इंटरव्यू कोनेरु हम्पी : जीतने के लिए वरीयता नहीं, लय में होना जरूरी

punjabkesari.in Saturday, Jul 16, 2022 - 01:28 PM (IST)

- भारत की नंबर एक शतरंज खिलाड़ी कोनेरु हम्पी ने शतरंज ओलिम्पियाड से पहले पंजाब केसरी से की विशेष बात
- मां बनने के बाद बनी विश्व रैपिड चैम्पियन, सबसे कम उम्र की भारतीय ग्रैंड मास्टर

खेल डैस्क (निकलेश जैन) : भारत की नंबर एक शतरंज खिलाड़ी कोनेरु हम्पी शतरंज ओलिम्पियाड में शीर्ष वरीय भारतीय टीम में खेलती नजर आएंगी। मां बनने के बाद विश्व रैपिड चैम्पियन बनकर उन्होंने पूरी दुनिया में अपने टैलेंट का लोहा मनवाया था। वह भारत के लिए सबसे कम उम्र में ग्रैंड मास्टर बनने वाली महिला खिलाड़ी भी हैं। ओलिम्पियाड में भारत के पदक अभियान की हम्पी सबसे महत्वपूर्ण और मजबूत कड़ी होंगी। हम्पी ने ओलिम्पियाड से पहले अपनी तैयारियों और संभावनाओं को लेकर बातचीत की। उन्होंने साफ कहा कि ओलिम्पियाड जैसे टूर्नामैंट में आपको वरीयता नहीं बल्कि लय में होना ही जीत दिलाता है। पढि़ए हम्पी की पूरी इंटरव्यू-

शतरंज ओलिम्पियाड पर 
-शतरंज ओलिम्पियाड भारत में हो रहा है, आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी?

मुझे गर्व का अनुभव हुआ। शतरंज का जन्म भारत में हुआ है। ओलिम्पियाड भारत में होने से युवा खिलाडिय़ों को प्रोत्साहन तो मिलेगा साथ ही साथ हमारा आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
-भारत को इस बार महिला वर्ग में पहली वरीयता मिली है, इस पर आपके क्या विचार है?
सही पूछें तो मैं वरीयता नंबर पर विश्वास नहीं करती। हमारे लिए यह सबसे जरूरी यह होता है कि हम अच्छी लय में हों। शीर्ष वरीय हो या कोई निचले वरीय सब कुछ खिलाडिय़ों की लय पर निर्भर करता है।
-रूस और चीन नहीं खेल रहे है, क्या इसका अंक तालिका पर असर होगा?
निश्चित तौर पर रूस और चीन के नहीं खेलने का फर्क पड़ेगा। वह स्वर्ण पदक के बड़े दावेदार रहे हैं। इसके अलावा जॉर्जिया भी है। 
- कोनेरु हम्पी टीम में अपनी भूमिका किस तरह से देखती है ?
मैं एक जिम्मेदारी महसूस कर रही हूं। कोशिश रहेगी कि टीम के अन्य सदस्यों को प्रेरित कर सकंू। पर जब आप टीम मुकाबले खेलते है आपको अपने खेल को भी ध्यान देना जरूरी होता है। मैं अपने खेल के माध्यम से सबसे बेहतर परिणाम देने की कोशिश करूंगी।
- कौन-सी टीमें भारत को टक्कर दे सकती हैैं?
मुझे लगता है उक्रेन, जॉर्जिया, यू.एस.ए., पोलैंड अच्छी टीमें हैं पर मुझे लगता है कि निचली वरीय टीमों के खिलाफ भी हमें सावधानी रखनी होगी क्योंकि इन दिनों तैयारी का स्तर काफी बढ़ा है और तकनीक के चलते रेटिंग उतनी मायने नहीं रखती।
- पहली बार भारत से 10 महिला खिलाड़ी शतरंज ओलिम्पियाड खेल रही है, इस पर आप क्या कहेंगी?
हां, यह पहला मौका है जब हमारी दो टीम खेल रही हैं। यह सबके लिए बड़ा मौका है और उम्मीद है कि हम अच्छा परिणाम भी देंगे। यह युवा खिलाडिय़ों के लिए एक बड़ा मौका होगा जो हमारे देश के भविष्य के लिए अच्छा है।


महिला शतरंज पर
-भारतीय महिला शतरंज को आप रूस और चीन के मुकाबले कहां खड़ा पाती हैं?

