गौतम गंभीर के बचाव में आए रॉबिन उथप्पा, भारत की ईडन गार्डन्स में हुई हार दिया बड़ा बयान

punjabkesari.in Wednesday, Nov 19, 2025 - 12:06 PM (IST)

स्पोर्ट्स डेस्क : भारत की दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ईडन गार्डन्स में तीन दिनों में मिली करारी टेस्ट हार ने टीम चयन, बल्लेबाज़ी अप्रोच और कोचिंग रणनीति पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इनमें सबसे ज़्यादा निशाने पर आए मुख्य कोच गौतम गंभीर। भारत 124 रनों के छोटे लक्ष्य का पीछा करते हुए 93 पर ढेर हो गया, जिससे कई प्रशंसकों ने गंभीर को जिम्मेदार ठहराया। लेकिन पूर्व भारतीय बल्लेबाज़ रॉबिन उथप्पा का कहना है कि गंभीर पर यह आलोचना न सिर्फ गलत है, बल्कि विशेषज्ञता और खेल की समझ की अनदेखी भी दिखाती है। 

गौतम गंभीर की आलोचना को उथप्पा ने बताया अनुचित 

रॉबिन उथप्पा ने अपने यूट्यूब चैनल पर गंभीर का खुलकर समर्थन किया और कहा कि कोच को दोष देना आसान है, लेकिन यह आलोचना तर्कसंगत नहीं। उन्होंने कहा, “मैंने एक टिप्पणी देखी कि मैं गंभीर का बचाव कर रहा हूँ। लेकिन भाई, कोच तो मैदान में जाकर खुद खेल नहीं रहा। खिलाड़ियों को ही प्रदर्शन करना होता है।” उथप्पा ने स्पष्ट किया कि मैच शुरू होने के बाद कोच की भूमिका सीमित हो जाती है और परिणाम के लिए मैदान पर उतरे खिलाड़ियों को ही जिम्मेदार ठहराना चाहिए। 

“कोच को दोष देना सरल तरीका, असली संदर्भ है गहरा” 

उथप्पा ने आलोचकों से कहा कि किसी भी हार को समझने के लिए व्यापक संदर्भ को देखना ज़रूरी है—पिच, विपक्ष की रणनीति, परिस्थितियाँ और खिलाड़ियों की मानसिकता। उन्होंने जोड़ा, “हम सिर्फ स्कोरकार्ड देखकर कोच को दोष दे देते हैं। लेकिन पूरी तस्वीर देखे बिना निष्कर्ष निकालना गलत है।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने कई मौकों पर अपनी योजनाओं को सही ढंग से लागू नहीं किया और यह खिलाड़ियों की जिम्मेदारी थी, न कि केवल कोच की। 

द्रविड़ की आलोचना का उदाहरण देकर कही बड़ी बात 

उथप्पा ने राहुल द्रविड़ के खिलाफ हुई आलोचनाओं को याद करते हुए कहा कि यदि इतने महान खिलाड़ी की काबिलियत पर उंगली उठ सकती है, तो कोई भी आलोचना से बच नहीं सकता। “20-30 हजार अंतरराष्ट्रीय रन बनाना आसान नहीं होता। जब द्रविड़ जैसे खिलाड़ी को ट्रोल किया जा सकता है, तो कोई भी सुरक्षित नहीं।” उन्होंने कहा कि कोचिंग पद हमेशा दबाव और निगरानी में रहता है, लेकिन उसकी सीमाएं समझनी चाहिए। 

ईडन टेस्ट: बल्लेबाजों की असफलता मुख्य कारण

– भारत ने 124 का लक्ष्य रखते हुए भी आत्मविश्वास नहीं दिखाया। 
– गेंद स्पिन और अनियमित उछाल ले रही थी, लेकिन ऐसा विकेट अन्य देशों में भी मिलता है। 
– दक्षिण अफ्रीका के कप्तान टेम्बा बावुमा का धैर्यपूर्ण अर्धशतक दोनों टीमों में एकमात्र “क्लासिक टेस्ट बैटिंग” का उदाहरण बनकर उभरा। 
शीर्ष और मध्यक्रम लगातार दबाव में टूटता रहा, जो गंभीर की रणनीति नहीं—बल्कि खिलाड़ियों की तकनीकी और मानसिक चूक को दिखाता है। 

पिच पर बहस और गंभीर का स्पष्ट बयान 

गौतम गंभीर ने कहा कि भारत ने टर्निंग पिच की मांग की थी, और समस्या विकेट नहीं, बल्कि उसका सामना करने की तैयारी में थी। सुनील गावस्कर सहित कई वरिष्ठ खिलाड़ियों ने गंभीर का समर्थन किया और कहा कि इस तरह की सतहें विदेशों में भी मिलती हैं, लेकिन तब कोई विवाद नहीं होता। 


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Content Writer

Sanjeev

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