मौलाना ने शमी को माना अपराधी, परिवार वाले बोले- वह देश के लिए खेल रहा
punjabkesari.in Thursday, Mar 06, 2025 - 05:25 PM (IST)

अमरोहा (उत्तर प्रदेश) : भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सेमीफाइनल मुकाबले के दौरान भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी की एनर्जी ड्रिंक पीते हुए की एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। इस पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष ने शमी पर रोजा न रखने का आरोप लगाते हुए उन्हें अपराधी तक बताया था। अब इस ममले में शमी के चचेरे भाई मुमताज सामने आ गए हैं। उन्होंने उन लोगों को "शर्मनाक" कहा जो क्रिकेटर पर "रोजा" न रखने का आरोप लगा रहे हैं।
मुमताज ने कहा कि वह देश के लिए खेल रहे हैं। ऐसे कई पाकिस्तानी खिलाड़ी हैं जिन्होंने रोजा नहीं रखा है और मैच खेल रहे हैं, इसलिए यह कोई नई बात नहीं है। यह बहुत शर्मनाक है कि उनके बारे में ऐसी बातें कही जा रही हैं। हम मोहम्मद शमी से कहेंगे कि वह इन बातों पर ध्यान न दें और 9 मार्च को होने वाले मैच की तैयारी करें। 10 ओवर में 48 रन देकर 3 विकेट लेकर भारत की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले शमी अब सबसे ज्यादा विकेट लेने वालों की सूची में दूसरे स्थान पर पहुंच गए हैं। मेगा इवेंट में अब तक स्पीडस्टर ने 4 मैचों में 19.88 की औसत से 8 विकेट लिए हैं।
इससे पहले, ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने भारतीय-क्रिकेटर मोहम्मद शमी को रमजान के दौरान 'रोजा' नहीं रखने के लिए "अपराधी" कहकर विवाद खड़ा कर दिया था। मौलाना बरेलवी ने कहा था कि रोजा न रखकर उन्होंने (मोहम्मद शमी) गुनाह किया है। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। शरीयत की नजर में वह अपराधी हैं। उन्हें खुदा को जवाब देना होगा। मौलाना बरेलवी ने कहा कि 'रोजा' अनिवार्य कर्तव्यों में से एक है और जो इसका पालन नहीं करता वह अपराधी है। अनिवार्य कर्तव्यों में से एक 'रोजा' (उपवास) है... यदि कोई भी स्वस्थ पुरुष या महिला 'रोजा' नहीं रखता है, तो वे एक बड़ा अपराधी होगा। भारत के एक प्रसिद्ध क्रिकेट व्यक्तित्व, मोहम्मद शमी ने एक मैच के दौरान पानी या कोई अन्य पेय पी लिया था। लोग उसे देख रहे थे। अगर वह खेल रहा है तो इसका मतलब है कि वह स्वस्थ है। ऐसे में उसने रोजा नहीं रखा और पानी भी पिया...इससे लोगों में गलत संदेश गया।
हालांकि, मौलाना की टिप्पणियां शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास को अच्छी नहीं लगी। उन्होंने कहा कि मौलाना द्वारा शमी पर दिया गया बयान सिर्फ सस्ती पब्लिसिटी के लिए है... जहां मजबूरी होती है, वहां कोई धर्म नहीं होता। जहां धर्म है वहां कोई बाध्यता नहीं होती। हर मुसलमान जानता है कि वयस्क होने के बाद उसे रोजा रखना होगा और यदि कोई व्यक्ति रोज़ा रखने में विफल रहता है, तो यह उसकी व्यक्तिगत विफलता है और इसका समुदाय या धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। ऐसे कई लोग हैं जो रमज़ान के दौरान रोजा नहीं रखते हैं। उन्होंने उनके बारे में कुछ क्यों नहीं कहा?.. रोजा और रमजान को विवाद में डालना गलत है।
वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि चूंकि शमी खेल रहे हैं इसलिए उनके पास रोजा न रखने का भी विकल्प है। उन्होंने कहा कि सभी मुसलमानों के लिए रोजा रखना अनिवार्य है, खासकर रमजान के महीने में। हालांकि, अल्लाह ने कुरान में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि यदि कोई व्यक्ति यात्रा पर है या ठीक नहीं है, तो उनके पास रोजा नहीं रखने का विकल्प है। मोहम्मद शमी के मामले में, वह दौरे पर हैं, इसलिए उनके पास रोजा नहीं रखने का विकल्प है। किसी को भी उन पर उंगली उठाने का अधिकार नहीं है।