फीफा प्रतिबंध से भारतीय फुटबॉल के हितधारकों को सबक सीखना चाहिए: सुनंदो धर
punjabkesari.in Wednesday, Aug 31, 2022 - 08:32 PM (IST)

नयी दिल्ली, 31 अगस्त (भाषा) अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के कार्यकारी महासचिव सुनंदो धर को लगता है कि देश में खेल के हितधारकों को हाल में लगाये गये फीफा प्रतिबंध से सबक सीखना चाहिए और भविष्य में उचित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए जिसमें समय पर चुनाव कराना शामिल है।
विश्व फुटबॉल संचालन संस्था फीफा ने 15 अगस्त को तीसरे पक्ष के प्रभाव के कारण एआईएफएफ को निलंबित कर दिया था लेकिन इसे तब हटा दिया गया जब उच्चतम न्यायालय ने महासंघ के प्रमुख प्रफुल्ल पटेल को दिसंबर 2020 में चुनाव नहीं कराने के कारण बाहर करने के पश्चात खुद के द्वारा गठित की गयी प्रशासकों की समिति (सीओए) को भंग कर दिया।
धर से जब पूछा गया कि इस पूरे प्रकरण से देश को क्या सबक सीखना चाहिए तो उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘‘उम्मीद है कि यह प्रतिबंध पहला और अंतिम हो। हमें प्रक्रिया का उचित रूप से पालन करना चाहिए। हमें इस प्रक्रिया की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘एआईएफएफ के चुनाव 2020 में कराये जाने थे और ये डेढ़ साल तक नहीं हुए। अगर चुनाव समय पर हो जाते तो उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रशासकों को नियुक्त नहीं किया जाता और फिर निलंबन भी नहीं लगता। ’’
धर ने कहा, ‘‘हमें अब अंदरूनी पक्ष को देखना चाहिए और भविष्य में ऐसे हालात में नहीं पहुंचना चाहिए जहां फीफा या एएफसी भारत पर प्रतिबंध लगाने के बारे में सोचे। ’’
एआईएफएफ के 85 साल के इतिहास में यह पहला निलंबन था और इससे भारत की फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप की मेजबानी पर भी खतरा मंडरा गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘फीफा को अगर अंडर-17 महिला विश्व कप स्थल बदलना होता तो उन्हें इस पर फैसला करना पड़ता और उनके पास हमेशा एक ‘बैक-अप’ (दूसरा स्थल) होता है जिसके बारे में हम जानते थे। इसलिये कोई हल नहीं दिख रहा था। ’’
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
विश्व फुटबॉल संचालन संस्था फीफा ने 15 अगस्त को तीसरे पक्ष के प्रभाव के कारण एआईएफएफ को निलंबित कर दिया था लेकिन इसे तब हटा दिया गया जब उच्चतम न्यायालय ने महासंघ के प्रमुख प्रफुल्ल पटेल को दिसंबर 2020 में चुनाव नहीं कराने के कारण बाहर करने के पश्चात खुद के द्वारा गठित की गयी प्रशासकों की समिति (सीओए) को भंग कर दिया।
धर से जब पूछा गया कि इस पूरे प्रकरण से देश को क्या सबक सीखना चाहिए तो उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘‘उम्मीद है कि यह प्रतिबंध पहला और अंतिम हो। हमें प्रक्रिया का उचित रूप से पालन करना चाहिए। हमें इस प्रक्रिया की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘एआईएफएफ के चुनाव 2020 में कराये जाने थे और ये डेढ़ साल तक नहीं हुए। अगर चुनाव समय पर हो जाते तो उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रशासकों को नियुक्त नहीं किया जाता और फिर निलंबन भी नहीं लगता। ’’
धर ने कहा, ‘‘हमें अब अंदरूनी पक्ष को देखना चाहिए और भविष्य में ऐसे हालात में नहीं पहुंचना चाहिए जहां फीफा या एएफसी भारत पर प्रतिबंध लगाने के बारे में सोचे। ’’
एआईएफएफ के 85 साल के इतिहास में यह पहला निलंबन था और इससे भारत की फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप की मेजबानी पर भी खतरा मंडरा गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘फीफा को अगर अंडर-17 महिला विश्व कप स्थल बदलना होता तो उन्हें इस पर फैसला करना पड़ता और उनके पास हमेशा एक ‘बैक-अप’ (दूसरा स्थल) होता है जिसके बारे में हम जानते थे। इसलिये कोई हल नहीं दिख रहा था। ’’
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