मैं हमेशा से भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतना चाहती थी – ग्रांड मास्टर हरिका द्रोणावल्ली

punjabkesari.in Thursday, Sep 03, 2020 - 10:15 PM (IST)

हैदराबाद ( निकलेश जैन ) भारतीय शतरंज टीम के शतरंज ओलंपियाड जीतने मे महिला वर्ग मे पूर्व विश्व जूनियर चैम्पियन द्रोणावल्ली हारिका नें भी खास भूमिका निभाई थी । हरिका नें पूल चरण मे 3 जीत 3 ड्रॉ के साथ 7 मैच मे 4.5 अंक बनाए और टीम को पुल मे शीर्ष स्थान हासिल करने मे मदद की पर उसके बाद क्वाटर फाइनल मे अर्मेनिया के खिलाफ जीत तो सेमी फाइनल मे पोलैंड के खिलाफ जीत नें उन्होने टीम को फाइनल पहुँचने मे मदद की । फाइनल मे रूस के खिलाफ उन्होने अपने दोनों मुक़ाबले ड्रॉ खेले तो इस प्रकार पूरे टूर्नामेंट मे 12 मैच मे से 5 जीत 2 ड्रॉ और 1 हार से 8 अंक बनाए जिसे बेहतरीन प्रदर्शन कहा जाएगा ।

हरिका नें पंजाब केसरी से खास बातचीत की

कैसा लग रहा है भारत के लिए ओलंपियाड स्वर्ण पदक जीतकर ?

मुझे बेहद खुशी हो रही है भारत के लिए पदक जीतकर  और हमेशा से मैं टीम स्पर्धा मे पदक जीतना चाहती थी मेरा पहला टीम ओलंपियाड  मैंने 2004 मे खेला था और तब से मैं पदक चाहती थी पर हम हमेशा 4 से 6 स्थान तक ही हासिल आकर सके थे तो यह बेहद खास उपलब्धि है और उम्मीद है की यह एक शुरुआत है ।

पुरुष महिलाओं और जूनियर खिलाड़ियो की टीम मे एकसाथ खेलने का अनुभव कैसा रहा ?

मुझे तो बहुत ही मजा आया ,खासतौर पर जूनियर खिलाड़ियों नें टीम मे एक नयी ऊर्जा का संचार किया तो अनुभवी खिलाड़ियों का अनुभव काम आया और एक बेहद खास अनुभव था की हम सब मिलकर देश के लिए खेल रहे थे वरना पुरुष ,महिला और जूनियर टीम अलग अलग खेलती है । हालांकि महिला पुरुष के सयुंक्त टीम मे हमने पहले भी टूर्नामेंट खेले है पर जूनियर के साथ यह पहला अनुभव था ।

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आपको लगता है आगे भी फीडे को यह प्रयोग करना चाहिए ?

हाँ यह एक अच्छा विचार है की जूनियर खिलाड़ियों को मुख्य टीम मे शामिल किया जाये क्यूंकी उनके लिए अलग से एक ओलंपियाड करने की बजाए अगर एक सदस्य को भी टीम मे शामिल किया जाये तो यह बेहद रोचक होगा और सीनियर खिलाड़ियों के अनुभव से सीख सकते है ।

आपने काले मोहरो से सबसे ज्यादा मुक़ाबले काले मोहरो से खेला तो आपने कैसे यह संतुलित किया ?

निश्चित तौर पर यह परिस्थियियों की वजह से हुआ और मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया ,सामान्य परिस्थियों मे यह कोई ज्यादा मुश्किल नहीं है पर टीम चैंपियनशिप मे ऐसे मुक़ाबले मे जिसमें आपको जीत दर्ज करना हो काले मोहोरो से आपके उपर अतिरिक्त दबाव पड़ता है । मुझे खुशी है की मैं अच्छा कर सकी । 

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पोलैंड के खिलाफ शुरुआती हार के बाद क्या चल रहा था आपके अंदर ?

चुकी मैंने पहले भी प्ले ऑफ राउंड खेले है तो मैं जानती थी एक और गलती और हम बाहर हो जाएँगे और पोलैंड के खिलाफ उस मुक़ाबले मे मैंने बस स्थिति को अपने विरोधी के खिलाफ जटिल बनाने की कोशिश की मैं किसी भी कीमत मे जीत के लिए खेल रही थी और परिणाम हमारे पक्ष मे आया ।

फाइनल मे जो कुछ हुआ उस पर आपका क्या कहना है ?

फाइनल मे इंटरनेट की बजह से मैच का पूरा ना होना दुर्भाग्यपूर्ण रहा पर हमने अपनी ओर से कुछ भी गलत नहीं किया और सर्वर की समस्या आने पर हमने फीडे के सामने अपील की और लगभग दो घंटे इसका इंतजार किया और जो फीडे नें निर्णय दिया हमने स्वीकार किया ,हमने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया और परिणाम का इंतजार किया ,मुझे पता है की रूस मे कुछ लोगो को यह निर्णय पसंद नहीं आया पर यह सब एक अलग नजरिया है पर हमने अपनी कोशिश की और विश्व शतरंज संघ के निर्णय को स्वीकार किया ।


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Niklesh Jain

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