भारत-जर्मनी मैच को विश्व हॉकी में मिसाल के तौर पर देखा जाएगा: अशोक ध्यानचंद

punjabkesari.in Thursday, Aug 05, 2021 - 11:23 AM (IST)

स्पोर्ट्स डेस्क : भारत के पूर्व हॉकी खिलाड़ी और मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक ध्यानचंद ने गुरुवार को टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के लिए पुरुष हॉकी टीम को बधाई दी। 41 साल लगे, लेकिन हर भारतीय का सपना आखिरकार गुरुवार को साकार हो गया क्योंकि पुरुष हॉकी टीम ने जर्मनी को 5-4 से हराकर ओई हॉकी स्टेडियम, नॉर्थ पिच में कांस्य पदक जीता। 

अशोक ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा, यह मैच विश्व हॉकी में एक उदाहरण के रूप में देखा जाएगा, मैंने लंबे समय से ऐसा मैच नहीं देखा है। दुनिया भर के कोचिंग सेंटर सभी को इस खेल को देखने के लिए मजबूर करेंगे, मैच की गुणवत्ता शीर्ष पर थी। 41 वर्षों के बाद हमने एक पदक जीता है। सरकार ने हर खेल के प्रति समर्थन दिखाया, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी टीम के चारों ओर रैली की। 

PunjabKesari

1980 के मॉस्को ओलंपिक खेलों के बाद यह भारत का पहला ओलंपिक हॉकी पदक है। वहीं यह ओलंपिक के इतिहास में भारत का तीसरा हॉकी कांस्य पदक है। अन्य दो कांस्य पदक 1968 मेक्सिको सिटी और 1972 म्यूनिख खेलों में आए थे। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ओवरऑल ओलंपिक में 12 पदक जीते हैं, जिसमें आठ स्वर्ण, एक रजत और तीन कांस्य पदक शामिल हैं। मैच की बात करें तो दोनों टीमों ने अपनी ताकत के साथ हॉकी खेली। 

जर्मनी शुरुआत में भारत के मुकाबले थोड़ा हावी रहा। दूसरे मिनट में पहला गोल भी जर्मनी की तरफ से ही हुआ। मिडफील्डर ओरुज तिमूर ने शानदार गोल करते हुए टीम को 1-0 से बढ़त दिलाई। इसके बाद भारत ने एक गोल की तलाश में आक्रामकता दिखाई, लेकिन गोल नहीं हो पाया और पहला क्वाटर्र 1-0 के स्कोर पर समाप्त हुआ। 

दूसरा क्वाटर्र शुरू होते ही भारत को वो गोल मिला, जिसकी उसे तलाश थी। फॉरवडर् सिमरनजीत सिंह ने 17वें मिनट में शानदार गोल दाग कर टीम को बेहद जरूरी 1-1 की बराबरी कराई, हालांकि इसके बाद जर्मनी ने एक-एक मिनट के अंतराल में दो गोल करके अपनी बढ़त को 3-1 कर लिया। फॉरवर्ड वेलेन निकलस और फुकर् बेनेडिक्ट ने क्रमश: 24वें और 25वें मिनट में ये गोल दागे। 3-1 से पिछड़ने के बाद भारतीय खिलाड़यिों ने तेजी दिखाई, जिसका अच्छा परिणाम मिला। 

भारत 27वें और 29वें मिनट में दो पेनल्टी कॉर्नर लेने में कामयाब हुआ। मिडफील्डर हार्दिक सिंह और डिफेंडर हरमनप्रीत सिंह ने इन मौकों को भुनाया और गोल करके टीम को 3-3 से बराबरी कराई। इसी के साथ दूसरा क्वाटर्र समाप्त हुआ। इसके बाद मैच में भारत ने पकड़ बनाए रखी। दूसरे क्वाटर्र में मिली लय को बरकरार रखते हुए टीम ने तीसरे क्वाटर्र की शुरुआत में ही दो गोल दागे और 5-3 की मजबूत बढ़त ले ली। 

31वें मिनट में मिले पेनल्टी कॉर्नर को टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ी डिफेंडर रुपिंदर पाल सिंह ने गोल में तब्दील किया। इसके ठीक तीन मिनट बाद 34वें मिनट में सिमरनजीत सिंह ने फिर अपना जलवा दिखाया और एक शानदार गोल किया। गोल के साथ-साथ भारत ने डिफेंस में भी अच्छा काम किया। गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने कई मौकों को गोल में तब्दील होने से बचाया। तीसरे क्वाटर्र में 3-5 से पीछे रहने के बाद चौथे क्वाटर्र में जर्मनी ने आक्रामक रुख अपनाया और एक गोल के लिए जी जान लगा दी और वह अपनी कोशिश में कामयाब हुआ। 

डिफेंडर विंडफेडर लुकास ने मैच के 48वें मिनट में मिले पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदलने में कोई गलती नहीं की। इस गोल के साथ जर्मनी ने स्कोर को 4-5 कर दिया। मैच के अंतिम पलों में भारत ने अपने डिफेंस पर ज्यादा ध्यान दिया, हालांकि जर्मनी ने स्कोर लेवल करने के उद्देश्य से गोलकीपर को हटा कर एक अन्य अटैकर को मैदान पर बुलाया, लेकिन वह इसका लाभ नहीं उठा सका और मैच गंवा दिया। जर्मनी को जहां निराशा हाथ लगी तो वहीं भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 41 वर्षों बाद ओलंपिक पदक जीत कर देश को गौरवान्वित किया। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Sanjeev

Recommended News

Related News