''कुछ खिलाड़ी कप्तान के पसंदीदा होते हैं'' : अमित मिश्रा ने क्रिकेट से संन्यास के बाद बेबाकी से की बात
punjabkesari.in Friday, Sep 05, 2025 - 04:37 PM (IST)

स्पोर्ट्स डेस्क : भारत के अनुभवी लेग स्पिनर अमित मिश्रा ने बृहस्पतिवार को क्रिकेट के हर प्रारूप से संन्यास ले लिया और उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान दो अलग दौर का सामना किया। पहला दौर महान स्पिनर अनिल कुंबले की जगह लेने के साथ उनसे की जाने वाली अपेक्षाओं के भारी दबाव से निपटने में बीता तो दूसरा दौर रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा के आने से हुई प्रतिस्पर्धा से निपटने का रहा। इसमें से ऑफ स्पिनर अश्विन जहां महेंद्र सिंह धोनी की योजना का हिस्सा रहे तो वहीं जडेजा विराट कोहली की रणनीति के अनुकूल रहे। लेकिन लेग ब्रेक गेंदबाजी करने वाले और शानदार गुगली फेंकने वाले मिश्रा को अश्विन और जडेजा के साथ तीसरे विकल्प के रूप में काफी कम इस्तेमाल किया जाता।
प्रतिस्पर्धी क्रिकेट से संन्यास की घोषणा के बाद एक विशेष साक्षात्कार में मिश्रा ने कहा, 'यह बहुत निराशाजनक था। कभी आप टीम में होते हैं, कभी बाहर। कभी आपको प्लेइंग इलेवन में मौका मिलता है, कभी नहीं। बेशक, यह निराशाजनक है, और इसमें कोई शक नहीं कि मैं कई बार निराश हुआ।' उन्होंने कहा, 'लेकिन फिर आपको याद आता है कि आपका सपना भारत के लिए क्रिकेट खेलना है। आप राष्ट्रीय टीम के साथ हैं, और लाखों लोग वहां पहुंचने के लिए इतनी मेहनत कर रहे हैं। आप भारतीय टीम के 15 खिलाड़ियों में से एक हैं। इसलिए, मैंने सकारात्मक रहने की कोशिश की।'
प्रतिभा के बावजूद मिश्रा ने स्वीकार किया कि भारतीय टीम में अंदर-बाहर रहना मानसिक रूप से कठिन था। उन्होंने आगे कहा, 'जब भी मैं निराश होता था, मैं सोचता था कि मैं कहां सुधार कर सकता हूं। चाहे वह मेरी फिटनेस हो, बल्लेबाजी हो या गेंदबाजी, मैंने हमेशा बेहतर होने पर ध्यान केंद्रित किया। जब भी मुझे भारतीय टीम के लिए खेलने का मौका मिला, मैंने अच्छा प्रदर्शन किया, और मैं इससे बहुत खुश हूं। मैं कड़ी मेहनत से कभी पीछे नहीं हटा।'
मिश्रा ने कहा, 'मैं कहूंगा कि मेरे लिए सबसे निर्णायक क्षण 2008 के IPL में ली गई हैट्रिक थी, जहां मैंने मैच में 5 विकेट भी लिए थे। उसके बाद मैंने भारतीय टीम में वापसी की। उससे पहले, मैं घरेलू क्रिकेट में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा था, हर सीजन में 35-45 विकेट ले रहा था, लेकिन मैं राष्ट्रीय टीम में वापसी नहीं कर पाया। उस आईपीएल हैट्रिक ने मेरे लिए चीजें बदल दीं। मैंने पिछले साल सैयद मुश्ताक अली में भी अच्छा प्रदर्शन किया था और 25 विकेट लिए थे, जिससे मुझे IPL अनुबंध (दिल्ली डेयरडेविल्स) हासिल करने में मदद मिली। उस हैट्रिक के बाद मैं लगातार भारतीय टीम में वापसी करता रहा और टी-20 में मेरा करियर भी शुरू हो गया। इसलिए, 2008 में पाँच विकेट वाली वह हैट्रिक मेरे जीवन का एक निर्णायक क्षण होगी।'
मिश्रा ने विभिन्न कप्तानों द्वारा गेंदबाजों के अपने पसंदीदा चयन के बारे में अपना दृष्टिकोण रखा और यह भी कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने कहा, 'कुछ खिलाड़ी कप्तान के पसंदीदा होते हैं। लेकिन इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। आपको बस जब भी मौका मिले खुद को साबित करना होता है। जैसा कि मैंने कहा, ये चीजें मायने नहीं रखतीं। कभी-कभी कोई खिलाड़ी जो आपसे बेहतर प्रदर्शन करता है, उसे ज्यादा पसंद किया जाता है, लेकिन जब आप अच्छा प्रदर्शन करने लगते हैं, तो सब कुछ बदल जाता है।'
उन्हें आईपीएल में विदेशी खिलाड़ियों की तुलना में भारतीय बल्लेबाजों को गेंदबाजी करना हमेशा ज्यादा चुनौतीपूर्ण लगता था। मिश्रा ने कहा, 'जब भी मैंने किसी जाने-माने भारतीय खिलाड़ी का विकेट लिया, मुझे गर्व महसूस हुआ। वीरेंद्र सहवाग, रोहित शर्मा, युवराज सिंह, गौतम गंभीर या विराट कोहली जैसे खिलाड़ी - ये ऐसे खिलाड़ी हैं जो किसी भी पल खेल का रुख बदल सकते हैं। आप अपने कौशल से किसी विदेशी खिलाड़ी को परेशान कर सकते हैं, लेकिन इन खिलाड़ियों को आप अच्छी तरह जानते हैं। जब आप उनका विकेट लेते हैं, तो आपको एक अलग, बहुत सकारात्मक एहसास होता है। मैं कहूंगा कि सभी भारतीय बल्लेबाज़ों के सामने गेंदबाज़ी करना स्पिनर के लिए मुश्किल होता है।'