इंशा बशीर बनीं कश्मीर की पहली महिला व्हीलचेयर बास्केटबॉल खिलाड़ी
punjabkesari.in Friday, Feb 25, 2022 - 03:18 PM (IST)

खेल डैस्क : जम्मू और कश्मीर की इंशा बशीर पैरालम्पिक में भारतीय व्हीलचेयर बास्केटबॉल महिला टीम को देखने का सपना देख रही हैं। राष्ट्रीय चैम्पियनशिप सहित कई स्पर्धाओं में खेल चुकी इंशा ऐसी गेम खेल रही हैं जिसमें महिलाओं की बराबरी न के बराबर रही थी। लेकिन उनके हार नहीं मानी। लड़कों की टीम में खेली, कई टूर्नामैंट जीते और आज वह उस मुकाम पर पहुंच चुकी हैं कि उन्होंने महिला व्हीलचेयर बास्केटबॉल टीम बना ली है। उनका अगला लक्ष्य पैरालम्पिक में मैडल लाना है। 15 साल की उम्र में अपनी चलने की शक्ति खो चुकी इंशा की यह सफलता कभी आसान नहीं रही। उनका जीवन बहुत ही चुनौतीपूर्ण था।
15 साल की उम्र में खो दी थी चलने की शक्ति, अब पैरालम्पिक खेलना है सपना...
सामाजिक और धार्मिक चिंता पर जीत हासिल कर आगे बढ़ी इंशा
9 साल बिस्तर पर बिताए
इंशा जब इंटर में थी तो 2008 में वह हादसे का शिकार हो गई। गैस्ट्रिक अल्सर से पीड़ित इंशा को हादसे के दिन खून की उल्टी हो रही थी और चक्कर आ रहे थे। वह बालकनी में ताजी हवा लेने गई तो बदहवास होकर छत से गिर पड़ी। उनकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई है। कई सर्जरियां हुईं। जीवन व्हीलचेयर पर आ गए। 9 साल बिस्तर पर बिताए। इंशा कहती हैं कि प्लेट लगी होने के कारण वह बैठ भी नहीं पाती थी।
कहते थे- कौन करेगा इससे शादी?
बीमारी से उभरना मुश्किल रहा। लोगों की फिक्र सही शब्द नहीं ढूंढ पाती थी। उनकी फिक्र में हमदर्दी कम और ताने ज्यादा रहते थे। वह कहते थे- अब कौन करेगा इससे शादी। माता-पिता पर बोझ बढ़ गया। लेकिन इसके बावजूद मेरे माता-पिता ने हार नहीं मानी। उन्होंने मेरा साथ दिया। उन्हें यकीन था कि उनकी बेटी एक दिन उनका नाम रोशन करेगी। इसलिए मैंने खुद को साबित करने के लिए खेलों को चुना।
नैशनल चैम्पियनशिप में जीत चुकी हैं मैडल, कश्मीर में महिला व्हीलचेयर टीम बनाई...
लड़कों के साथ खेलीं
इंशा कश्मीर के बडगाम के एक छोटे से गांव की थी इसलिए उसे शफकत पुनर्वास केंद्र जाना पड़ा। वहां जिंदगी आसान नहीं थी लेकिन वहां लोगों ने उन्हें बास्केटबॉल खेलने के लिए प्रेरित किया। 2017 में हैदराबाद में हुई नैशनल चैम्पियनशिप में हिस्सा लेकर हौसला बढ़ा। उस समय लड़कों की टीम में खेलना होता था क्योंकि लड़कियों के लिए अलग से कोई टीम नहीं थी। फिर कई नैशनल इवैंट्स खेले।
हिजाब ने दिया विश्वास
इंशा बताती है कि उनके हिजाब पहनने के कारण कुछ लोग उसके प्रति निराशावादी थे। लेकिन जैसे-जैसे वह आगे बढ़ती गई लोग उनका स्वागत करने लगे। खास तौर पर अधिकारियों ने हर संभव मदद की। कई राज्य तो अपनी टीमों में शामिल होने के प्रस्ताव देते थे। मैं कश्मीर से ही खेलना चाहती थी इसलिए जम्मू-कश्मीर व्हीलचेयर बास्केटबॉल महिला टीम बनाई। इसमें बास्केटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया ने सहयोग किया।
ऐसे पाई मंजिल
2019 में इंशा को स्पोट्र्स विजिटर प्रोग्राम में भाग लेने के लिए अमरीकी वाणिज्य दूतावास द्वारा आमंत्रित किया गया। फैडरेशन ने यहां 2019 में कैंप आयोजित किया जिसमें 12 लड़कियां सिलैक्ट हुईं। खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने साथ दिया। सर्जरी करवाई। राष्ट्रीय चयन शिविर में भाग लेने के लिए टिकट और अन्य सभी चीजों की व्यवस्था की। लाखों की स्पोट्र्स व्हीलचेयर दिलाई। खेल मंत्रालय से दीन दयाल उपाध्याय कल्याण के तहत 6 लाख का फंड जारी हुआ। यह किसी भी खिलाड़ी का हौसला बढ़ाने के लिए काफी था।