हम फुटबॉल को छोड़कर सब कुछ कर रहे हैं, लेकिन इसे भी आगे बढ़ाया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

punjabkesari.in Thursday, Nov 10, 2022 - 09:10 AM (IST)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने बुधवार को कहा कि फुटबॉल के ‘लोकप्रिय' खेल को आगे ले जाने की जरूरत है और न्यायालय ने लोगों को खेल के राष्ट्रीय महासंघ के लिए संविधान के मसौदे पर न्याय मित्र को सुझाव देने को कहा। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ को अवगत कराया गया कि अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के संविधान मसौदे पर आपत्तियां प्राप्त हुई हैं। 

अदालत ने आदेश में कहा, ‘‘न्याय मित्र (वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन जो पीठ की सहायता कर रहे हैं) से आपत्तियों को सारणीबद्ध करने का अनुरोध किया जाता है जिससे कि संविधान को अंतिम रूप दिया जा सके।'' पीठ ने कहा कि एआईएफएफ के फोरेंसिक ऑडिट की रिपोर्ट भी प्राप्त हो गई है और इसे न्यायाधीशों को सौंपा गया है। पीठ ने फुटबॉल महासंघ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन की दलीलों पर भी ध्यान दिया कि चूंकि खेल निकाय के चार मौजूदा प्रशासनिक सदस्यों सहित आठ लोगों के खिलाफ अवमानना ​​याचिका दायर की गई थी। इसलिए याचिका को सौंपना न्याय मित्र को सौंपना उचित होगा जिससे कि वह इसे आगे बढ़ाएं। 

इसके बाद पीठ ने अवमानना ​​याचिका पर नोटिस जारी किया और दो हफ्ते बाद सुनवाई की तारीख तय की। पीठ ने कहा, ‘‘कोई भी पक्ष जो संविधान के मसौदे पर सुझाव देना चाहता है, वह ऐसा कर सकता है और उन्हें न्याय मित्र को दे सकता है।'' शुरुआत में पीठ ने देश में फुटबॉल की स्थिति पर अफसोस जताते हुए कहा कि ‘‘हम फुटबॉल को छोड़कर सब कुछ कर रहे हैं।'' प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘हॉकी और क्रिकेट के विपरीत, जो राष्ट्रीय खेल की तरह हैं, फुटबॉल एक लोकप्रिय खेल है जिसे हम सभी ने खेला है। लेकिन आप जानते हैं कि यह उस स्तर तक नहीं पहुंच पाया है।'' उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हम सभी को इसे आगे बढ़ाना होगा। अब कृपया एआईएफएफ के संविधान को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया शुरू करें... ताकि जिम्मेदार लोग इस खेल में आएं।'' 


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Content Editor

Ramandeep Singh

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