रैड बॉल पर लगता है ज्यादा दिमाग, मिलती है चुनौतियां : चहल

punjabkesari.in Tuesday, Aug 14, 2018 - 09:21 PM (IST)

बेंगलुरू : भारतीय लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल ने कहा है कि सीमित प्रारूप की तुलना में टेस्ट क्रिकेट में गेंदबाजों को अधिक दिमाग लगाकर और रणनीति के साथ गेंदबाजी करनी पड़ती है क्योंकि बल्लेबाज इसमें आक्रामकता नहीं बल्कि ठहराव के साथ खेलते हैं। चहल की लगभग दो वर्ष बाद टेस्ट क्रिकेट में वापसी हुई है, वह हाल में दक्षिण अफ्रीका ए के खिलाफ समाप्त चार दिवसीय मैच में भारत ए का हिस्सा थे जिसे मेजबान टीम ने 1-0 से जीत लिया।

अलुर में दूसरे मैच के बाद चहल ने कहा- मेरे लिए दो वर्ष बाद बड़े प्रारूप में खेलना आसान नहीं है। मुझे खुद को इसके अनुरूप ढालने के लिए समय की जरूरत है क्योंकि बल्लेबाजों पर अधिक दबाव नहीं होता है। उन्होंने कहा- वनडे और ट्वंटी-20 में रन रेट अधिक होता है और बल्लेबाज आक्रामकता से खेलते हुये आउट हो जाते हैं। लेकिन टेस्ट प्रारूप में आपको अपनी सूझबूझ से ही बल्लेबाजों को आउट करना होता है क्योंकि वह बहुत धीमे रेट से खेलते हैं।

भारत ए के लिए सीरीज में चहल का प्रदर्शन संतोषजनक रहा जिन्होंने दो गैर-आधिकारिक टेस्टों में 55.75 के औसत से चार विकेट निकाले। उन्होंने कहा- आपको रेड बॉल के साथ दिमाग लगाने की जरूरत होती है क्योंकि यहां आप 30 से 35 ओवर तक गेंदबाजी करते हैं जबकि टी-20 में आपको केवल चार ओवर करने होते हैं।

 

28 वर्षीय स्पिनर ने आखिरी बार 2016 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला था लेकिन उन्हें भारत के लिए टेस्ट प्रारूप में अधिक मौका नहीं मिला, हालांकि सीमित ओवर प्रारूप में वह चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप यादव के साथ राष्ट्रीय टीम के नियमित खिलाड़ी हैं। उन्होंने कहा कि वह 2016 से ही सीमित ओवर खेल रहे हैं लेकिन टेस्ट में समय नहीं मिला। चहल ने कहा- यदि आप रेड बॉल से खेलते हैं तो आपकी गेंदबाजी में सुधार होता है और दिमाग तेज होता है। आपको उन परिस्थितियों में खुद को ढालने का मौका मिलता है जहां स्पिनरों को अधिक मदद नहीं मिलती है।

Jasmeet