Champions Trophy Final : जानें भारत और न्यूजीलैंड की ताकत और कमजोरियां

punjabkesari.in Saturday, Mar 08, 2025 - 08:20 PM (IST)

खेल डैस्क : दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में भारत और न्यूजीलैंड के बीच चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का फाइनल रविवार को होगा। भारत अपनी बल्लेबाजी की गहराई, स्पिन गेंदबाजी कौशल और दुबई की परिस्थितियों से परिचित होने के कारण फाइनल का पसंदीदा है। हालांकि, न्यूजीलैंड की विस्फोटक बल्लेबाजी, संतुलित आक्रमण और असाधारण क्षेत्ररक्षण उन्हें एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी बनाता है जो उलटफेर करने में सक्षम है। मैच में जीत शुरुआती सफलता हासिल करना और प्रत्येक टीम दूसरे के स्पिन को कैसे संभालती है, पर निर्भर कर सकती है।

 

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भारत की ताकत : मजबूत बल्लेबाजी लाइनअप
भारत के पास रोहित शर्मा, शुभमन गिल, विराट कोहली, श्रेयस अय्यर, केएल राहुल और हार्दिक पांड्या जैसे खिलाड़ियों के साथ एक गहरा और बहुमुखी बल्लेबाजी क्रम है। पाकिस्तान के खिलाफ कोहली के 100 रन तो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सैमीफाइनल में 84 रन उनकी मैच को खत्म करने की क्षमता को दर्शाता है। गिल शानदार फॉर्म में हैं, वे सबसे तेज 2,000 वनडे रन बनाने वाले खिलाड़ी बन गए हैं, जबकि अय्यर के लगातार 50+ स्कोर (न्यूजीलैंड के खिलाफ 79, पाकिस्तान के खिलाफ 56) स्थिरता प्रदान करते हैं।

विश्व स्तरीय स्पिन गेंदबाजी : भारत का स्पिन आक्रमण दुबई की पिच को समझ चुका है। ग्रुप स्टेज में न्यूजीलैंड के खिलाफ वरुण चक्रवर्ती ने 5/42 के आंकड़े दिए। अक्षर पटेल (केन विलियमसन का महत्वपूर्ण विकेट) और कुलदीप यादव (पाकिस्तान के खिलाफ 3/40) ने उनका साथ दिया, जिससे भारत को बीच के ओवरों में हावी होने में सक्षम तिकड़ी मिली। रवींद्र जडेजा अपनी चुस्त लाइनों और हरफनमौला योगदान से टीम को मजबूती देते हैं।

बड़े मैचों में अनुभव : भारत लगातार तीसरी बार चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचा है, जिसने दबाव में प्रदर्शन करने की उनकी क्षमता को दर्शाया है। इस टूर्नामैंट में पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीमों पर उनकी जीत एक ऐसी टीम को दर्शाती है जो नॉकआउट मैचों में शानदार प्रदर्शन करती है।

परिस्थितियों से परिचित होना :  दुबई में अपने सभी मैच खेलने के बाद भारत ने परिस्थितियों के साथ खुद को अच्छी तरह से ढाल लिया है। उनके बल्लेबाज और गेंदबाज पिच की गति और उछाल को समझते हैं, जिससे उन्हें न्यूजीलैंड पर थोड़ी बढ़त मिलती है, जिसने लाहौर में अपना सेमीफाइनल खेला था।

 

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भारत की कमजोरियां : तेज गेंदबाजी की कमी
जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी और अर्शदीप सिंह की अगुआई में भारत का तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण कई बार असंगत रहा है। शमी कई मौकों पर महंगे साबित हुए हैं और अगर न्यूज़ीलैंड का शीर्ष क्रम चलता है तो एक भरोसेमंद चौथे सीमर की कमी उजागर हो सकती है। ग्रुप स्टेज में भारत के खिलाफ मैट हेनरी ने 5/42 के आंकड़े दिए थे। लेकिन भारतीय गेंदबाज ऐसा प्रदर्शन नहीं कर पाए।

फील्डिंग की चिंताएं : टूर्नामेंट में भारत की कैचिंग दक्षता 77.7% (चार ड्रॉप) है, जो न्यूज़ीलैंड के 96% (एक ड्रॉप) से काफी कम है। ग्रुप-स्टेज मैच में भारतीय टीम ने विलियमसन की दो कैच छोड़ी थी जो उसे महंगी साबित हुई। फाइनल में इससे बचना होगा।

शीर्ष क्रम की असंगति : रोहित शर्मा और गिल ने ठोस शुरुआत दी है, लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ पावरप्ले में वह ऐसा नहीं कर पाए। भारतीय टीम ने 30 रन पर तीन विकेट गंवा लिए थे। यदि न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाज फिर से हावी होने में सफल हुए तो भारत का मध्य क्रम दबाव में आ सकता है।

