गांगुली ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर एआईएफएफ संविधान को स्वीकृति देने का आग्रह किया
punjabkesari.in Monday, May 16, 2022 - 06:52 PM (IST)

नयी दिल्ली, 16 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) के सदस्य पूर्व भारतीय फुटबॉल कप्तान भास्कर गांगुली ने उच्चतम न्यायालय से अपील की है कि उनके पैनल द्वारा तैयार किए गए संविधान को स्वीकृति दी जाए और अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को उनके तत्वावधान में चुनाव कराने का निर्देश दिया जाए।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण को लिखे पत्र में भारत के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी गांगुली ने सूचित किया कि उन्होंने और उनके सह प्रशासक एसवाई कुरैशी ने जनवरी 2020 में एआईएफएफ के संविधान का मसौदा सौंप दिया था।
उच्चतम न्यायालय ने 2017 में आदेश देते हुए सीओए का गठन किया था जिसमें पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त कुरैशी और गांगुली को राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुसार एआईएफएफ का संविधान तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
गांगुली ने पत्र में लिखा, ‘‘हमने इसे जनवरी 2020 में सौंप दिया लेकिन अब तक इस मामले में अधिक प्रगति नहीं हुई है जिसके कारण एआईएफएफ चुनाव को लेकर कोई फैसला नहीं कर पा रहा है और नियमों के अनुसार उसके मौजूदा अध्यक्ष अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘माननीय न्यायालय से मेरी प्रार्थना है कि इस मामले को प्राथमिकता और नए संविधान को स्वीकृति दी जाए। एआईएफएफ को इसे तुरंत लागू करने की सलाह दी जाए और नए संविधान के अनुसार चुनाव कराया जाए जिससे कि भारत में फुटबॉल का विकास जारी रह सके। ’’
गांगुली ने कहा कि वह किसी अधिवक्ता की सेवा नहीं ले पाए क्योंकि इस जिम्मेदारी का निर्वहन कहीं से भी (खेल मंत्रालय/एआईएफएफ) वित्तीय सहायता मिले बिना कर रहे थे।
इस बीच बुधवार को लंबित मामला उच्चतम न्यायालय की तीन न्यायाधीश की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आएगा। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा को करनी है।
गुरुवार को उच्चतम न्यायालय दिल्ली फुटबॉल क्लब की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि कार्यकारी समिति ‘अवैध’ तरीके काम जारी रखे हुए है और प्रफुल्ल पटेल एक दशक से भी अधिक समय से एआईएफएफ के अध्यक्ष पद पर बने हुए हैं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण को लिखे पत्र में भारत के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी गांगुली ने सूचित किया कि उन्होंने और उनके सह प्रशासक एसवाई कुरैशी ने जनवरी 2020 में एआईएफएफ के संविधान का मसौदा सौंप दिया था।
उच्चतम न्यायालय ने 2017 में आदेश देते हुए सीओए का गठन किया था जिसमें पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त कुरैशी और गांगुली को राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुसार एआईएफएफ का संविधान तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
गांगुली ने पत्र में लिखा, ‘‘हमने इसे जनवरी 2020 में सौंप दिया लेकिन अब तक इस मामले में अधिक प्रगति नहीं हुई है जिसके कारण एआईएफएफ चुनाव को लेकर कोई फैसला नहीं कर पा रहा है और नियमों के अनुसार उसके मौजूदा अध्यक्ष अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘माननीय न्यायालय से मेरी प्रार्थना है कि इस मामले को प्राथमिकता और नए संविधान को स्वीकृति दी जाए। एआईएफएफ को इसे तुरंत लागू करने की सलाह दी जाए और नए संविधान के अनुसार चुनाव कराया जाए जिससे कि भारत में फुटबॉल का विकास जारी रह सके। ’’
गांगुली ने कहा कि वह किसी अधिवक्ता की सेवा नहीं ले पाए क्योंकि इस जिम्मेदारी का निर्वहन कहीं से भी (खेल मंत्रालय/एआईएफएफ) वित्तीय सहायता मिले बिना कर रहे थे।
इस बीच बुधवार को लंबित मामला उच्चतम न्यायालय की तीन न्यायाधीश की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आएगा। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा को करनी है।
गुरुवार को उच्चतम न्यायालय दिल्ली फुटबॉल क्लब की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि कार्यकारी समिति ‘अवैध’ तरीके काम जारी रखे हुए है और प्रफुल्ल पटेल एक दशक से भी अधिक समय से एआईएफएफ के अध्यक्ष पद पर बने हुए हैं।
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