CWG2018 #GC2018Wrestling #SAI pic.twitter.com/jaGmyjXfmF
दिव्या ने कुश्ती में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। उन्होंने मिट्टी, मैट के दंगलों में, महिला ही नहीं पुरुष पहलवानों को भी चित कर कुश्तियां जीती हैं। अपनी सफलता की कहानी बताते हुए दिव्या ने एक बार एक इंटरव्यू में बताया कि घर की आर्थिक हालात अच्छी नहीं थी। भाई भी कुश्ती करता था ऐसे में अच्छी डाइट मिलना मुश्किल होता था। मैंने ऐसे कई दिन देखे हैं जब दूध न मिलने पर ग्लोकल पीकर प्रैक्टिस के लिए जाया करती थी।