जेमिमा रोड्रिग्स की जुझारू कहानी : विवाद और एंग्जायटी से जंग जीतकर बनी स्टार प्लेयर

punjabkesari.in Sunday, Nov 02, 2025 - 02:50 PM (IST)

मुंबई : गुरुवार की रात भारतीय महिला क्रिकेट इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गई, जब जेमिमा रोड्रिग्स ने ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के खिलाफ करिश्माई शतक जड़ते हुए भारत को वनडे वर्ल्ड कप 2025 के फाइनल में पहुंचा दिया। सात बार की चैंपियन टीम के खिलाफ इस युवा खिलाड़ी ने न केवल रिकॉर्ड चेज़ में 127* रन बनाए, बल्कि अपनी ज़िंदगी की कई कठिनाइयों को भी पीछे छोड़ दिया। कुछ ही महीने पहले वह एक विवाद में उलझी थीं, जब उनके पिता पर धार्मिक गतिविधियों को लेकर आरोप लगे और उनकी क्लब सदस्यता रद्द कर दी गई थी। 

विवादों में घिरीं, लेकिन हिम्मत नहीं हारी

पिछले साल अक्टूबर में जेमिमा का नाम एक विवाद में आया, जिसने उनके परिवार को झकझोर दिया। खार जिमखाना की वार्षिक बैठक में यह मामला उठा कि उनके पिता, इवान रोड्रिग्स, ने क्लब में धार्मिक सभाएं आयोजित की थीं। रिपोर्ट के अनुसार, 18 महीनों में लगभग 35 सभाएं “ब्रदर मैनुअल मिनिस्ट्रीज़” नामक संगठन के तहत हुई थीं, जो क्लब के नियमों का उल्लंघन था क्योंकि वहां धार्मिक या राजनीतिक कार्यक्रमों की अनुमति नहीं थी। 

क्लब के सदस्य शिव मल्होत्रा ने कहा, “यह बेहद हैरान करने वाला था कि ऐसी गतिविधियां हमारे परिसर में चल रही थीं।” बाद में क्लब के प्रेसिडेंट विवेक देवनानी ने वोटिंग के ज़रिए फैसला किया कि जेमिमा की ऑनरेरी मेंबरशिप रद्द कर दी जाए, जो उन्हें 2023 में दी गई थी।

मैदान पर वापसी: एंग्जायटी और दबाव से लड़ाई

इन विवादों और मानसिक दबावों के बीच जेमिमा ने खुद को फिर से संभालना शुरू किया। उन्होंने खुद को क्रिकेट पर केंद्रित किया और मानसिक मजबूती पर काम किया। हाल के महीनों में उन्होंने कई बार खुलकर बताया कि वह एंग्जायटी और आत्म-संदेह से जूझ रही थीं। सेमीफाइनल से पहले भी उनकी फॉर्म को लेकर सवाल उठ रहे थे, लेकिन जब टीम को सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब उन्होंने अपने करियर की सबसे शानदार पारी खेली जिसमें 127* रन, 14 चौके, और न झुकने वाला आत्मविश्वास था। इस पारी ने भारत को महिला वनडे क्रिकेट इतिहास में सबसे बड़े सफल लक्ष्य का पीछा करने में मदद की।

रिकॉर्ड तोड़ पारी, टीम इंडिया को दी नई पहचान

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में भारत को 284 रनों का लक्ष्य मिला था, जो आसान नहीं था। शुरुआती विकेट जल्दी गिरने के बाद जेमिमा ने मोर्चा संभाला। उन्होंने शांत दिमाग से बल्लेबाजी करते हुए न केवल रन बनाए, बल्कि साझेदारियों को भी मजबूत किया। उनकी पारी के दम पर भारत ने यह लक्ष्य 48वें ओवर में हासिल कर लिया। यह महिला वनडे इतिहास का सबसे बड़ा सफल चेज़ बन गया और भारत पहली बार घरेलू मैदान पर वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचा। 

"हर दिन रोती थी, लेकिन भगवान ने सब संभाला"

मैच के बाद “प्लेयर ऑफ द मैच” अवॉर्ड लेते हुए जेमिमा भावुक हो गईं। मुंबई की अपनी होम सिटी में खेले गए इस मैच के बाद उन्होंने कहा, “मैं इस पूरे टूर्नामेंट के दौरान लगभग हर दिन रोई हूं। मैं मानसिक रूप से ठीक नहीं थी, एंग्जायटी से गुजर रही थी। लेकिन मुझे पता था कि भगवान ने मुझे इसके लिए चुना है। मैदान पर उतरते ही सब कुछ बदल गया।” उनकी आंखों से बहते आंसू इस बात की गवाही दे रहे थे कि यह जीत सिर्फ क्रिकेट की नहीं थी — यह उनकी आत्मा, विश्वास और संघर्ष की जीत थी।

जेमिमा की जीत, हर उस लड़की की प्रेरणा

आज जेमिमा रोड्रिग्स सिर्फ एक बल्लेबाज़ नहीं, बल्कि लाखों लड़कियों के लिए प्रेरणा बन गई हैं। उन्होंने साबित किया कि कठिन हालात और विवाद किसी खिलाड़ी की पहचान तय नहीं करते, उसकी हिम्मत और मेहनत करती है। अब पूरा देश उनकी अगुवाई में टीम इंडिया से वर्ल्ड कप जीत की उम्मीद कर रहा है। रविवार को जब भारत मैदान पर उतरेगा, तो यह सिर्फ एक फाइनल नहीं होगा, बल्कि जेमिमा और भारतीय महिला क्रिकेट की नई कहानी का अध्याय होगा।
 


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Content Writer

Sanjeev

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