RCB क्रिकेटर को लगा झटका, POCSO कोर्ट ने रे*प केस में जमानत याचिका खारिज की

punjabkesari.in Wednesday, Dec 24, 2025 - 05:43 PM (IST)

स्पोर्ट्स डेस्क : भारतीय क्रिकेटर यश दयाल को कानूनी मोर्चे पर गंभीर झटका लगा है। जयपुर की POCSO कोर्ट ने नाबालिग लड़की से जुड़े कथित रेप मामले में उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने साफ किया कि मौजूदा सबूतों और जांच की स्थिति को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपी को झूठा फंसाया गया है। इस फैसले के बाद यश दयाल की मुश्किलें बढ़ गई हैं और मामले ने क्रिकेट जगत में भी हलचल मचा दी है। 

अदालत का आदेश: इस स्तर पर राहत संभव नहीं

जयपुर मेट्रोपॉलिटन कोर्ट (POCSO कोर्ट-3) की जज अलका बंसल ने अपने आदेश में कहा कि केस डायरी और रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री यह संकेत देती है कि आरोपी की भूमिका की जांच आवश्यक है। अदालत के अनुसार, अब तक की जांच में ऐसे तथ्य सामने आए हैं जो यश दयाल की संलिप्तता की संभावना दिखाते हैं। इसलिए इस चरण पर उन्हें अग्रिम ज़मानत का संरक्षण देना उचित नहीं है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि POCSO जैसे संवेदनशील कानूनों के मामलों में प्रारंभिक सबूतों को गंभीरता से परखा जाना चाहिए।

FIR में क्या हैं आरोप 

जयपुर के सांगानेर सदर पुलिस स्टेशन में दर्ज FIR के अनुसार, नाबालिग शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि यश दयाल ने उसे क्रिकेट करियर में आगे बढ़ाने का भरोसा देकर अपने प्रभाव में लिया। आरोप है कि इसके बाद उसे भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल किया गया और करीब ढाई साल तक बार-बार शारीरिक शोषण किया गया। शिकायत में यह भी कहा गया है कि कथित घटनाएं जयपुर और कानपुर के विभिन्न होटलों में हुईं, जहां दोनों के ठहरने के रिकॉर्ड मौजूद बताए जा रहे हैं।

पुलिस के पास मौजूद अहम सबूत

जांचकर्ताओं का कहना है कि पीड़िता के मोबाइल फोन से कई अहम डिजिटल सबूत बरामद हुए हैं। इनमें चैट मैसेज, फोटो, वीडियो और कॉल रिकॉर्ड शामिल हैं। इसके अलावा होटल में ठहरने से जुड़े दस्तावेज भी जांच का हिस्सा हैं। पुलिस का मानना है कि ये सभी सबूत POCSO कानून के तहत केस को मजबूत करते हैं और इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसी आधार पर अदालत ने भी अग्रिम जमानत से इनकार किया।

बचाव पक्ष की दलीलें

यश दयाल की ओर से पेश वकील कुणाल जैमन ने अदालत में कई तर्क रखे। उन्होंने दावा किया कि दयाल की शिकायतकर्ता से मुलाकातें केवल सार्वजनिक स्थानों पर हुई थीं और कभी भी अकेले में संपर्क नहीं हुआ। बचाव पक्ष का यह भी कहना था कि लड़की ने खुद को बालिग बताया था। वकील ने आरोप लगाया कि शिकायतकर्ता ने आर्थिक परेशानियों का हवाला देकर दयाल से पैसे लिए और बाद में और धन की मांग करने लगी, जिसके बाद यह मामला दर्ज कराया गया। 

अदालत ने क्यों नहीं मानी दलीलें

हालांकि, कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलीलों को इस स्तर पर स्वीकार करने से इनकार कर दिया। न्यायालय का मानना था कि ये सभी तर्क ट्रायल के दौरान विस्तार से जांचे जा सकते हैं। फिलहाल, उपलब्ध सबूतों और जांच रिपोर्ट के आधार पर आरोपी को अग्रिम ज़मानत देना उचित नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में पीड़िता की सुरक्षा और निष्पक्ष जांच सर्वोपरि है।
 


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Content Writer

Sanjeev

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