बिना नाकामी के कामयाबी नहीं, कड़ी मेहनत करते रहो : मैरी कॉम-लेखरा-सुहास

punjabkesari.in Monday, Feb 17, 2025 - 01:43 PM (IST)

नई दिल्ली : महान मुक्केबाज एम सी मैरी कॉम, पैरालम्पिक स्टार अवनि लेखरा और सुहास यथिराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘परीक्षा पे चर्चा' पहल के तहत स्कूल के बच्चों को तनाव से निपटने के टिप्स देते हुए कहा कि नाकामी के बिना कामयाबी नहीं मिलती और कड़ी मेहनत हमेशा काम आती है। तीनों खिलाड़ियों ने बच्चों को नाकामी से उबरने, फोकस बनाये रखने और सुनौतियों का सामना करने की भी सलाह दी। 

परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम बोर्ड की परीक्षा देने जा रहे बच्चों के लिए 2018 से आयोजित किया जा रहा है। दो बार की पैरालम्पिक चैम्पियन निशानेबाज लेखरा ने कहा, ‘लोग कहते हैं कि सफलता असफलता की विलोम है। लेकिन मेरा मानना है कि नाकामी ही कामयाबी का सबसे बड़ा हिस्सा है। नाकामी के बिना कभी कामयाबी नहीं मिलती।' 

आम तौर पर टाउन हॉल प्रारूप में होने वाला परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम इस बार दिल्ली में सुंदर नर्सरी में आयोजित किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने विभिन्न क्षेत्रों की जानी मानी हस्तियों को स्कूली बच्चों के सवालों का जवाब देने के लिए बुलाया। उन्होंने 10 फरवरी को इसकी शुरूआत खुद की। छह बार की विश्व चैम्पियन और लंदन ओलंपिक कांस्य पदक विजेता मुक्केबाज मैरी कॉम ने मुक्केबाजी कैरियर के दौरान आई चुनौतियों के बारे में बात की। 

मैरी कॉम ने कहा, ‘मुक्केबाजी महिलाओं का खेल नहीं है। मैने यह चुनौती स्वीकार की क्योंकि मैं खुद को साबित करना चाहती थी और देश की सभी महिलाओं को बताना चाहती थी कि हम कर सकते हैं और मैं कई बार विश्व चैम्पियन बनी।' उन्होंने कहा, ‘आपके जीवन में भी अगर आप चुनौती का सामना करना चाहते हैं तो भीतर से मजबूत होना होगा। शुरूआत में मैने कई चुनोतियों का सामना किया। कई बार मैं हतोत्साहित हो जाती थी क्योंकि चुनौतियां काफी थी।' उन्होंने कहा, ‘हर क्षेत्र कठिन है। कोई शॉर्टकट नहीं होता। आपको मेहनत करनी होती है। अगर मैं कर सकती हूं तो आप क्यो नहीं।' 

दो बार के पैरालम्पिक रजत पदक विजेता बैडमिंटन स्टार और आईएएस अधिकारी सुहास ने कहा, ‘अच्छी चीजें आसानी से नहीं मिलती। सफर चलता रहना चाहिए। सूरज की तरह चमकना है तो जलने के लिए भी तैयार रहना होगा।' बच्चों ने दबाव, आशंकायें, बेचैनी और भटकाव से जुड़े कई सवाल पूछे। सुहास ने बताया कि कैसे नाकामी के डर को मिटाने से उन्हें एशियाई चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने में मदद मिली। 

उन्होंने कहा, ‘आपका दिमाग ही आपका सबसे बड़ा दोस्त और दुश्मन है। मैने 2016 में एशियाई चैम्पियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया। मैं इतना डर गया था कि पहला मैच हार गया और दूसरे में पीछे चल रहा था। फिर 30 सेकंड के ब्रेक के दौरान मैने खुद से कहा कि जब इतनी दूर आये हो तो सबसे बुरा यही हो सकता है कि आप हार जाओगे। हार के डर से उबरकर अपना स्वाभाविक खेल दिखाओ।' सुहास ने कहा, ‘मैने वह मैच ही नहीं बल्कि छह मैच और जीते और चीन में एशियाई चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाला पहला गैर वरीय खिलाड़ी बना। सबक यह है कि हार के डर से उबर जाओ, सामने कौन है इसके बारे में सोचे बिना अपना सर्वश्रेष्ठ दो।' 


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Content Writer

Sanjeev

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