लवलिना बोरगोहेन ‘मुए थाई’ की नैशनल चैम्पियन थीं, ऐसे आ गई बॉक्सिंग में

punjabkesari.in Saturday, Jul 31, 2021 - 10:33 PM (IST)

असम से टोक्यो ओलिम्पिक में हिस्सा लेने वाली पहली खिलाड़ी हैं लवलीना बोरगोहेन
मां की खराब सेहत और कोरोना को हराकर बॉक्सर ने तय किया ओलिम्पिक का सफर

स्पोर्ट्स डेस्क : फरवरी में 23 साल की लवलिना बोरगोहेन दो दिन के लिए पुणे के आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट से अपने पैतृक गांव असम के गोलाघाट जिले के बरो मुखिया गांव आई थीं। उनकी मां ममोनी का कोलकाता में किडनी का आपेरशन होना था। लवलिना उसके बाद गांव नहीं लौटी। उन्होंने टोक्यो ओलिम्पिक में चाइना ताइपे की निन चिन को हराकर 69 किलोग्राम वर्ग में अपना कम से कम ब्रॉन्ज मैडल पक्का कर लिया। लवलीना के पिता ने बेटी की सफलता पर कहा कि हमारे लिए सबसे अच्छा पल वो था जब हम लवलीना को खेलते हुए देख रहे थे। वह पिछली बार मां के इलाज के लिए आई थी। उनकी दोनों किडनियां खराब हैं। इसी चिंता में लवलीना सारी रात सो नहीं पाई थीं। आपरेशन के बाद मेरी पत्नी पहली बार बेटी को ओलिम्पिक मैडल के साथ देखेगी। 

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लवलिना की जुड़वां बहनें लीचा और लीमा भी हैं जोकि ‘मुए थाई’ में किस्मत आजमा रही हैं। लवलिना ने भी शुरू में ‘मुए थाई’ में हाथ आजमाया था। पिता टिकेन ने बताया कि मैं गांव के पास टी-गार्डन में 2500 रुपए प्रति माह की नौकरी करता था। तीनों बेटियां गेम करती थीं जिसके चलते खर्चे पूरी नहीं हो पाते थे। पत्नी ने सोसायटियों से 50 से डेढ़ लाख रुपए उठाकर बेटियों की गेम जारी रखवाई। 

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तीन सालों में लवलिना ‘मुए थाई’ में असम की चैम्पियन प्लेयर बन गई थी। उसने 2010 की गुवाहाटी नैशनल गेम्स में गोल्ड जीता। फिर ‘थांग ता’ में सिल्वर मैडल। उसे चोट लगने का डर नहीं था। ‘मुए थाई’ गेम ने उसे शारीरिक रूप से मजबूत बना दिया। 2012 में स्पोटर््स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के नैशनल कोच पदम बोरो की नजर लवलीना पर पड़ी। उन्होंने उसे बॉक्सिंग में हिस्सा लेने की सलाह दी। उसी साल वह सब जूनियर नैशनल चैम्पियन बन गईं। उन्होंने 4 इंटरनैशनल मैडल जीतेे। इनमें सर्बिया में हुए नैशनल कप का सिल्वर भी शामिल था। इसके बाद वियतनाम में हुई एशियन चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज तो 2018 की विश्व चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज जीता। रशिया में भी वह जीतीं। 

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लवलीना ने जब पिछले साल टोक्यो ओलिम्पिक के लिए क्वालीफाई किया था तब वह मां से मिलने गांव गईं। जब वह वापस लौटीं तो वह कोविड पॉजीटिव आ चुकी थीं। अब उनकी मां ममोनी उनसे मिलने को उत्सुक हैं। कहती हैं- जब भी बेटी गांव आएगी तो उसे फेवरेट दाल-भात बनाकर दूंगी।

गोल्ड मैडल जीत सकती है लवलीना : पदम बोरो

लवलीना के बचपन के कोच पदम बोरो ने महिला बॉक्सर को अगले मैच पर सलाह देते हुए कहा कि तनाव मत लेना। अपनी गेम खेलना। मैडल लेकर घर लौटना लेकिन उसका रंग और अच्छा हो। लवलीना की पहली गेम इतनी अच्छी नहीं थी लेकिन दूसरे मैच में उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा। वह भारत के लिए गोल्ड ला सकती है। उन्होंने पहले मैच में जर्मन की नादिना के खिलाफ अपनी हाइट का फायदा उठाते जैब और डबल जैब जड़े। फिर ताइपे की निन चिन के खिलाफ अटैकिंग फुटवर्क रखते हुए मैच जीता। उन्हें ऐसे ही आगे खेलना होगा।
 


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Content Writer

Jasmeet

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