पीएम मोदी ने हरमनप्रीत से पूछा सवाल- आपने मैच बॉल अपनी पॉकेट में क्यों रखी, भारतीय कप्तान ने खोला राज

punjabkesari.in Thursday, Nov 06, 2025 - 12:00 PM (IST)

स्पोर्ट्स डेस्क : भारतीय महिला क्रिकेट ने बुधवार 5 नवंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की। इस दौरान कप्तान हरमनप्रीत कौर ने एक ऐसा राज बताया जिसने सभी को भावुक कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे पूछा कि उन्होंने विश्व कप फाइनल के बाद मैच की गेंद अपनी जेब में क्यों डाल ली थी। हरमनप्रीत का जवाब सादगी और भावना से भरा था, यह केवल एक गेंद नहीं, बल्कि वर्षों की मेहनत, उम्मीदों और इतिहास का प्रतीक थी। इस छोटे से इशारे ने भारतीय क्रिकेट की दो पीढ़ियों को जोड़ दिया। 

पीएम मोदी का सवाल और हरमनप्रीत का सच्चा जवाब

नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी के आवास पर आयोजित इस ऐतिहासिक मुलाकात के दौरान माहौल उत्साह से भरा हुआ था। जब प्रधानमंत्री ने मुस्कुराते हुए हरमनप्रीत से पूछा, “आपने मैच बॉल अपनी पॉकेट में क्यों रखी?” तो वह कुछ पल के लिए चकित रह गईं। फिर उन्होंने ईमानदारी से कहा, “यह भगवान की योजना थी, सर। मुझे नहीं पता था कि आखिरी कैच मेरे पास आएगा। इतने सालों की मेहनत के बाद जब यह पल आया, तो लगा कि यह गेंद मेरे पास ही रहनी चाहिए।” उनका यह जवाब सुनकर प्रधानमंत्री मोदी सहित पूरी टीम भावुक हो उठी।

एक इशारा जिसने इतिहास को जोड़ा

हरमनप्रीत का यह छोटा-सा कदम भारतीय क्रिकेट के लिए एक प्रतीकात्मक क्षण बन गया। यह वही इशारा था जो सुनील गावस्कर ने 1983 में भारत की पहली विश्व कप जीत के बाद किया था जब उन्होंने लॉर्ड्स में मैच बॉल अपनी जेब में रख ली थी। 42 साल बाद हरमनप्रीत ने अनजाने में उस परंपरा को महिला क्रिकेट में जीवित कर दिया, जब उन्होंने नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में जीत के बाद वही किया। 

कैच जिसने भारत को विश्व चैंपियन बनाया

फाइनल मुकाबले में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराया। 299 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए जब दक्षिण अफ्रीका की आखिरी बल्लेबाज़ नादिन डी क्लार्क ने दीप्ति शर्मा की गेंद पर कवर की ओर जोरदार शॉट खेला, तो हरमनप्रीत ने छलांग लगाकर वह कैच लपक लिया। यह कैच न सिर्फ मैच का अंत था, बल्कि एक नए युग की शुरुआत भी, भारत ने पहली बार महिला वनडे विश्व कप जीता। भीड़ जश्न में डूबी थी, और हरमनप्रीत चुपचाप गेंद अपनी जेब में रख रही थीं — एक याद के तौर पर जो उनकी ज़िंदगी और भारतीय क्रिकेट के इतिहास में हमेशा दर्ज रहेगी।

रणनीति और कप्तानी का शानदार उदाहरण

फाइनल में हरमनप्रीत कौर की कप्तानी भारत की जीत की रीढ़ साबित हुई। उन्होंने साहसी फैसला लेते हुए युवा ऑलराउंडर शैफाली वर्मा को गेंद थमाई जो आमतौर पर वनडे में कम गेंदबाजी करती हैं। यह रणनीति जादुई साबित हुई। शैफाली ने सुने लुस और मारिजाने कप्प को आउट कर मैच का रुख बदल दिया। दीप्ति शर्मा ने पांच विकेट झटके, जबकि शैफाली ने बल्ले से 87 रन बनाकर टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचाया। 

इतिहास से वर्तमान तक का सफर

हरमनप्रीत का यह इशारा केवल एक भावनात्मक पल नहीं था, यह 1983 से 2025 तक भारतीय क्रिकेट की यात्रा का प्रतीक था। लॉर्ड्स की ऐतिहासिक जीत से लेकर डीवाई पाटिल की इस गौरवमयी रात तक, यह गेंद भारतीय खेल की निरंतरता और दृढ़ संकल्प की कहानी कहती है। उनकी जेब में रखी गेंद सिर्फ क्रिकेट की नहीं, बल्कि हर भारतीय बेटी के सपने की निशानी बन गई। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Sanjeev

Related News