गोल्ड जीतकर बोली विनेश फोगाट- 3 महीने स्टैमिना पर काम किया अब नतीजे मिले

punjabkesari.in Saturday, Jan 18, 2020 - 06:30 PM (IST)

नई दिल्ली : भारतीय पहलवान विनेश फोगाट ने सत्र के शुरूआती रैंकिंग सीरीज टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक अपने नाम करने के बाद कहा कि इससे दिखता है कि ओलंपिक वर्ष में उनकी तैयारियां सही दिशा में आगे बढ़ रही हैं। विनेश ने 53 किग्रा वजन वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने के दौरान चीन की दो कड़ी प्रतिद्वंद्वियों को मात दी और फाइनल में इक्वाडोर की लुईसा एलिजाबेथ वालवरडे को पराजित किया।

तोक्यो ओलंपिक में है भारत की दावेदार


तोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए पदक की प्रबल दावेदार विनेश ने रोम से कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने से हमारी ट्रेनिंग की परीक्षा होती है। इससे हमें पता चलता है कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं या नहीं? इसलिए यह नतीजा दिखाता है कि हम सही राह पर हैं क्योंकि यह बड़ा वर्ष है, यह ओलंपिक वर्ष है। विनेश ने यूक्रेन की क्रिस्टिना बेरेजा (10-0) और चीन की लैनुआन लुओ (15-5) को तकनीकी श्रेष्ठता से हराने के बाद सेमीफाइनल में कियानयु पांग (4-2) को पराजित किया।

शैली में बदलाव हुआ यह जानना था जरूरी


विनेश ने कहा- इस प्रतियोगिता में, मैंने उन लड़कियों के साथ हिस्सा लिया जिनके साथ मैंने पहले कभी कुश्ती नहीं की और पांग के खिलाफ मैं तीसरी बार भिड़ रही थी। यह जानना अहम था कि उसकी शैली में कुछ बदलाव हुआ है या नहीं। इन टूर्नामेंट से आपको खुद का और प्रतिद्वंद्वी का भी आकलन करने में मदद मिलती है। कोच वोलर एकोस के साथ वह अपनी शैली में जरूरी बदलाव लाने की कोशिश में जुटी हैं और इससे अच्छे नतीजे भी मिले हैं लेकिन वह जो हासिल करना चाहती हैं, उससे अब भी थोड़ी दूर है।

तीन महीने किया स्टैमिना पर काम


विनेश ने कहा- जब कोई टूर्नामेंट नहीं था, उस दौरान तीन महीनों में अपनी मजबूती और स्टैमिना पर काम किया। मैट पर ट्रेनिंग जनवरी में ही शुरू हुई। मैं ज्यादातर अंक खड़े होकर कुश्ती करने से ही हासिल करती हूं, मैट पर कुश्ती से इतने अंक नहीं जुटा पाती। बदलाव करना आसान नहीं है लेकिन पिछले साल जनवरी की तुलना में अब मैं थोड़ी बेहतर हुई हूं इसलिये कोच खुश हैं। उन्होंने कहा- भारत में, मैं मैट पर कुश्ती से आसानी से अंक जुटाती हूं और ऐसा किसी के भी खिलाफ कर लेती हूं। लेकिन इस स्तर पर, यह मुश्किल है। मैं जितना ज्यादा इन टूर्नामेंट में भाग लूंगी, उतना ही बेहतर होगा। बाहर ट्रेनिंग शिविर आयोजित करने से मुझे मदद मिली है।

Jasmeet