ग्रैंडमास्टर रमेश ने भारतीय कोचों को सरकार से मान्यता नहीं मिलने पर नाराजगी जताई

punjabkesari.in Saturday, Jul 11, 2020 - 06:01 PM (IST)

चेन्नई : अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (एआईसीएफ) के मुख्य चयनकर्ता पद से हाल ही इस्तीफा देने वाले ग्रैंडमास्टर आर बी रमेश ने शनिवार को सरकार से घरेलू कोचों को मान्यता मिलने में कमी की आलोचना करते हुए कहा कि देश को कई पदक विजेता खिलाड़ी देने के बाद भी राष्ट्रीय पुरस्कारों में उनकी अनदेखी की जाती है।

चेन्नई के रमेश युवा प्रतिभाशाली खिलाड़ी आर प्राग्गाननंधा, उनकी बहन वैशाली, राष्ट्रीय चैंपियन अरविंद चितम्बरम और कार्तिकेयन मुरली को कोचिंग देते है। उन्होंने प्रतिद्वंद्वी गुटों के अधिकारियों के कथित हस्तक्षेप का हवाला देते हुए मंगलवार को एआईसीएफ के मुख्य चयनकर्ता के पद से इस्तीफा दे दिया था।

उन्होंने कई ट्वीट कर कहा- भारतीय टीम के कोच या भारतीय खिलाड़ियों के कोच के पुरस्कार के बारे में जितना कम कहा जाए उतना अच्छा होगा। पिछले 15 वर्षों में मुझे (और कुछ अन्य भारतीय कोचों को छोड़कर) पदक विजेता खिलाड़ी तैयार करने के लिए कोई पुरस्कार नहीं मिला।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ नीचे दी गयी उपलिब्धियों के बाद भी मुझे केन्द्र सरकार से एक भी पुरस्कार नहीं मिला। 1. विश्व युवा पदक = 34, 2. एशियाई युवा पदक = 40, 3. राष्ट्रमंडल पदक = 23, 4. राष्ट्रीय खिताब = 36, 5. एशियाई सीनियर पदक = 5, 6. शतरंज ओलंपियाड में कांस्य पदक। क्या कोई नीति है? ’’
रमेश ने भारतीय कोचों के अपने विदेशी समकक्षों की तुलना में कम पारिश्रमिक प्राप्त करने की पूर्व प्रणाली की आलोचना की जिसे खेल मंत्रालय ने हाल ही में समाप्त करने का फैसला किया। मंत्रालय ने हाल ही में भारतीय कोचों की दो लाख रुपये की वेतन की ऊपरी सीमा को हटा दिया ताकि उन्हें अपने विदेशी समकक्षों के पास लाया जा सके।

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PTI News Agency