रूस और चीन के मुकाबले हमें अभी भी फासला तय करना है, उनकी टीम में सभी खिलाडिय़ों की रेटिंग 2500 से अधिक होती हैं। हमारे यहां तीसरे और 5वें खिलाड़ी अभी भी उस और बढ़ रहे हैं। हमारे पास क्षमता और प्रतिभा है पर हमें और अनुभव की जरूरत है, जहां तक ओलिम्पियाड की बात है हमारे लिए यह जरा-भी चिंता की बात नहीं है।
-महिला शतरंज को और आगे बढ़ाने के लिए हमें क्या करना चाहिए ?
महिला खिलाडिय़ों के लिए खास प्रशिक्षण शिविर और ज्यादा से ज्यादा पुरुषों से खेलने के मौके बहुत जरूरी है। ओपन टूर्नामैंट में अभी भी महिला खिलाडिय़ों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। मजबूत खिलाडिय़ों से मुकाबले ही उन्हें और मजबूत बनाते हैं।
-भारत की किन युवा महिला खिलाडिय़ों का खेल आपको प्रभावित करता है?
वैसे अभी भी मैं बहुत ज्यादा मुकाबले नहीं देखती पर वैशाली आर, दिव्या देशमुख, वन्तिका अग्रवाल अगले पीढ़ी के अच्छे खिलाड़ी लगते हैं।
-आज भी किसी भी टूर्नामैंट में लड़कियों की प्रतिभागिता करीब 5 फीसदी है, आप अभिभावकों और आयोजकों से क्या कहना चाहेंगी?
मैं मानती हूं आज भी लड़कियों के लिए यह आसान नहीं है। उन्हें यात्रा करते वक्त किसी के साथ की आवश्यता होती है। बहुत से अभिभावक आज के समय में अपनी बेटियों को आगे बढ़ा रहे हैं। पर मुझे लगता है कि अगर सरकार कोई योजना बनाकर वित्तीय तौर पर सहयोग करे तो यह बहुत अच्छी बात हो सकती है।

 
अपने खेल पर


- आपकी शतरंज ओलिम्पियाड की तैयारी कैसी चल रही है?
मैं अभी स्पीड शतरंज खेल रही हूं और कोशिश कर रही हूं कि हर हिस्से में बेहतर बन सकूं। मैंने 2 साल से क्लासिकल शतरंज नहीं खेला है तो अभी जरूरी ह कि मैं एकाग्रता रखते हुए मानसिक तौर पर तैयार रहूं।
-आने वाले समय में आप फीडे कैंडिडैट खेलने जा रही है, फीडे ने महिलाओं को पुरुषों की तरह फॉर्मेट में मौके देने शुरू किए हैं, इस पर क्या विचार है?
यह एक अच्छा प्रयास है पर फिलहाल मैंने पूरा ध्यान ओलिम्पियाड पर रखा हुआ है और इसके बाद ही मैं कैंडिडैट पर ध्यान केन्द्रित करूंगी।
- एक खिलाड़ी के तौर पर कोनेरु के क्या लक्ष्य हैं? क्या ऐसा है जिसे पाना बाकी है?
सच कहूं तो इस समय मैं बड़े गोल नहीं बना रहीं हूं और खेल का आनंद उठाने की कोशिश कर रही हूं। हां, मैं हमेशा से विश्व क्लासिकल शतरंज चैम्पियन बनाना चाहती थी। मैंने एक बार रजत तो एक कांस्य भी जीता। चूंकि कैंडिडैट सामने है ऐसे में मैं कोशिश करूंगी एक-एक कदम कर आगे बढूं।
-आपने मां बनने के बाद विश्व शतरंज में वापसी कर विश्व रैपिड खिताब हासिल किया, आप दोनों भूमिकाओं में कैसे तालमेल बिठाती हैं?
शतरंज जीवन और पारिवारिक जीवन दोनों को संतुलन बैठना आसान नहीं होता। मेरी बेटी मुझे ज्यादा मिस न करें इसलिए कई बार बड़े टूर्नामैंट छोडऩे पड़ते हैं। लेकिन अब तक मैं किसी तरह से प्रबंधन करने में कामयाब रहीं हूूं। उम्मीद है कि आगे भी ऐसा चलता रहेगा।

कोनेरु हम्पी 


जन्म : 31 मार्च 1987 (उम्र 35)
विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश, भारत
टाइटल : ग्रैंडमास्टर (2002)
विश्व चैम्पियन महिला विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप (2019)
फीडे रेटिंग 2586 (जुलाई 2022)

एशियन गेम्स
गोल्ड 2006 दोहा, वुमन एकल
गोल्ड 2006 दोहा, मिक्स टीम

Content Writer

Jasmeet