जेरेमी बोले- मोबाइल ‘वॉलपेपर’ पर अब पेरिस ओलिम्पिक का मैडल लगाने का समय

punjabkesari.in Sunday, Jul 31, 2022 - 09:53 PM (IST)

बर्मिंघम : अगर आप पदक जीतना चाहते हो तो बस इसकी एक फोटो अपने मोबाइल फोन पर वॉलपेपर की तरह लगा लो, भारोत्तोलक जेरेमी लालरिनुंगा का अपने सपनों को साकार करने का यही सरल तरीका है। उनका कहना है कि इससे शत प्रतिशत सफलता मिलती है। 2018 युवा ओलंपिक में भी यही फलसफा उनके लिए कारगर रहा था जिसमें उन्होंने भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया था और रविवार को भी यह फिर कारगर साबित हुआ जब उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों की पुरूष 67 किग्रा स्पर्धा में पीला तमगा जीता।

मौजूदा युवा ओलिम्पिक चैम्पियन ने राष्ट्रमंडल खेलों में पदार्पण में स्वर्ण जीता। उन्होंने कहा- ब्यूनर्स आयर्स में युवा ओलिम्पिक से पहले भी मैंने ऐसा ही किया था और बर्मिंघम के लिए भी मैंने ऐसा किया। तो क्या अगला वॉलपेपर पेरिस ओलिम्पिक पदक का होगा? जेरेमी ने पिंडली की मांसपेशियों के दर्द के बावजूद मुस्कुराते हुए कहा- हां, इसी (ओलिम्पिक पदक) पर निगाहें हैं, लेकिन इसके लिए अभी लंबा और मुश्किल सफर तय करना होगा। 

इस 19 साल के भारोत्तोलक को पेरिस ओलिम्पिक के लिए अपने वजन वर्ग को बदलना होगा क्योंकि उनका 67 किग्रा वर्ग अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन महासंघ द्वारा हटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव आसान नहीं होगा। मुझे ऊंचे वजन वर्ग में खेलना होगा, मुझे ओलिम्पिक के 73 वजन वर्ग में पहुंचने के लिए छह किग्रा वजन बढ़ाना होगा। पेरिस के लिए उम्मीद कायम है। 

जेरेमी भगवान में बहुत आस्था रखते हैं और काफी अंधविश्वासी भी हैं, उनके बएं हाथ में एक बड़ा टैटू बना हुआ है जिसमें एक मुक्केबाज और एक पहलवान ‘एक्शन’ में हैं और इसके नीचे रोमन नंबर में ‘एमओएम’ साफ दिखता है। उन्होंने कहा, ‘‘7-7 मेरी मां (लालमुआनपुई) की जन्मतिथि है जबकि 1988 में मेरे पिता ने मुक्केबाजी शुरू की थी।

 

टैटू में ऊपर 11112011 बना है जो 11 नवंबर 2011 की तारीख है, जब जेरेमी ने 9 साल की उम्र में भारोत्तोलन बोर्ड पर कदम रखा था। उन्होंने कहा कि जब भी मैं थोड़ा निराश होता हूं या मुश्किल समय में होता हूं तो मैं इन टैटू को देखता हूं। मेरी भगवान में बहुत आस्था है और जब मुश्किल समय आता है तो मैं अपनी मां को फोन करता हूं और उन्हें मेरे लिये प्रार्थना करने के लिए कहता हूं।

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Jasmeet