सुनील गावस्कर ने ICC के दोहरे मापदंडों पर उठाए सवाल, MCG पिच रेटिंग पर जताई नाराजगी

punjabkesari.in Monday, Dec 29, 2025 - 03:30 PM (IST)

स्पोर्ट्स डेस्क : भारतीय क्रिकेट के महान बल्लेबाज़ सुनील गावस्कर एक बार फिर अपने बेबाक और साफ़ शब्दों वाले विश्लेषण के कारण चर्चा में हैं। इस बार उनका निशाना इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) की पिच रेटिंग प्रणाली है। गावस्कर ने सवाल उठाया है कि जब कुछ देशों में दो दिन में खत्म होने वाले टेस्ट मैचों की पिचों को “अच्छा” या “बहुत अच्छा” बताया जाता है, तो फिर भारत में इसी तरह की परिस्थितियों में तैयार पिचों को लेकर इतनी सख़्ती क्यों दिखाई जाती है। मेलबर्न टेस्ट इसका ताज़ा उदाहरण बना है। 

MCG टेस्ट और विकेटों की बारिश

मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में खेला गया चौथा एशेज टेस्ट असाधारण रूप से छोटा रहा। मैच के पहले ही दिन कुल 20 विकेट गिर गए, जो ऑस्ट्रेलिया में किसी टेस्ट के पहले दिन गिरे विकेटों के लिहाज़ से ऐतिहासिक आंकड़ा है। दूसरे दिन 16 और विकेट गिरे, जिसके बाद पूरा मुकाबला सिर्फ 142 ओवरों में समाप्त हो गया। इतनी तेज़ी से खत्म हुए टेस्ट के बावजूद, इस पिच को ‘अच्छा’ रेटिंग मिलने की संभावना ने कई सवाल खड़े कर दिए।

पर्थ टेस्ट से तुलना और ICC पर तंज

गावस्कर ने पर्थ में खेले गए पहले एशेज टेस्ट का उदाहरण देते हुए ICC की निरंतरता पर सवाल उठाए। पर्थ टेस्ट भी दो दिन के भीतर खत्म हो गया था, लेकिन उस पिच को ‘बहुत अच्छा’ रेटिंग दी गई थी। गावस्कर के अनुसार, अगर दोनों मैचों में गेंदबाज़ों का दबदबा रहा और मुकाबले जल्दी खत्म हुए, तो रेटिंग में यह फर्क क्यों? उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि मैच रेफरी बदलने से रेटिंग का शब्दकोश भी बदल जाता है।

मैच रेफरी की भूमिका पर सवाल

सुनील गावस्कर ने खास तौर पर मैच रेफरी की भूमिका को लेकर कटाक्ष किया। उनका मानना है कि पर्थ टेस्ट में रंजन मदुगले के रहते पिच को ‘बहुत अच्छा’ कहा गया, जबकि मेलबर्न टेस्ट में नए मैच रेफरी जेफ क्रो होने के कारण उसी तरह की पिच को सिर्फ ‘अच्छा’ कहा जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि ICC की पिच रेटिंग प्रक्रिया में अक्सर सरप्राइज़ देखने को मिलते हैं, जो क्रिकेट फैंस और विशेषज्ञों को हैरान करते हैं।

भारतीय क्यूरेटरों पर अलग रवैया?

गावस्कर ने भारतीय पिच क्यूरेटरों के साथ किए जाने वाले व्यवहार पर भी तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि भारत में अगर पिच से गेंदबाज़ों को मदद मिलती है या मैच जल्दी खत्म होता है, तो तुरंत क्यूरेटरों को “खराब ग्राउंड्समैन” करार दे दिया जाता है। वहीं, ऑस्ट्रेलिया या अन्य देशों में ऐसी पिचों को खेल का हिस्सा मान लिया जाता है। यह दोहरा रवैया भारतीय क्रिकेट को लंबे समय से खटकता रहा है।

खिलाड़ियों और कप्तानों की प्रतिक्रिया

मेलबर्न टेस्ट के बाद दोनों टीमों के कप्तानों स्टीव स्मिथ और बेन स्टोक्स ने भी पिच को लेकर असंतोष जताया था। कई पूर्व खिलाड़ियों और कमेंटेटर्स ने माना कि पिच पर सीम गेंदबाज़ों को असामान्य रूप से ज़्यादा मदद मिल रही थी, जिससे बल्लेबाज़ों के लिए टिक पाना मुश्किल हो गया। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Sanjeev

Related News