IND vs ENG : कन्कशन सब्सटीट्यूट की उड़ी धज्जियां, कप्तान बटलर समेत बरसे क्रिकेट दिग्गज
punjabkesari.in Saturday, Feb 01, 2025 - 03:16 PM (IST)
पुणे : इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टी-20 मैच में चोटिल हुए ऑलराउंडर शिवम दुबे (Shivam Dube) की जगह तेज गेंदबाज हर्षित राणा (Harshit Rana) को कन्कशन सब्सटीट्यूट में ‘लाइक-फॉर-लाइक' नियम के तहत भारतीय टीम में शामिल किए जाने पर नई बहस छिड़ गई है। पुणे के महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम में खेले गए इस टी-20 मुकाबले में कन्कशन सब्सटीट्यूट नियम के तहत शिवम दुबे की जगह हर्षित राणा ने टी-20 अंतरराष्ट्रीय पर्दापण कर किया। हर्षित ने इंग्लैंड के लिविंगस्टोन, जैकब बेथेल और जेमी ओवटर्न के विकेट झटक कर भारत को मैच जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मैच रेफरी जवागल श्रीनाथ द्वारा लिए गए इस फैसले पर इंग्लैंड के खेमे और पूर्व क्रिकेटरों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
उल्लेखनीय है कि हर्षित बतौर कन्कशन सब्स्टीट्यूट नियम के तौर पर इस मैच में शिवम दुबे की जगह टीम में शामिल किया गया था। शिवम को बल्लेबाजी के दौरान सिर में चोट लग गई थी। भारतीय पारी के अंतिम ओवर में जेमी ओवटर्न की 5वीं गेंद शिवम के हेलमेट पर लगी वह चोट के बाद केवल एक गेंद खेल पाए। बाद में जब भारतीय टीम गेंदबाजी करने उतरी तो शिवम की जगह हर्षित को टीम में लिया गया।
इंग्लैंड के कप्तान जोस बटलर ने प्रतिस्थापन पर अपना असंतोष व्यक्त करते हुए यह तकर् देते हुए कहा कि दुबे की जगह राणा को खिलाना ‘लाइक फॉर लाइक' होना चाहिए था। बटलर ने मैच के बाद संवाददाता सम्मेलन में नियम के लागू होने पर सवाल उठाते हुए कहा, च्च्जब एक ऑलराउंडर को एक विशेषज्ञ गेंदबाज द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है, तो यह उचित नहीं है। केविन पीटरसन, एलिस्टेयर कुक और माइकल वॉन सहित कई पूर्व इंग्लैंड क्रिकेटरों ने भी इस निर्णय की आलोचना की है।
कुक ने कहा ऑलराउंडर को विशेषज्ञ गेंदबाज से बदलने का ‘कोई मतलब नहीं है।' वॉन ने सवाल किया कि एक पूर्णकालिक गेंदबाज अंशकालिक गेंदबाज की जगह कैसे लिया जा सकता है, जिससे विवाद और बढ़ गया। दुबे ने अपने 34 टी-20 मैचों में से 23 में गेंदबाजी की है, लेकिन उन्होंने अपने करियर में केवल दो बार अपने चार ओवरों का पूरा कोटा पूरा किया है, जिससे इस बात की जांच हो रही है कि क्या वह एक वास्तव में ऑलराउंडर के योग्य हैं। इस घटना ने क्रिकेट में कन्कशन सब्सटीट्यूट नियम की निष्पक्षता और स्थिरता पर चर्चा को फिर से हवा दे दी है। इस नियम के इस्तेमाल को लेकर सवाल उठने के साथ ही भविष्य में इसी तरह के विवादों से बचने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देशों की मांग तेज हो गई है।