सिर जो तेरा चकराए... विनोद कांबली ने गाया गाना, तेंदुलकर की प्रतिक्रिया हुई नोटिस

punjabkesari.in Wednesday, Dec 04, 2024 - 08:56 PM (IST)

खेल डैस्क : मुंबई में कोच रमाकांत आचरेकर की जयंती पर उनके स्मारक के अनावरण समारोह में सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली विशेष तौर पर पहुंचे। इस दौरान कांबली ने एक गाना गाकर सबका ध्यान खींचने की कोशिश की। दोनों क्रिकेटर्स ने जब इंटरनेशनल क्रिकेट में दस्तक दी थी तो उन्हें भारतीय क्रिकेट का भविष्य माना गया था। दोनों ने हैरिस शील्ड मैच में अपने स्कूल शारदाश्रम विद्यामंदिर के लिए खेलते हुए रिकॉर्ड 664 रनों की साझेदारी की थी। इसमें कांबली ने तिहरा शतक जड़ा था। बाद में तेंदुलकर जहां सफलता की सीढ़ियां लगातार चढ़ते गए तो वहीं, कांबली ऐसा नहीं कर पाए। कांबली आजकल अपने खराब स्वास्थ्य के कारण भी चर्चा में है।

 

बहरहाल, कांबली की एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है जिसमें वह स्टेज पर बैठे पुराना बॉलीवुड गाते सुनाए दे रहे हैं। स्टेज पर सचिन तेंदुलकर के साथ मनसे पार्टी प्रमुख राज ठाकरे भी बैठे हैं। ऐसे में कांबली माइक पकड़कर प्यासा गीत का गीत सिर जो तेरा चकराए, दिल ढूबा जाए, आजा प्यारे पास हमारे, काहे घबराए, गाना। हालांकि खराब स्वास्थ्य के कारण वह इसे ठीक से गा भी नहीं पाए। जब कांबली ने गाना शुरू किया तो पहले तो सचिन बिल्कुल स्तब्ध दिखे लेकिन बाद में उन्होंने अपने पुराने दोस्त के लिए तालियां बजाईं। देखें वीडियो- 

 

 

कार्यक्रम की शुरूआत में भी सचिन ने कांबली से स्टेज पर मुलाकात की थी। कांबली बेहद खुश नजर आ रहे थे। देखें वीडियो-

 

 

स्मृति समारोह के बाद रमाकांत की बेटी विशाखा दलवी ने अपने दिवंगत पिता के बारे में बात की और एक कोच के रूप में उनके "निःस्वार्थ" रवैये पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अखबारों की सुर्खियों में सर को हमेशा 'निःस्वार्थ कोच' के रूप में जाना जाता था। उनका कभी भी व्यावसायिक दृष्टिकोण नहीं था। उनके लिए एक शिक्षक होने का सार बच्चों का मार्गदर्शन करना था और उन्होंने ऐसा पूरे दिल से किया। उन्होंने अपने छात्रों के भविष्य को आकार दिया। वह हमेशा दूसरों को खुद से पहले रखते थे। हम उन्हें संत कह सकते हैं, क्योंकि उनके जैसे लोग दुर्लभ हैं। उन्हें कई पुरस्कार मिले, जैसे द्रोणाचार्य पुरस्कार, लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार और पद्म श्री। अपनी प्रशंसाओं के बावजूद, वह एक साधारण व्यक्ति बने रहे जो प्यार करना और जीवन को पूरी तरह से जीना जानते थे। मैंने उन्हें कभी थका हुआ नहीं देखा। आराम करना उनके शब्दकोष में नहीं था और मैं भी उसी रास्ते पर चल रही हूं।


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Content Writer

Jasmeet

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