टोक्यो ओलंपिक में एंट्री पाकर बोले पहलवान रवि दहिया- मेरी असली यात्रा शुरू हुई

punjabkesari.in Saturday, Sep 21, 2019 - 03:30 PM (IST)

नूर सुल्तान (कजाखस्तान) : टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने और अपनी पहली विश्व चैंपियनशिप में ही कांस्य पदक जीतने वाले रवि दहिया बेहद मितभाषी लेकिन प्रतिभा के धनी पहलवान हैं। दहिया ने 57 किग्रा में कई शीर्ष पहलवानों को हराया लेकिन फिर भी उनके चेहरे पर मुस्कान नहीं थी। यहां तक कि जापान के युकी तकाहाशी जैसे पहलवान पर जीत दर्ज करने पर भी उनके चेहरे पर खुशी नहीं झलक रही थी। वह सेमीफाइनल में रूस के विश्व चैंपियन जौर उगएव से हार गए थे लेकिन बाद में कांस्य पदक जीतने में सफल रहे जिसके बाद उनके चेहरे पर मुस्कान साफ दिख रही थी। दहिया ने बाद में कहा- उन्होंने मेरे मुकाबले काफी जल्दी जल्दी करवा दिए थे।

दहिया से पूछा गया कि आपने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर दिया है, उन्होंने कहा- हां, वो तो है। दहिया ने पेशेवर कुश्ती लीग में अंडर-23 यूरोपीय चैंपियन और संदीप तोमर को हराकर अपनी प्रतिभा की झलक दिखाई थी। इसके बाद उन्होंने विश्व चैंपियनशिप के ट्रायल्स में भी अपनी छाप छोड़े। यह 22 वर्षीय मुक्केबाज छत्रसाल स्टेडियम की देन है जिससे दो ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त निकले हैं। वह 10 साल पहले अपने गांव नाहरी से यहां आये थे और तब वह केवल 12 साल के थे। बेहद मितभाषी और शर्मीले स्वभाव के दहिया के आदर्श ईरान के हसन याजदानी हैं।

उन्होंने कहा- मैं बचपन से ही ऐसा (शर्मीला) हूं। मेरी असली यात्रा अब शुरू हुई है। मैंने क्या हासिल किया है? मेरे अभ्यास केंद्र पर ओलंपिक पदक विजेता पहलवान है। मैंने क्या किया है? दहिया के लिए मेंटर की भूमिका निभाने वाले अरूण कुमार ने कहा- देखिए उसकी परवरिश कैसी हुई है। 

सुशील कुमार ने कहा- आप छत्रसाल स्टेडियम के सभी प्रशिक्षु इसी तरह के मिलेंगे। उनका ध्यान केवल खेल पर होता है। दहिया के पिता किसान है और हर सुबह 39 किमी दूर स्थित अपने गांव से बेटे के लिए दूध और फल लेकर आते हैं। उन्होंने कहा- मैंने उनसे (अपने पिता) कहा कि वे परेशान नहीं हों लेकिन वे चाहते हैं कि मैं घरवाला शुद्ध दूध लूं।

Jasmeet