पिता की मौत के बाद पड़ोसी ने पाला था गोविंदन को, 10 हजार मीटर रेस में छीना ब्रॉन्ज

punjabkesari.in Sunday, Aug 26, 2018 - 08:00 PM (IST)

जालन्धर : एशियन गेम्स की 10 हजार मीटर रेस में ब्रॉन्ज जीतकर डिसक्वालिफाई हुए गोविंदन लक्षमण ने लंबे संघर्ष के बाद सफलता हासिल की थी। 28 साल के गोविंदन अभी 2017 में हुई एशियन चैम्पियनशिप की 10 हजार मीटर रेस में गोल्ड जीतकर चर्चा में आए थे। गोविंदन ने न सिर्फ 10 हजार मीटर बल्कि पांच हजार मीटर में भी गोल्ड जीता था। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि सफलता पाने के लिए गोविंदन ने कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा था। अब एशियन गेम्स में एक बार फिर से किस्मत ने उन्हें दगा दे दिया। वह ब्रॉन्ज मैडल जीत चुके थे। पोडियम में उन्हें मैडल भी मिल चुका था लेकिन ऐन मौके पर गेम प्रबंधन ने उन्हें एक छोटी सी अनियमिता के कारण रेस से डिसक्वालिफाई कर दिया। दरअसल रेस के दौरान गोविंदन का पैर सफेद लाइन से बाहर चला गया था। नियम के अनुसार ऐसा किया नहीं जा सकता। गोविंदन को अपनी इस छोटी सी गलती का भयंकर परिणाम भुगतना पड़ा। इसके बाद गोविंदन भी काफी मायूस दिखे।

दरअसल गोविंदन जब छह साल का था तो उनके पिता की कार हादसे में मौत हो गई थी। उनकी मां घरों में कामकाज कर उसका पेट पालती थी। ऐसे समय में गोविंदन के पड़ोसी एस. लोगानॉथन ने उसकी परवरिश की जिम्मेदारी उठाई। लोगानॉथन ने न सिर्फ गोविंदन को पढ़ाया बल्कि उसको खेलों में भी उत्साहित किया।

स्कूल से नैशनल स्तर तक गोविंदन ने कई रिकॉर्ड तोड़े। 2015 में उन्होंने पहली बार वुहान एशियन चैम्पियनशिप की 10 हजार मीटर रेस में हिस्सा लिया था। इसमें उन्होंने सिल्वर तो पांच हजार मीटर में ब्रॉन्ज मैडल जीता था। गोविंदन भारत के तीसरे दौडाक है जिन्होंने एशियन चैम्पियनशिप में गोल्ड जीता है। लंदन वल्र्ड चैम्पियनशिप में उन्होंने रिकॉर्ड 13.35.69 मिनट में दौड़ पूरी की थी।

एथलेटिक्स फैडरेशन ने जताया विरोध

10 हजार मीटर रेस में भारत को ब्रॉन्ज दिलाने वाले गोविंदन से ब्रॉन्ज मैडल छीनने से एथलेटिक्स फैडरेशन ऑफ इंडिया भी नाराज दिख रही है। फैडरेशन ने एशियम गेम्स के गोविंदन को डिसक्वालिफाई करने के फैसले के खिलाफ याचिका डाल दी है। जांच के बाद इसपर फैसला आएगा।

Jasmeet