Year Ender 2025 : बदलाव, बहस और बिखरता घरेलू किला, टेस्ट क्रिकेट में ऐसा रहा भारत का यह साल
punjabkesari.in Tuesday, Dec 30, 2025 - 12:37 PM (IST)
स्पोर्ट्स डेस्क : भारतीय क्रिकेट के लिए 2025 ऐसा साल रहा, जिसने टीम की ताकत और कमजोरियों दोनों को बेनकाब कर दिया। एक ओर भारत ने व्हाइट-बॉल क्रिकेट में अपना दबदबा कायम रखते हुए चैंपियंस ट्रॉफी और एशिया कप जैसे बड़े खिताब जीते, वहीं टेस्ट क्रिकेट में तस्वीर बिल्कुल अलग रही। खासतौर पर घरेलू मैदानों पर मिली हार, नेतृत्व में बदलाव और चयन से जुड़े फैसलों ने भारतीय टेस्ट टीम को गंभीर सवालों के घेरे में ला खड़ा किया। यह साल उपलब्धियों से ज्यादा आत्ममंथन का रहा।
विवादों के साथ हुई साल की शुरुआत
2025 की शुरुआत ही भारतीय टेस्ट क्रिकेट के लिए सहज नहीं रही। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के अंतिम टेस्ट से कप्तान रोहित शर्मा का बाहर बैठना बड़ा और चौंकाने वाला फैसला था। खराब फॉर्म के चलते लिया गया यह कदम केवल एक मैच तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इससे उनकी कप्तानी और भविष्य को लेकर बहस तेज हो गई। हालांकि रोहित ने बाद में स्पष्ट किया कि यह अस्थायी निर्णय था, लेकिन इससे टीम के भीतर अस्थिरता साफ दिखने लगी।
दिग्गजों का अचानक बाहर होना
आने वाले महीनों में भारतीय टेस्ट टीम की तस्वीर तेजी से बदली। अनुभवी ऑफ स्पिनर आर अश्विन, लंबे समय तक भारत के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज़ रहे विराट कोहली और कप्तान रोहित शर्मा—तीनों ही टेस्ट सेटअप से बाहर हो गए। इन तीनों के जाने से टीम की रीढ़ कमजोर पड़ गई। अनुभव, मैच जीतने की क्षमता और नेतृत्व का जो खालीपन बना, उसे भरना आसान नहीं था।
शुभमन गिल को मिली कप्तानी
रोहित के बाद टेस्ट कप्तानी की जिम्मेदारी युवा शुभमन गिल को सौंपी गई। चयनकर्ताओं ने उन्हें भारतीय क्रिकेट का भविष्य मानते हुए बड़ी जिम्मेदारी दी। लेकिन नए कप्तान को संभलने का वक्त नहीं मिला, क्योंकि पहला ही असाइनमेंट इंग्लैंड का कठिन दौरा था। विदेशी परिस्थितियों में कप्तानी संभालना गिल के लिए बड़ी परीक्षा थी।
इंग्लैंड में संघर्ष और यादगार वापसी
गिल ने कप्तानी की शुरुआत शानदार अंदाज़ में की और पहले ही टेस्ट में शतक जड़कर आलोचकों को जवाब दिया। हालांकि, भारत वह मैच हार गया, जब इंग्लैंड ने 371 रनों का मुश्किल लक्ष्य हासिल कर लिया। इसके बाद गिल ने दूसरे टेस्ट में असाधारण प्रदर्शन करते हुए दोनों पारियों में रन बनाए और एक टेस्ट में 430 रन जुटाए। इस ऐतिहासिक प्रदर्शन की बदौलत भारत ने बड़ी जीत दर्ज की और सीरीज में वापसी की।
सीरीज का रोमांचक अंत
इंग्लैंड सीरीज में भारत की राह आसान नहीं रही। लॉर्ड्स में करीबी हार ने टीम को झकझोर दिया, लेकिन चौथे टेस्ट में लंबा संघर्ष कर ड्रॉ हासिल किया गया। द ओवल में आखिरी टेस्ट में मोहम्मद सिराज की धारदार गेंदबाज़ी ने भारत को रोमांचक जीत दिलाई। 2-2 से ड्रॉ हुई यह सीरीज नए दौर की सकारात्मक शुरुआत मानी गई।
घरेलू मैदान पर बिखरी टीम
विदेशी सफलता के उलट, घर पर भारत की टेस्ट टीम संघर्ष करती नजर आई। वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ सीरीज जीत के बावजूद कमजोरियां साफ दिखीं। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ऐतिहासिक घरेलू हार ने हालात और बिगाड़ दिए। 25 साल बाद भारत में सीरीज जीतकर अफ्रीकी टीम ने भारतीय किले की मजबूती पर सवाल खड़े कर दिए।
चयन और रणनीति पर उठते सवाल
घरेलू हारों के बाद हेड कोच गौतम गंभीर आलोचनाओं के केंद्र में आ गए। पिच चयन, लगातार बदलता बल्लेबाज़ी क्रम और तय नंबर तीन की कमी ने टीम संतुलन बिगाड़ दिया। वाशिंगटन सुंदर और नीतीश कुमार रेड्डी जैसे चयन फैसलों ने रणनीतिक स्पष्टता की कमी को उजागर किया।

