भूमि के अनियमित आवंटन को लेकर कोलकाता उच्च न्यायालय ने सौरव गांगुली पर लगाया जुर्माना

punjabkesari.in Tuesday, Sep 28, 2021 - 11:03 AM (IST)

स्पोर्ट्स डेस्क : कोलकाता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली पर 10,000 रुपए का जुर्माना और सरकार तथा राज्य के स्वामित्व वाली पश्चिम बंगाल हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (डब्ल्यूबीएचआईडीसीओ) पर भूमि के अनियमित आवंटन के लिए 50,000 रुपए का जुर्माना लगाया है। ये जुर्माना न्यू टाउन क्षेत्र में स्कूल बनाने के लिए गलत तरीके से आवंटित भूमि के लिए लगाया गया है। 

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की पीठ ने कहा कि राशि चार सप्ताह के भीतर पश्चिम बंगाल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जमा करा दी जानी चाहिए। अदालत ने कहा, हालांकि भूमि का हिस्सा आवंटियों द्वारा वापस कर दिया गया है, सत्ता के मनमाने प्रयोग से मुकदमेबाजी पैदा करने में राज्य के संचालन के लिए जो सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून के बिल्कुल विपरीत है, हम प्रत्येक राज्य और डब्ल्यूबीएचआईडीसीओ पर 50,000 रुपए का जूर्माना लगाते हैं। 

अदालत ने कहा कि राज्य सरकार और डब्ल्यूबीएचआईडीसीओ आवंटन के फैसले के लिए जिम्मेदार कर्मचारियों से राशि की वसूली कर सकते हैं। सौरव गांगुली और गांगुली एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी पर लगाए गए 10,000 रुपए के सांकेतिक जुर्माने पर अदालत ने कहा, उन्हें कानून के अनुसार काम करना चाहिए था, विशेष रूप से पहले के फैसले पर विचार करते हुए जिसमें उनके पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला करते हुए मामला रद्द कर दिया गया था। 

पीठ 2016 में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें सौरव गांगुली को न्यू टाउन में एक स्कूल स्थापित करने के लिए दो एकड़ जमीन के अनियमित आवंटन को चुनौती दी गई थी। 27 सितंबर 2013 को गांगुली और सोसायटी को आवंटन किया गया था। भूमि अगस्त 2020 में WBHIDCO को सौंप दी गई थी। 

अदालत ने कहा, देश हमेशा खिलाड़ियों के साथ खड़ा होता है, खासकर उनके साथ जो अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह भी सच है कि सौरव गांगुली ने क्रिकेट में देश का नाम रोशन किया है। लेकिन जब कानून की बात आती है तो हमारी संवैधानिक योजना यह है कि सभी समान हैं और कोई भी कानून से ऊपर होने का दावा नहीं कर सकता है और राज्य से लाभ मांग सकता है खासकर जब वाणिज्यिक उद्यमों के लिए भूमी के आवंटन के बारे में कोई सवाल उठता है। 

अदालत ने यह भी कहा कि सभी मुद्दों पर मार्गदर्शन के लिए एक परिभाषित नीति की आवश्यकता है ताकि चुनने और चुनने का फॉर्मूला लागू करके सत्ता का मनमाने ढंग से प्रयोग न हो। साल 2009 में साल्ट लेक में गांगुली को जमीन के एक भाग के आवंटन को सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में रद्द कर दिया था। 


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Content Writer

Sanjeev

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