चहल और धनश्री के तलाक पर फैसला कल, एलिमनी में इतने करोड़ रुपए देंगे युजवेंद्र

punjabkesari.in Wednesday, Mar 19, 2025 - 03:42 PM (IST)

स्पोर्ट्स डेस्क : भारतीय क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और उनकी पत्नी धनश्री वर्मा के तलाक मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार दंपति को तलाक के बाद 6 महीने की कूलिंग पीरियड से छूट दी गई है। माननीय न्यायालय ने क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और अलग रह रही उनकी पत्नी धनश्री वर्मा की तलाक याचिका पर 20 मार्च तक फैसला करने के लिए पारिवारिक न्यायालय को निर्देश दिया है क्योंकि पंजाब किंग्स के क्रिकेटर 22 मार्च से इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2025 सत्र में भाग लेंगे। 

बार एंड बेंच ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, 'बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक पारिवारिक न्यायालय के फैसले को पलट दिया है, जिसमें हिंदू विवाह अधिनियम के तहत क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा के तलाक के लिए वैधानिक कूलिंग-ऑफ अवधि को माफ करने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया था। न्यायमूर्ति माधव जामदार की पीठ ने पारिवारिक न्यायालय को आगामी आईपीएल में चहल की भागीदारी को ध्यान में रखते हुए कल तक तलाक याचिका पर फैसला करने का भी निर्देश दिया है।'

बार एंड बेंच के अनुसार दिसंबर 2020 में शादी करने वाला यह जोड़ा जून 2022 से अलग रह रहा है। इस साल फरवरी में ही उन्होंने बांद्रा पारिवारिक न्यायालय के समक्ष तलाक की याचिका दायर करने का फैसला किया था। दंपति ने कूलिंग-ऑफ अवधि को माफ करने के लिए याचिका के साथ एक आवेदन भी दायर किया। 

धारा 13बी(2) के अनुसार, पारिवारिक न्यायालय तलाक के लिए आपसी याचिका पर उसके दाखिल होने की तिथि से छह महीने बाद ही विचार कर सकता है। समझौते और पुनर्मिलन की संभावनाओं को तलाशने के लिए दंपति को कूलिंग-ऑफ अवधि दी जाती है। लेकिन चहल और धनश्री के 2 साल से अधिक समय से एक-दूसरे से अलग रहने के कारण बॉम्बे हाईकोर्ट को नहीं लगा कि इस मामले में कूलिंग-ऑफ क्लॉज लागू होता है। 

हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13बी के तहत याचिका दायर की गई थी जिसमें आपसी सहमति से तलाक का सुझाव दिया गया था। मामला तब जटिल हो गया जब 20 फरवरी को अदालत ने चहल और धनश्री के बीच सहमति अवधि के संबंध में आंशिक अनुपालन का हवाला देते हुए 6 महीने की वैधानिक कूलिंग अवधि को माफ करने से इनकार कर दिया।

सहमति अवधि के अनुसार चहल अपनी अलग हो चुकी पत्नी को 4 करोड़ 75 लाख रुपए का स्थायी गुजारा भत्ता देने के लिए सहमत हुए थे। हालांकि, क्रिकेटर ने अब तक केवल 2 करोड़ 37 लाख और 55 हजार रुपए का भुगतान किया है। शेष राशि का भुगतान न किए जाने को न्यायालय ने गैर-अनुपालन का मामला माना, इसलिए शांत रहने की याचिका खारिज कर दी गई।

पारिवारिक परामर्शदाता की रिपोर्ट की जांच करने के बाद पारिवारिक न्यायालय ने निर्णय लिया जिसमें गैर-अनुपालन के मामले को उजागर किया गया था। बुधवार को बॉम्बे उच्च न्यायालय ने पाया कि दंपति पहले ही ढाई साल से अलग रह चुके हैं, एक तथ्य जिसने सहमति शर्तों के अनुपालन के पक्ष में फैसला सुनाया, क्योंकि इसमें शेष राशि के भुगतान का प्रावधान था। पारिवारिक न्यायालय को आगामी आईपीएल सत्र के कारण गुरुवार (20 मार्च) तक तलाक याचिका पर निर्णय लेने के लिए कहा गया है। 


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Content Writer

Sanjeev

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