राष्ट्रगान का 'अपमान' करने वालों पर भड़कीं हिना सिद्धू

punjabkesari.in Saturday, Nov 25, 2017 - 05:21 PM (IST)

नई दिल्लीः राष्ट्रगान में खड़े ना होने वालों को गोल्ड मेडलिस्ट हिना सिद्धू ने कड़ी नसीहत दी है। हिना ने हाल ही में कॉमनवेल्थ गेम्स में 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग इवेंट में गोल्ड जीता था। उन्होंने ट्वीटर के जरिए राष्ट्रगान में खड़े ना होने वाले आैर फोन पर घंटों तक खड़े होकर बातें करने वालों को आइना दिखाया है। 

हिना ने ट्विटर के जरिए कहा, ‘राष्ट्रगान के दौरान खड़े ना होने का तो यही मतलब हुआ कि आप आराम से बैठकर पॉपकॉर्न खा सकते हैं, फोन पर जोर-जोर से बात कर सकते हैं, पास में बैठे लोगों से भी बात कर सकते हैं। कभी-कभी मैं खुद को बहुत खुशकिस्मत समझती हूं कि मैं एक खिलाड़ी हूं। हम लोग तो इस बारे में कल्पना तक नहीं कर सकते। बिना राष्ट्रगान सुने मेडल जीतना आधा भी अच्छा नहीं लगता है।’

उन्होंने दूसरा ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा, ‘पहले सुप्रीम कोर्ट ने देशभक्ति को मनोरंजन से जोड़ दिया और अब वे कह रहे हैं कि राष्ट्रगान के प्रति ड्यूटी वैकल्पिक है। अगर ऐसा ही था तचो फिर पहले फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाने का आदेश क्यों दिया गया और अगब अगर राष्ट्रगान चलाया जाता है तो ऐसे में लोगों को उसके सम्मान में खड़े होना चाहिए या फिर पहले ऑर्डर को ही रद्द करना चाहिए।’

 

साथ ही उन्होंने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रगान फिल्मों से पहले अनिवार्य कर दिया। इससे शरारती तत्वों को इसका अपमान करने का मौका मिल गया। राष्ट्रगान को फिल्मों से पहले नहीं बजाना चाहिए, लोग वहां मनोरंजन के लिए आते हैं। 

राष्ट्रगान को लेकर ताजा विवाद जम्मू एंड कश्मीर के राजौरी के बाबा गुलाम शाह बादशाह यूनिवर्सिटी में हुए एक इवेंट के दौरान सामने आया है। विश्वविद्यालय में राष्ट्रगान के दौरान जहां कुछ लोग खड़े थे तो कुछ अपनी सीट पर ही बैठे रहे और अपने फोन में सेल्फी लेते रहे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमा हॉल में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान चलाने को अनिवार्य बनाया था, लेकिन इस साल 23 अक्टूबर को कोर्ट ने कहा था कि लोगों को अपनी देशभक्ति साबित करने के लिए सिनेमा घरों में खडे होने की जरुरत नहीं है। न्यायालय ने केंद्र से कहा कि वह सिनेमाघरों में राष्ट्रगान आयोजित करने के नियमन के लिए नियमों में संशोधन पर विचार करे।