टोक्यो ओलिम्पिक : पैरालिम्पिक में पहला भारतीय तैराक सुयश जाधव

punjabkesari.in Saturday, May 29, 2021 - 10:04 PM (IST)

पैरा-तैराक सुयश नारायण जाधव 2020 टोक्यो पैरालिम्पिक के लिए क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय तैराक बन गए हैं। सुयश टोक्यो में एस-7 कैटेगरी की 50 मीटर बटरफ्लाई और एसएम-7 कैटेगरी की 200 मीटर व्यक्तिगत मेडले में प्रतिस्पर्धा करते नजर आएंगे।

महाराष्ट्र के 27 वर्षीय सुयश ने जकार्ता में आयोजित 2018 एशियाई पैरा खेलों में अपने प्रदर्शन के आधार पर पैरालिम्पिक में अपना स्थान बुक किया। सुयश अभी साई के भालेवडी सैंटर में प्रैक्टिस कर रहे हैं।


यह है रिकॉर्ड : 50 मीटर बटरफ्लाई में न्यूनतम योग्यता मानक (एम.क्यू.एस.) 0.32.90 है वहीं, सुयश 0.32.71 का समय दर्ज कर चुके हैं जोकि उन्हें गोल्ड मैडल की ओर ले जा सकते हैं।

इधर, तैराक नटराज-साजन को एक और मौका !

भारतीय तैराक श्रीहरि नटराज और साजन प्रकाश के लिए टोक्यो गेम्स में हिस्सा लेने का रास्ता बन रहा है। संभावना है कि दोनों जून में सॢबया और इटली में होने वाली ओलिम्पिक क्वालिफकेशन मीट में हिस्सा लेंगे। दोनों तैराक मोराको में इस महीने के अंत में होने वाली मीट में हिस्सा लेना चाहते थे लेकिन ट्रैवल और पृथकवास में शूट न मिलने के चलते वह ऐसा नहीं कर पाएं। स्विमिंग फैडरेशन ऑफ इंडिया के सैक्रेटरी मोनल चौकसी ने एक बयान में कहा कि हम वीजा के लिए जरूरी काम कर रहे हैं। हमारे प्लेयर दो टूर्नामैंट्स में हिस्सा ले सकते हैं।

ओलिम्पिक की तैयारी में सानिया मिर्जा

भारतीय टैनिस प्लेयर सानिया मिर्जा ने ओलिम्पिक रिंग के साथ खिंचवाई एक फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट की है। 2010 कॉमनवैल्थ गेम्स में सिल्वर जीतने वाले सानिया ओलिम्पिक के लिए यू.के. में होने वाले कंपीटिशन से तैयारी करेंगी।सानिया की इस तस्वीर पर पूर्व भारतीय टैनिस प्लेयर महेश भूपति ने स्ट्रॉन्ग हैंड की इमोजी दी है।

भाला फैंक खिलाडिय़ों के लिए ली विशेष मशीन

नई दिल्ली : भारतीय एथलैटिक्स महासंघ (ए.एफ.आई.) ने देश के शीर्ष भाला फैंक खिलाडिय़ों जैसे ओलिम्पिक के लिए क्वालीफाई कर चुके नीरज चोपड़ा और शिवपाल सिंह के लिए एन.आई.एस. पटियाला में एक विशेष ‘स्ट्रैंथ-बिल्डिंग’ मशीन लगाई है। मशीन का नाम क्रॉफ्ट ट्रेनिंग जेराट (के.टी.जी.) है। इससे भाला फैंक एथलीट अपनी मजबूती और रफ्तार बढ़ा सकेंगे। इससे उन्हें चोट के काफी कम जोखिम के भाले को आदर्श दिशा में भेजने में मदद मिलेगी। जर्मनी की तकनीक वाली यह मशीन चीन बनी है।

कैरोलिन मारिन को लगी चोट, खेलना संदिग्ध

शटलर कैरोलिन मारिन को प्रैक्टिस के दौरान घुटने में चोट लग गई है जिससे आगामी टोक्यो गेम्स में उनका खेलना संदिग्ध हो गया है। मारिन ने एक बयान में कहा कि आज मैं ट्रेङ्क्षनग के दौरान सहज नहीं थी। इस कारण मुझे इसे रोकना पड़ा। प्राथमिक जांच में पता चलता है कि मेरा घुटना ठीक नहीं है।

मेरा फोकस फिटनेस पर : रीना खोखर

बेंगलुरू : भारतीय महिला हॉकी टीम की डिफैंडर रीना खोखर ने कहा कि वह आगामी ओलिम्पिक खेलों के बारे में ज्यादा नहीं सोच रही है और उसका फोकस फिट रहकर टोक्यो ओलिम्पिक की टीम में जगह बनाने पर है। खोखर का टीम में चयन होता है तो यह उसका पहला ओलिम्पिक होगा। उसने 23 जुलाई से शुरू हो रहे ओलिम्पिक से पहले कहा कि भविष्य के बारे में सोचते रहने से दबाव बनता है। हम वर्तमान में जीने की कोशिश करते हैं। अब ओलिम्पिक में 60 दिन से भी कम समय बचा है और हम काफी मेहनत कर रहे हैं। हम कोई अपने खेल को बेहतर करना चाहता है और अभ्यास सत्रों को काफी संजीदगी से ले रहे हैं। खोखर ने कहा कि ज्यादा समय बचा नहीं है तो हम सभी छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दे रहे हैं जैसे खुराक, फिटनेस और चोटों से बचाव।

हम गोपीचंद सर को मिस नहीं करेंगे : सिंधू

टोक्यो ओलिम्पिक के लिए नए कोच पार्क ताए सांगो के अंडर ट्रेनिंग कर रही भारतीय शटलर पी.वी. सिंधू का कहना है कि वह इस बड़े इवैंट के दौरान अपने पुराने कोच पुल्लेला गोपीचंद को मिस नहीं करेंगी। महिला रैंकिंग में 7वें स्थान पर काबिज सिंधू ने कहा कि मैं गोपीचंद सर को मिस नहीं करूंगी। क्योंकि मैं रोजाना 5-6 घंटे कोच पार्क और सुचित्रा के साथ गेम्स की तैयारियां कर रही हूं। पार्क के व्यक्तिगत ध्यान ने मेरी बहुत मदद की है। जब से हम (गोपीचंद अकादमी से) गच्चीबौली स्टेडियम से आए हैं, हमारा प्रशिक्षण बहुत अच्छा गया है। बता दें कि सिंधु के अलावा, भारत के शीर्ष क्रम के पुरुष खिलाड़ी साई प्रणीत भी आगामी ओलिम्पिक में शामिल होंगे। वहीं युगल में सात्विक साईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी क्वालीफाई कर चुके हैं।

किताबें पढ़कर किया खुद को प्रेरित : बजरंग 

भारतीय रैसलर बजरंग पुनिया का कहना है कि मैं लॉकडाउन के दौरान प्रेरित रहने के लिए किताबें पढ़ता था। मेरे फिजियो और कोच भी मुझे प्रेरित करते रहे। मेरे साथ रहने वाले सभी लोगों ने मेरा हौसला बढ़ाया है। सौभाग्य से, मुझे कभी मनोवैज्ञानिक की आवश्यकता नहीं पड़ी। मैं हमेशा सकारात्मक रहा हूं।

Content Writer

Jasmeet