Paris Olympics 2024 : समय-समय पर बदले ओलिम्पिक मैडलों के डिजाइन, जानें क्या पड़ी वजह
punjabkesari.in Tuesday, Jul 23, 2024 - 12:50 AM (IST)
खेल डैस्क : 1896 में जब ओलिम्पिक की शुरूआत हुई थी तो केवल प्रथम और द्वितीय रहे एथलीट्स को ही मैडल दिया जाता था। धीरे-धीरे नियमों में बदलाव हुआ तो मैडलों के डिजाइन भी बदलते गए। मैडलों पर गॉड जीउस, देवी नाइके, जैतून के पेड़ की टाहनियों की छवियां लंबे समय तक रही हैं। इसी बीच पेरिस प्रबंधन ने हालिया गेम्स के मैडलों में एफिल टावर की आकृति भी जोड़ दी है। आइए जानते हैं- कैसे समय-समय पर मैडलों के डिजाइन में बदलाव होते गए।
एथलैंस 1896 : ओलिम्पिक के पहले मैडल
1896 ओलिम्पिक में केवल पहले और दूसरे स्थान पर रहने वाले एथलीटों को मैडल दिए जाते थे। मैडल पर भगवान जीउस की आकृति को एक ग्लोब पकड़े देखा जा सकता है। दूसरी तरफ, एक्रोपोलिस की साइट थी। जिस पर लिखा था- अंतर्राष्ट्रीय ·ओलिम्पिक खेल एथैंस 1896
एम्स्टर्डम 1928 : 44 साल चला यह डिजाइन
1921 में ओलिम्पिक समिति ने मैडल का डिजाइन बदला जोकि करीब आधी सदी तक चला। इसपर विजय की पारंपरिक देवी को एक हाथ में मुकुट और दूसरे हाथ में ताड़ के पत्ते पकड़े दर्शाया गया। मैडल के पीछे ओलिम्पिक चैम्पियन को प्रसन्न भीड़ हवा में लहराती दिखती है।
म्यूनिख 1972 : मैडल में बेटे भी किए शामिल
1928 से ओलिम्पिक पदकों के दोनों तरफ की छवियां एक जैसी ही थीं। हालांकि, 1972 में म्यूनिख खेलों के लिए मैडलों में कैस्टर और पोलक्स की छवि जोड़ दी गई। यह दोनों जीउस और लेडा के जुड़वां बेटे थे। 44 वर्षों में पदकों के डिजाइन में यह पहला बदलाव था।
सियोल 1988 : शांति और एकता का प्रतीक
ओलिम्पिक खेलों की भावना को ध्यान में रखते हुए सियोल 1988 के पदकों में महत्वपूर्ण बदलाव हुआ ताकि दुनिया को शांति का संदेश दिया जा सके। पदकों के पीछे की तरफ अपनी चोंच में लॉरेल पत्ती पकड़े हुए कबूतर की छवि धातु पर उकेरी गई।
एथैंस 2004 : देवी नाइके की छवि बदली
1896 के बाद एथैंस में साल 2004 में ओलिम्पिक हुए। इसके लिए मैडलों में बदलाव किए गए। मैडलों पर देवी नाइके को बैठे हुए चित्रित करने के बजाय, उन्हें सर्वश्रेष्ठ एथलीटों को जीत दिलाने के लिए स्टेडियम में उड़ते हुए दिखाया गया था।
बीजिंग 2008 : मैडलों पर बनाया ड्रैगन पैटर्न
बीजिंग ओलिम्पिक के दौरान मैडलों पर पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का एक स्थायी प्रतीक: जेड अंकित किया गया। प्रत्येक मैडल के पीछे एक ड्रैगन पैटर्न भी बनाया गया। पदकों का डिजाइन बड़प्पन, सदाचार, नैतिकता और सम्मान का प्रतीक चुना गया।
टोक्यो 2020 : इलैक्ट्रॉनिक उपकरण इस्तेमाल किए
टोक्यो 2020 मैडल प्रोजैक्ट में कुल 78,985 टन बेकार पड़े इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों को इस्तेमाल किया गया। इससे निकले 30.3 किलोग्राम सोना, 4,100 किलोग्राम चांदी और 2,700 किलोग्राम कांस्य निकाला गया और पदकों के निर्माण में पुन: उपयोग किया गया।
पेरिस 2024 : एफिल टॉवर का टुकड़ा डाला
कोई एथलीट अगर पेरिस में स्वर्ण, रजत या कांस्य मैडल जीतता है तो वह अपने साथ पेरिस के प्रतिष्ठित एफिल टावर का टुकड़ा भी लेकर जाएगा। इन मैडलों में टावर के एक हिस्से का लोहा डाला गया है। प्रबंधन की इस पहल ने इस ओलिम्पिक को और भी यूनीक बना दिया है।