कभी हार मानना नहीं सीखा, अब नजरें सिर्फ ओलंपिक पदक पर: दुती चंद

punjabkesari.in Saturday, Sep 15, 2018 - 07:47 PM (IST)

नई दिल्लीः एशियाई खेलों में देश को दो रजत पदक दिलाने वाली भारत की नयी उडऩपरी दुती आंलंपिक में पदक जीतने के एकमात्र लक्ष्य के साथ अभ्यास कर रही है। दुती चंद ने जकार्ता में हुए एशियाई खेलों में महिलाओं की 200 मीटर दौड़ और 100 मीटर में रजत पदक अपने नाम किया। वह इन दोनों स्पर्धाओं में बहरीन की एडिडियोंग ओडियोंग से पिछड़ गई। 

टूर डी कलिंगा (कोणर्क अंतराष्ट्रीय साइक्लॉथॉन का चौथा सत्र) की ब्रांड दूत के तौर पर यहां पहुंची दुती ने कहा, ‘‘ मैंने कभी हार मानना नहीं सीखा है। बचपन से अभी तक लगातार चुनौतियों से लड़कर आगे बढ़ी हूं और हर परिस्थिति में प्रशिक्षण पर ध्यान देती हूं। यही वजह है कि मुझे एक के बाद एक सफलता मिलती रही हैं। खासकर 100 मीटर (एशियाई खेलों) में मैं फोटो फिनिश में ओडियोंग से पिछड़ गयी थी, वैसे भी वह (एडिडियोंग ओडियोंग) एशियाई मूल की खिलाड़ी नहीं है।’’
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इनामी राशि से हाैसला बढ़ा
दुती ने कहा, ‘‘ मुझे फख्र है कि इतनी बड़ी खिलाड़ी को टक्कर दे सकीं। अब मेरा लक्ष्य ओलंपिक में देश के लिए पदक जीतना है। राज्य सरकार से भी मुझे मदद मिल रही है। मैं प्रशिक्षण और अभ्यास के लिए देश से बाहर जाउंगी जहां अलग परिस्थितियों में तैयारी कर सकूंगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ विदेशों में प्रशिक्षण लेना इस लिए जरूरी है क्योंकि कि 100 और 200 मीटर दौड़ में सबसे ज्यादा प्रतिस्पर्धा होती है और छोटी-छोटी तकनीकी चीजों से काफी फर्क पड़ता है जिसमें मुझे सुधार करना होगा।’’ दुती ने कहा, ‘‘ सौ मीटर दौड़ में पदक हासिल करने के बाद ओडि़शा के मुख्यमंत्री ने डेढ़ करोड़ रुपए इनामी राशि की घोषणा कि जिससे मेरा हौसला बढ़ा और मैंने सोचा कि 200 मीटर में जीत गयी तो इनामी राशि में और बढ़ जाएगी। इसलिए मैंने इसमें और अधिक जोर लगाया।’’ 
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एथलीट बनकर भी कमाया जा सकता है नाम
दुती ने कहा कि पिछले कुछ समय में देश में खेलों को लेकर लोगों का नजरिया बदला है और हाल ही खत्म हुए एशियाई खेलों ने इसे और मजबूत किया है। उन्होंने कहा, ‘‘ पहले लोग सिर्फ क्रिकेट और कुछ हद तक हाकी और फुटबाल जैसे खेलों को ही महत्व देते थे लेकिन अब नजरिया बदला है और वे समझने लगे है कि एथलीट बनकर भी नाम और शोहरत हासिल की जा सकती है। मैंने भी इसे साबित कर दिखाया है।’’ टूर डी कलिंगा का आयोजन आठ से 23 दिसंबर तक होगा। भुवनेश्वर से कोरापुट से भुवनेश्वर की 1350 किलोमीटर की इस स्पर्धा में दुनियाभर के 40 से ज्यादा साइकिलिस्ट भाग लेंगे जिसे पूरा करने वाले को इनामी राशि के साथ ट्राफी और प्रशस्ति पत्र दिये जाऐंगे। आयोजन के पहले दिन आम लोगों के लिए 100 किलोमीटर की साइकिङ्क्षलग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।       PunjabKesari   


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Rahul

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