इंटरनेशनल मेन्स वीक : सचिन तेंदुलकर ने लिखा- भावनाएं न छिपाएं पुरुष, आंसुओं को बहने दें

punjabkesari.in Wednesday, Nov 20, 2019 - 08:06 PM (IST)

नई दिल्ली : भारत रत्न सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने कहा है कि पुरूषों को अपनी भावनाओं को छिपाना नहीं चाहिए और मुश्किल पलों में यदि वे भावुक हो जाएं तो अपने आंसुओं को बहने दें जो उन्हें और मजबूत बनाएंगे। सचिन ने इंटरनेशनल मेन्स वीक (International Men Week) के मौके पर सभी युवा लड़कों और पुरूषों के नाम एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने पुरूषों से मजबूत बनने के लिए भावनाओं का खुलकर इजहार करने की अपील की है।

सचिन तेंदुलकर का पुरुषों पर बयान

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अपने अंतरराष्ट्रीय करियर से 16 नवंबर 2013 को संन्यास लेने वाले पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट को अलविदा कहे छह वर्ष हो चुके हैं। सचिन ने इस पत्र में अपनी भावनाओं का भी जिक्र किया है और लिखा- यह ठीक है कि पुरूष रोएं। यह संदेश इसलिये है कि अपनी भावनाएं दिखाने के बावजूद एक पुरूष की पौरूषता कम नहीं होती। 

सचिन तेंदुलकर के पुरुषों पर सुझाव 

सचिन ने लिखा कि आप जल्द ही पति, पिता, भाई, दोस्त, मेंटर और अध्यापक बनेंगे। आपको उदाहरण तय करने होंगे। आपको मजबूत और साहसी बनना होगा। लेकिन आपके जीवन में ऐसे पल आएंगे जब आपको डर, संदेह और परेशानियों का अनुभव होगा। वह समय भी आएगा जब आप विफल होंगे और आपको रोने का मन करेगा। लेकिन यकीनन ऐसे समय में आप अपने आंसुओं को रोक लेंगे और मजबूत दिखाने का प्रयास करेंगे, क्येंकि पुरूष ऐसा ही करते हैं। पुरूषों को इसी तरह बड़ा किया जाता है कि पुरूष कभी रोते नहीं। रोने से आदमी कमजोर होते हैं।

सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट से अलविदा लेते समय दिमाग में क्या चल रहा था 

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उन्होंने कहा कि वह भी इसी तरह बड़े हुये हैं, लेकिन वह गलत थे। उनके दर्द और संघर्ष ने ही उन्हें इतना मजबूत और सफल बनाया है। सचिन ने कहा कि वह अपने जीवन में कभी भी 16 नवंबर 2013 की तारीख को भूल नहीं सकते हैं। उनके लिये उस दिन आखिरी बार पवेलियन लौटना बहुत मुश्किल थे और दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था। उनका गला रूंध गया था लेकिन फिर अचानक उनके आंसू दुनिया के सामने बह निकले और हैरानी की बात है कि उसके बाद वह शांति महसूस करने लगे थे। भारतीय क्रिकेट की सबसे सफल शख्सियत सचिन ने कहा कि रोने और आंसू दिखाने में कोई शर्म नहीं है यह आपके जीवन का हिस्सा है और इससे आप मजबूत बनते हैं।


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Jasmeet

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