क्रिकेटर बनने का सपना था, भयानक चोट से हुए लकवाग्रस्त, अब पैरा टेबल टेनिस में कर रहे कमाल

punjabkesari.in Thursday, Mar 27, 2025 - 06:32 PM (IST)

नई दिल्ली : पैरा टेबल टेनिस खिलाड़ी ऋषित नाथवानी हमेशा से ही पेशेवर क्रिकेटर बनना चाहते थे लेकिन 2017 में एक साधारण से कबड्डी मैच के दौरान लगी एक भयानक चोट ने उन्हें गर्दन से नीचे लकवाग्रस्त कर दिया। लेकिन नाथवानी ने उम्मीद नहीं छोड़ी, उन्होंने अपने खेल सफर को जारी रखने के लिए पैरा टेबल टेनिस की ओर रुख किया और यहां खेलो इंडिया पैरा खेलों (केआईपीजी) 2025 में पुरुषों की क्लास 5 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। नाथवानी ने चोट को याद करते हुए बताया, ‘मेरी पीठ में चोट लगी थी। अंदरूनी रक्तस्राव हो रहा था जिससे मेरी नसें फट गईं और रीढ़ की हड्डी थोड़ी हिल गई। इससे मैं गर्दन से नीचे लकवाग्रस्त हो गया।' 

डॉक्टर उनके ठीक होने को लेकर निराशावादी थे, उनका सुझाव था कि वे शायद कभी बिस्तर से ही नहीं उठ पाएं। लेकिन नाथवानी और उनके परिवार ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया। मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में दो महीने ‘रिहैबिलिटेशन' में बिताने के बाद नाथवानी धीरे-धीरे अपने ऊपरी शरीर में ‘मूवमेंट' हासिल करने लगे। उनका शुरुआती लक्ष्य पेशेवर क्रिकेट में वापसी करना था। लेकिन जैसे-जैसे फिजियोथेरेपी आगे बढ़ी, उन्हें अहसास हुआ कि अब वह इस रास्ते पर नहीं चल सकेंगे, उन्हें दूसरा खेल चुनना होगा होगा। नाथवानी ने कहा, ‘चोट के बाद मेरा पहला लक्ष्य पूरी तरह से ठीक होना और पेशेवर क्रिकेट में वापसी करना था। दो साल तक फिजियोथेरेपी की और काफी हद तक ठीक हो गया, लेकिन मेरे पैर ठीक नहीं हुए।' 

संयोग से पैरा टेबल टेनिस उनके जीवन में आया। अपनी मां के साथ एक यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात उनके पहले कोच अशोक पाल से हुई जो एक छोटी सी दुकान में पैरा टेबल टेनिस सिखा रहे थे। पाल ने उनकी काबिलियत पर भरोसा दिखाया और नाथवानी ने ट्रेनिंग शुरू कर दी। नाथवानी ने कहा, ‘उन्होंने मुझसे कहा कि अगर मैं खेलता हूं तो मैं राष्ट्रीय स्तर पर जीत सकता हूं।' 

जब वह 19 साल के थे, उन्होंने 2021 में अपनी पहली राष्ट्रीय प्रतियोगिता में रजत पदक जीता जिसने भविष्य की सफलता के लिए मंच तैयार किया। अब नाथवानी का लक्ष्य अपनी विश्व रैंकिंग में सुधार करना और फिर 2028 लॉस एंजिल्स पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई करना है। लेकिन वह समझते हैं कि इस यात्रा के लिए समर्पण की आवश्यकता है, अपनी रैंकिंग को बनाए रखने और सुधारने के लिए वह सालाना कम से कम छह अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भाग लेने की योजना बना रहे हैं। नाथवानी की सफलता के पीछे उनके परिवार का अटूट समर्थन है, खासकर उनकी मां विधि नाथवानी का। 

उनकी मां ने कहा, ‘जब ऋषित चोटिल हुआ तो डॉक्टरों ने हमें कहा कि उसे खेलों को छोड़ने के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि वह बिस्तर से उठ भी नहीं पाएगा।' नाथवानी और उनकी मां दोनों ने पैरा खेलों के बारे में जागरूकता फैलाने की वकालत की। नाथवानी ने कहा, ‘कई पैरा खिलाड़ियों को उन खेलों के बारे में पता ही नहीं है जिन्हें वे खेल सकते हैं। जब वे टीवी पर इन खेलों को देखेंगे तो उन्हें अहसास होगा कि वे भी इसमें भाग ले सकते हैं और बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।' 


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Content Writer

Sanjeev

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