पिता और बेटी की मौत के बावजूद रणजी मैच खेलेंगे विष्णु सोलंकी

punjabkesari.in Tuesday, Mar 01, 2022 - 05:50 PM (IST)

वडोदरा : दो हफ्ते के भीतर ही अपनी बेटी और पिता को खोने वाले बड़ौदा के बल्लेबाज़ विष्णु सोलंकी ने रणजी ट्रॉफी में खेलते रहने का निर्णय लिया है। वह तीन मार्च से शुरू होने वाले आखि़री लीग मैच में हिस्सा लेंगे। 11 फरवरी को सोलंकी की पत्नी ने बेटी को जन्म दिया था, लेकिन 12 फ़रवरी को उन्हें खबर मिली कि उनकी एक दिन की बेटी अब इस दुनिया में नहीं रही। उस समय सोलंकी बड़ौदा रणजी टीम के साथ क्वारन्टीन में थे। 

बड़ौदा टीम के मैनेजर धर्मेंद्र अरोठे ने आधी रात में उन्हें यह सूचना दी। अगली सुबह सोलंकी घर लौट चुके थे। इस वज़ह से वह बड़ौदा का पहला लीग मैच भी नहीं खेल पाए। जो 16 से 19 फ़रवरी के बीच बंगाल के विरुद्ध खेला गया। हालांकि सोलंकी इसी बीच 17 फरवरी को बड़ोदा कैंप में लौट आए और चंडीगढ़ के विरुद्ध मैच की तैयारी करने लगे। उन्होंने मैच के दूसरे दिन नाबाद 103 रन की बेहतरीन पारी खेली।

बड़ौदा के टीम मैनेजर अरोठे ने कहा कि विष्णु ने इस शतक को अपनी बेटी को समर्पित किया, जिसे वह जिंदा रहते हुए देख भी नहीं सके थे। रविवार सुबह सोलंकी को एक और झटका लगा जब उन्हें उनके पिता के मौत की ख़बर मिली। उस समय वह चौथे दिन के मैच के लिए मैदान में उतर रहे थे। बड़ौदा के मैनेजर अरोठे ने यह ख़बर पहले कप्तान केदार देवधर को बताई। फिर सोलंकी के अच्छे दोस्त और बड़ोदा के 12वें खिलाड़ी निनाद राठवा ने यह ख़बर सोलंकी को दी। 

सोलंकी के पिता 75 वर्ष के थे और क़रीब दो महीने से अस्पताल में भर्ती थे। उस दिन बड़ौदा और चंडीगढ़ के खिलाड़ी अपने बाजुओं पर काली पट्टी पहन कर उतरे और दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। मैच रेफरी अमित पाठक ने सोलंकी को ड्रेसिंग रूम में मोबाइल का प्रयोग करने की अनुमति दी ताकि वह अपने परिवार से बात कर सकें। अरोठे ने बताया कि सोलंकी ने अपने पिता का अंतिम संस्कार ड्रेसिंग रूम से देखा।

बड़ौदा क्रिकेट एसोसिएशन ने सोलंकी के सामने वापस घर लौटने का प्रस्ताव रखा, लेकिन सोलंकी ने इससे इनकार करते हुए टीम के साथ रुकने का फैसला किया। वह अब तीन मार्च से हैदराबाद के खि़लाफ होने वाले आखि़री रणजी लीग मैच में उतरेंगे। बड़ोदा क्रिकेट एसोसिएशन के प्रमुख शिशिर हट्टनगड़ी ने उन्हें ‘प्रेरणास्रोत' और जीवन का ‘वास्तविक हीरो' बताया है। 

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Raj chaurasiya