तेज गेंदबाज थे हरभजन सिंह, कैसे बन गए स्पिनर्स, सुनाई फनी स्टोरी
punjabkesari.in Sunday, Sep 01, 2024 - 07:13 PM (IST)
खेल डैस्क : भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में 431 विकेट लेने वाले हरभजन सिंह का सपना पहले तेज गेंदबाज बनना था लेकिन किस्मत ने उन्हें स्पिनर्स बना दिया। अंडर 19 के पूर्व क्रिकेटर तरुवर कोहली ने अपने पोडकास्ट फाइड द वे के दौरान जब हरभजन के साथ उनके क्रिकेट करियर को लेकर बात की तो कई रोचक खुलासे हुए। हरभजन ने इस दौरान खुलासा किया कि कैसे वह सिर्फ जूत्ते लेने की आखिर तेज गेंदबाज बनना चाहते थे। उन्होंने इसी के साथ इंग्लिश को लेकर कुछ मजेदार किस्से भी शेयर किए।
तरुवर ने जब हरभजन से क्रिकेट जर्नी की शुरूआत कैसे हुई? सवाल पूछा तो हरभजन ने कहा कि बहुत कम लोगों को पता है कि मैं पहले तेज गेंदबाज बनना चाहता था। हमारा एक साथी था गुरशरण। एक दिन इंडस्ट्रियल एरिया में एक अकादमी में ट्रायल के वक्त मैंने उसे कीलों वाले जूते पहने देखा। मैंने उसे पूछा यह क्यों पहना है तो उसने कहा कि मैं फास्ट बॉलर हूं। उसे देखकर मुझे भी लगा कि मुझे यह चाहिए। मैंने उससे कहा कि मैं भी तेज गेंदबाज बनना चाहता हूं तो उसने कहा कि पहले अपनी बॉडी देख। फास्ट बॉलर छोड़ तू स्पिनर बन जा। मेरा तेज गेंदबाज बनने का सपना वही टूट गया।
हरभजन ने कहा कि गली क्रिकेट खेलते हुए हम सिर्फ गेंद फेंकते थे। वह यह नहीं पता था कि गेंद को टर्न भी करवाना होता है। उसी दिन ट्रायल के दौरान जब मुझसे पूछा गया कि गेंदबाजी स्टाइल क्या है तो मैंने बोल दिया स्पिनर। उन्होंने मुझे पीछे खड़ा कर दिया। मैं नेट के पास गिरी गेंद उठाकर उन्हें पकड़ाता रहा। फिर मुझे भी गेंद मिल गई। मेरे साथ एक लड़का था। उसका नाम था इशू। उसने जिस तरह गेंद पकड़ी थी, मैंने भी ठीक उसी तरह पकड़ ली। मुझे लगा कि लैग स्पिन फेंकनी मुश्किल होगी इसलिए गेंद को ऑफ स्पिन फेंकने के जैसे पकड़ लिया। मैंने भी उसी की तरह गेंद फेंकी। मेरी हाइट अच्छी थी। मेरा पहला ही गेंद स्पिन हो गया। कोच को लगा कि यह स्पिन कर सकता है। तब उन्होंने बताया कि गेंद को पकड़ते कैसे हैं। कैसा एक्शन होना चाहिए। बस यही से मेरी जर्नी शुरू हो गई।
हरभजन ने अपनी शुरूआती दिनों को याद करते कहा कि बचपन ने इतना जुनून था कि स्कूल से आकर खाना खाना और ग्राऊंड चले जाना। मैं सूरज छिपने तक गेंदबाजी करता था। धीरे-धीरे जब मैं आगे भी बढ़ा तो भी मैंने नेट बॉलिंग को नहीं छोड़ा। मेरी एक जैसी रूटीन थी। मैंने इतनी इंटरनेशनल में गेंदबाजी नहीं की जितनी नेट में की है। प्रैक्टिस के वक्त मैं अपनी उन 6 आखिरी गेंदों को देखता था जोकि बिल्कुल परफेक्ट गिरती और स्पिन होती। इसके बाद मैं गेंदबाजी करता था। उन छह गेंदों के लिए मैं 25 से 30 ओवर फेंक जाता था। मेरा मानना है कि आप जितना नेट में पकोगे उतने अच्छे निकलकर आओगे।