IND vs SA : ये हैं वो 5 कारण जिसके चलते 25 साल बाद टेस्ट सीरीज हारा भारत
punjabkesari.in Wednesday, Nov 26, 2025 - 01:52 PM (IST)
गुवाहाटी : ऑफ स्पिनर साइमन हार्मर के छह विकेट की मदद से दक्षिण अफ्रीका ने बुधवार को यहां दूसरे एवं अंतिम टेस्ट मैच में भारत को 408 रन से हराकर श्रृंखला 2-0 से अपने नाम कर ली। इससे पहले भारत को पहले टेस्ट में भी हार का सामना करना पड़ा था जिसमें शुभमन गिल गर्दन में एठन के कारण दूसरी इनिंग में बल्लेबाजी नहीं कर पाए थे। इस हार के बाद यह सवाल खड़ा होता है कि भारत के दूसरा टेस्ट और सीरीज हार के पीछे कौन सी वजह है। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं-
कमजोर और अस्थिर बल्लेबाज़ी — खराब टेम्परामेंट और शॉट सेलेक्शन
पहले टेस्ट में भारत 124 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए सिर्फ 93 पर ऑल-आउट हो गया था। यह साफ दिखाता है कि बल्लेबाज़ों ने मैच की स्थिति के हिसाब से कोई समझदारी नहीं दिखाई — खासकर स्पिनर्स के सामने।
दूसरी पारी में भी गुवाहाटी में मध्य और निचले क्रम की बड़ी विफलता रही, बल्लेबाज टिक न सके और बड़े स्कोर की तमन्ना रखते हुए जल्दी विकेट गंवाए। इस तरह की अस्थिर और आत्मघाती बल्लेबाज़ी ने भारत को विपक्षी गेंदबाज़ी के सामने आसान शिकार बना दिया।
नतीजा : भारतीय बैटिंग क्रम में टिकाव और मैच बचाने की मानसिकता का अभाव — जिसने सीरीज में ध्वस्त आधार दिया।
पिच और कंडीशन — स्पिन + पेस के मिश्रित खतरों से निपटने में नाकामी
पहले टेस्ट में पिच ने स्पिनर को मदद दी; ऐसे में भारतीय बल्लेबाज़ विशेष रूप से स्पिन की रणनीति में असफल रहे।
दूसरी पारी में पिच और स्थिति बदल गई — गुवाहाटी में तेज गेंदबाजी को मदद मिली जिससे बल्लेबाजों को निपटना और कठिन हो गया।
टीम प्रबंधन का शायद पिच-पूर्व अनुमान और तैयारी पर्याप्त नहीं थी जिस वजह से गेंदबाजों और बल्लेबाजों दोनों को संतुलित तैयारी नहीं मिल पाई।
नतीजा: पिच और कंडीशन में आए बदलाव भारत की रणनीति और तैयारी को प्रभावित करने वाले रहे।
गेंदबाजी का संतुलन और विपक्षी टीम की मजबूती — भारत की गेंदबाजी प्रभावित रही
दक्षिण अफ्रीका ने अपने तेज और स्पिन गेंदबाजों से बेहतरीन मिश्रण पेश किया जिससे भारतीय बल्लेबाजों पर लगातार दबाव रहा। मार्को जानसेन और अन्य गेंदबाजों ने रनों की बड़ी पार्टनरशिपों को बनने से पहले ही नाकाम कर दिया।
वहीं, भारत की गेंदबाजी पर्याप्त धारदार नहीं दिखी, न तो तेजी से विकेट लेने में, न ही स्पिन से असर दिखाने में। विरोधी बल्लेबाज़ी क्रम (निचले और मध्य) ने इससे फायदाखोरी की।
इस असंतुलन ने न केवल विपक्ष को बढ़त दी, बल्कि भारतीय टीम के दबाव में होने वाले पल ढक दिए।
नतीजा : गेंदबाज़ी में कमी और विपक्षी गेंदबाज़ों की मजबूती — जिससे भारत को किसी भी मोर्चे पर पकड़ नहीं बना सकी।
टीम चयन और रणनीतिक निर्णयों में चूक
टीम प्रबंधन ने ऐसा बैलेंस नहीं रखा जो दोनों तरह की कंडीशन (स्पिन-फ्रेंडली और पेस-फ्रेंडली) को संभाल सके। बल्लेबाजी ऑर्डर और खिलाड़ियों की फिटनेस/फॉर्म पर समय पर निर्णय नहीं हुए जिससे टीम की मजबूती घट गई।
फील्डिंग, सपोर्ट खिलाड़ियों की तैयारी और मानसिकता में स्थिरता नहीं दिखी, परिणामस्वरूप दबाव में टीम जल्दी टूटी।
नतीजा: चयन और रणनीति की गलतियाँ — जिन्होंने मैच के प्रति भारत के अवसरों को सीमित कर दिया।
आत्मविश्वास में कमी और मानसिक दबाव
भारतीय टीम, जो घरेलू मैदानों पर लंबे समय तक मजबूत रही है, इस बार विरोधी टीम और परिस्थितियों से प्रभावित दिखी। हार के बाद टीम मैनजमेंट और खिलाड़ियों दोनों का आत्मविश्वास डगमगाया।
दूसरी पारी में जरूरी लक्ष्य पीछा करते समय दबाव बहुत ज़्यादा था — खिलाड़ियों ने संयम खोया और आत्मघाती शॉट्स लिए। मैदान पर बने माहौल और विपक्षी टीम की स्थिरता ने भारत की गिरावट को और तेज किया।
नतीजा: मानसिक मजबूती का अभाव — जिसने कठिन परिस्थितियों में टीम को संभालने से रोका।
भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका दूसरा टेस्ट
यह हार भारत के टेस्ट इतिहास में एक और शर्मनाक अध्याय है क्योंकि रन के लिहाज से यह उनकी सबसे बड़ी हार है। दक्षिण अफ्रीका की पिछले 25 वर्षों में भारत में टेस्ट श्रृंखला में यह पहली जीत है। भारत के सामने 549 रन का असंभव लक्ष्य था और उसकी पूरी टीम मैच के पांचवें और अंतिम दिन 140 रन पर आउट हो गई। दक्षिण अफ्रीका ने अपनी पहली पारी में 489 रन बनाए थे जिसके जवाब में भारतीय टीम 201 रन पर आउट हो गई थी। दक्षिण अफ्रीका ने अपनी दूसरी पारी पांच विकेट पर 260 रन बनाकर समाप्त घोषित की थी।
भारत की तरफ से रविंद्र जडेजा ही कुछ संघर्ष कर पाए। उन्होंने 87 गेंदों में 54 रन बनाए। हार्मर ने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 37 रन देकर छह विकेट तथा मैच में कुल 9 विकेट लिए। एडेन मार्क्रम ने 9 कैच लेकर एक टेस्ट मैच में सर्वाधिक कैच का रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने भारत के अजिंक्य रहाणे के 2015 में लिए गए आठ कैच के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ा। दक्षिण अफ्रीका ने कोलकाता में खेला गया पहला टेस्ट मैच 30 रन से जीता था।

