Flashback 2022 : "हर मैदान फतेह", भारत ने शुरू से अंत तक किया शानदार प्रदर्शन

punjabkesari.in Saturday, Dec 31, 2022 - 07:32 PM (IST)

नई दिल्ली: भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच सेंचुरियन टेस्ट का आखिरी दिन, 30 दिसंबर 2021 भारत ने मेज़बान टीम को 113 रन की करारी शिकस्त देकर साल का यादगार अंत किया। यह न सिर्फ सेंचुरियन पार्क में भारत की पहली जीत थी, बल्कि यह भारतीय खेल परिद्दश्य में एक ऐतिहासिक और रिकॉर्ड-तोड़ साल की शुरुआत की दस्तक भी थी। भारत ने 2022 में अलग-अलग खेल विधाओं में कई कीर्तिमान रचे और कई रिकॉर्ड तोड़े। 

इस सिलसिले की शुरुआत 20 मार्च को ऑल इंग्लैंड ओपन में लक्ष्य सेन के रजत पदक जीतने के साथ हुई। उत्तराखंड से आने वाले 20 वर्षीय बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य भले ही अपने पहले सुपर 1000 फाइनल में टोक्यो ओलंपिक चैंपियन विक्टर एक्सलसन से हार गये, लेकिन वह 21 साल बाद ऑल इंग्लैंड ओपन चैंपियनशिप में चांदी जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी भी बने। लक्ष्य और भारतीय बैडमिंटन का सफर यहीं नहीं रुका और भारत की पुरुष टीम ने थॉमस कप में ऐतिहासिक जीत दर्ज की। फाइनल में लक्ष्य के अलावा किदांबी श्रीकांत और चिराग शेट्टी-सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी की जोड़ी ने भी शानदार प्रदर्शन किया और भारत को 73 साल में पहली बार यह टूर्नामेंट जिताया। 

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राष्ट्रमंडल खेलों के टीम आयोजन में जहां भारतीय बैडमिंटन ने चांदी का तमगा हासिल किया, वहीं लक्ष्य, पी वी सिंधू और सात्विक-चिराग की जोड़ी ने अपनी-अपनी प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक जीते। अपने स्वर्णिम दौर से गुजर रही सात्विक-चिराग की पुरुष युगल जोड़ी यहां भी नहीं रुकी और उन्होंने विश्व चैंपियनशिप (कांस्य) एवं फ्रेंच ओपन (स्वर्ण) में ऐतिहासिक पदक जीतकर 2022 पर अपनी छाप छोड़ी। एक साल पहले टोक्यो ओलंपिक में देश का एकमात्र स्वर्ण पदक जीतने वाले भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने भी इस साल को अपने नाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 

भारत के गोल्डन ब्यॉय ने साल की शुरुआत 15 जून को राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ते हुए फिनलैंड के पावो नुर्मी खेलों में रजत पदक जीतकर की, जबकि तीन दिन बाद ही उन्होंने कुओर्ता ने खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर एक और तमगा अपने नाम कर लिया। नीरज इसके बाद रजत जीतकर विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पदक हासिल करने वाले पहले पुरुष एथलीट बन गये, हालांकि इस प्रतियोगिता में लगी चोट ने नीरज को साल के सबसे बड़े आयोजन, राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर कर दिया। बर्मिंघम में आयोजित प्रतियोगिता में हिस्सा न लेने के कारण भले ही नीरज एक संभावित स्वर्ण से चूक गये, लेकिन उन्होंने डायमंड लीग लुसाने और डायमंड लीग फाइनल ज़्यूरिख में खिताब जीतकर इसकी कुछ हद तक भरपाई भी कर ली। 

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नीरज के न होने के कारण राष्ट्रमंडल खेलों की जैवलीन थ्रो प्रतियोगिता में भारत का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। इस प्रतियोगिता में भले ही भारत ने पदक नहीं जीता, लेकिन देश को जिन खेलों में पदक मिले वहां किसी को उम्मीद भी नहीं थी। अगस्त में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों से पहले अधिकतर भारतीय लॉन बॉल्स के बारे में जानते भी नहीं थे, लेकिन देश ने इस खेल में दो पदक हासिल किये। भारतीय महिला लॉन बॉल्स टीम ने जहां ऐतिहासिक सोने का तमगा जीता, वहीं पुरुष टीम ने चांदी अपने नाम किया। इसके अलावा अविनाश साबले ने भी 3000 मीटर स्टीपलचेज़ में भारत के लिये पहला रजत पदक जीतकर देश का इस खेल से परिचय करवाया। पहली बार राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा ले रहे साबले ने रजत हासिल करते हुए न सिर्फ एक नया राष्ट्रीय रिकॉडर् स्थापित किया, बल्कि उन्होंने इस प्रतियोगिता में केन्या का एकछत्र राज भी समाप्त किया। 