केएल राहुल की विकेटकीपिंग : राहुल की कीपिंग औसत दर्जे की रही है, जिसमें कभी-कभी फंबल और स्टंपिंग का मौका चूक जाता है। न्यूजीलैंड जैसी टीम के खिलाफ, जो विकेटों के बीच दौड़ने में माहिर है, यह अतिरिक्त रन लुटा सकता है।

 

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न्यूजीलैंड की ताकत : विस्फोटक बल्लेबाजी गहराई
न्यूजीलैंड की बल्लेबाजी शीर्ष फॉर्म में है। सैमीफाइनल में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के 362/6 का स्कोर बनाया। यह चैंपियंस ट्रॉफी के इतिहास में सबसे बड़ा स्कोर भी है। रचिन रवींद्र (दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 108, बांग्लादेश के खिलाफ 112) और केन विलियमसन (दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 102, भारत के खिलाफ 81) ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। उन्हें रोकना आसान नहीं होगा। डेरिल मिशेल (दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 49), ग्लेन फिलिप्स और माइकल ब्रेसवेल फॉर्म में है और तेजी से रन बटोर रहे हैं।

शक्तिशाली स्पिन और सीम संयोजन : मिशेल सैंटनर (दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 3 विकेट) स्पिन आक्रमण का नेतृत्व करते हैं जिसमें ब्रेसवेल, फिलिप्स और रवींद्र मदद करते हैं। यह गहराई भारत की स्पिन ताकत से मेल खाती है और दुबई की इस्तेमाल की गई सतह पर उनके बल्लेबाजों को चुनौती दे सकती है। मैट हेनरी की लगातार अच्छी सीम गेंदबाजी (भारत के खिलाफ 5/42) और विल ओ'रुरके और काइल जैमीसन से मिले सहयोग से न्यूजीलैंड ने शुरुआती मूवमैंट का हर मैच में फायदा उठाया है।

बेहतरीन फील्डिंग : न्यूजीलैंड की फील्डिंग गेम चेंजर रही है, जिसमें 96% कैच रेट और फिलिप्स (कोहली का शानदार कैच) और विलियमसन (जडेजा का एक हाथ से कैच) के शानदार प्रयास शामिल हैं। उनकी एथलेटिकता रन बचाती है और दबाव बनाती है, जो करीबी मुकाबले में संभावित रूप से निर्णायक होता है।

गति और आत्मविश्वास : सेमीफाइनल में शानदार जीत और 2025 की शुरुआत में पाकिस्तान में त्रिकोणीय सीरीज जीतने के बाद, न्यूजीलैंड आत्मविश्वास की लहर पर सवार है। भारत से ग्रुप-स्टेज में मिली हार से वापसी करने की उनकी क्षमता लचीलापन दिखाती है।

 

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न्यूजीलैंड की कमजोरी : प्रमुख खिलाड़ियों पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता
विलियमसन और रवींद्र बल्लेबाजी की रीढ़ रहे हैं। जब भारत के खिलाफ विलियमसन 81 रन पर आउट हो गए, तो 165/6 से लक्ष्य का पीछा करना मुश्किल हो गया। इससे पुछल्ले क्रम के बल्लेबाजों में क्षमता की कमी उजागर हो गई। अगर भारत इन दोनों को जल्दी आउट कर देता है, तो मध्य क्रम स्पिन के खिलाफ़ संघर्ष कर सकता है।

स्पिन के खिलाफ कमजोर : न्यूजीलैंड के बल्लेबाज ग्रुप चरण में भारत के स्पिनरों के सामने लड़खड़ा गए। वह ग्रुप चरण मुकाबले में 205 रन पर आउट हो गए। चक्रवर्ती के 5 विकेटों ने कमजोरियों को उजागर कर दिया। अब कीवियों को भारतीय स्पिन गेंदबाजी के आगे बेहतर रणनीति बनाने की आवश्यकता है।

दुबई की परिस्थितियों के अनुकूल होना : लाहौर में अपना सैमीफाइनल खेलने के बाद, न्यूजीलैंड को दुबई की धीमी, पकड़दार पिच के अनुकूल होने के लिए समय की आवश्यकता हो सकती है। इसी मैदान पर भारत से उनकी पिछली हार से पता चलता है कि वे परिस्थितियों का पूरी तरह से सामना नहीं कर पाए हैं।

फाइनल का दबाव : सैमीफाइनल में अपनी शानदार जीत के बावजूद न्यूजीलैंड का आईसीसी फाइनल में मिश्रित रिकॉर्ड रहा है। वह वनडे विश्व कप 2019 फाइनल हार चुकी है। एक उच्च-दांव वाले खेल में एक अनुभवी भारतीय टीम का सामना करना उनकी हिम्मत की परीक्षा ले सकता है।
 

 


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Content Writer

Jasmeet

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