पिछले 40 सालों से इस प्रतियोगिता में सिर्फ केन्या के खिलाड़ी ही पदक जीता करते थे, लेकिन साबले ने पोडियम पर दूसरा स्थान हासिल करके इतिहास के पन्नों में अपना नाम अमर कर लिया। इसके अलावा भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने राष्ट्रमंडल खेलों में पहली बार क्रिकेट के आगमन पर कांस्य पदक जीतकर अपना लोहा मनवाया, जबकि महिला हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीतकर राष्ट्रमंडल खेलों में 16 साल का सूखा समाप्त किया। निखत ज़रीन ने विश्व चैंपियन का खिताब जीतने के बाद राष्ट्रमंडल खेलों में भी स्वर्ण जीता, जबकि भारत ने मुक्केबाजी में कुल सात पदक अपने नाम किये। 

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मीराबाई चानू ने राष्ट्रमंडल खेलों में आसानी से स्वर्ण जीतने के बाद कलाई में चोट के बावजूद विश्व भारोत्तोलन चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया। इस साल राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय भारोत्तोलकों ने कुल 10 पदक जीते, जबकि विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया की अगुवाई में पहलवानों ने कुल 12 तमगे देश के सुपुर्द किये। देशवासियों की नजरें फिर भी उनके परम प्रिय खेल क्रिकेट पर टिकी हुई थीं। भारत को पहले एजबेस्टन टेस्ट में हार मिली, फिर एशिया कप में करारी शिकस्त मिली, और इसके बाद विश्व कप सेमीफाइनल में भी 10 विकेट की शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। 

यह साल भले ही भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम के लिये सराहनीय नहीं रहा हो, लेकिन कुछ यादगार पल क्रिकेट-प्रेमियों के मस्तिष्क में सदा-सदा के लिये छप गये। भारत के यशस्वी सूर्य, सूर्य कुमार यादव ने टी20 क्रिकेट के अंबर पर चढ़कर पूरी दुनिया को अपनी रोशनी का कायल कर दिया। वह एक साल में 1000 से ज्यादा टी20 रन बनाने वाले केवल दूसरे बल्लेबाज बने, जबकि उन्होंने 68 छक्के जड़कर टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक वर्ष में सर्वाधिक छक्के जड़ने का रिकॉडर् भी अपने नाम कर लिया। सूर्य कुमार ने न सिफर् इस साल 1164 रन बनाये, बल्कि यह काम उन्होंने 187.46 के आश्चर्यचकित कर देने वाले स्ट्राइक रेट के साथ किया। 

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मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर पाकिस्तान के खिलाफ खेली गयी विराट कोहली की पारी भी इस साल न सिफर् भारत बल्कि क्रिकेट की दुनिया के सबसे यादगार पलों में से एक रही। विश्व कप के बड़े मंच के दबाव में बनाये गये 82 रनों को न सिफर् कोहली ने अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक बताया, बल्कि वेस्ट इंडीज के दिग्गज क्रिकेटर डैरेन गंगा ने इस पारी को टी20 क्रिकेट की सर्वश्रेष्ठ पारियों में रखा। इस पारी की मदद से ही कोहली ने अपने करियर का पहला ‘आईसीसी प्लेयर ऑफ द मंथ' पुरस्कार हासिल किया। 

भारतीय टेबल टेनिस के दिग्गज खिलाड़ी अचंत शरत कमल ने भी इस वर्ष का यागदार अंत किया। उम्र को धता बताकर राष्ट्रमंडल खेल 2022 में दो स्वर्ण और एक रजत जीतने वाले 40 वर्षीय शरत कमल ने मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित होकर 2022 का अंत किया। शरत कमल, विराट कोहली, मीराबाई चानू और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की विजय पताका लहराने वाले सभी खिलाड़ी युवाओं को अनूठे तरीकों से प्रेरित कर रहे हैं। निश्चित ही भारत में खेलों का भविष्य उज्ज्वल है।


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Content Editor

Ramandeep Singh

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